ब्रेकिंग न्यूज़राज्य

केंद्र की नीतियों से ‛सही पोषण- देश रोशन’ के मंत्र को मिल रहा बल- विनय कुमार।।….

त्रिलोकी नाथ प्रसाद:-त्रिलोकी नाथ प्रसाद:-‛सही पोषण- देश रोशन’ की भावना के साथ सितंबर का पूरा महीना पोषण माह के रुप में देश भर में मनाया जाता है। इस बार पोषण माह महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा पर केंद्रित है। दरअसल भारत में गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं, किशोरियों और बच्चों में कुपोषण एक बड़ी समस्या है। इस समस्या से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर 8 मार्च 2018 को पोषण अभियान की शुरूआत की थी, ताकि पोषण संबंधी समस्याओं को खत्म कर सुपोषित भारत बनाया जा सके।

इस महात्वाकांक्षी अभियान को पूरे देश में आंगनबाड़ी केंद्रों में काम करने वाली महिलाओं के माध्यम से संचालित किया जाता है। हर साल सितंबर का पूरा महीना सुपोषित भारत के लक्ष्य के साथ मनाया जाता है, जिसमें पोषण के बारे में विशेष तौर पर जागरुकता फैलाई जाती है। इतना ही नहीं इस देशव्यापी पोषण अभियान के जरिए पौष्टिक आहार भी उपलब्ध कराए जाते हैं। दरअसल भारत में चल रही आंगनवाड़ी सेवाएं धातृ माताओं और शिशुओं के स्वास्थ्य की पूरी देखभाल और उनके विकास पर केंद्रित दुनिया के सबसे बड़े और अनूठे कार्यक्रमों में से एक है। इस सेवा-प्रदाताओं के आंकड़ों पर नजर डालें तो ये साफ हो जाता है कि यह कितना बड़ा कार्यक्रम है। दरअसल इस योजना को अमलीजामा पहनाने में देशभर में करीब 13.91 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों के नेटवर्क के माध्यम से करीब सवा तेरह लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और साढ़े 11 लाख से ज्यादा आंगनवाड़ी सहायिकाएं अपनी सेवाएं प्रदान कर रही हैं। मार्च 2002 तक इस योजना से देश के साढ़े नौ करोड़ से अधिक आबादी को कवर किया गया है।

आंगनवाड़़ी केंद्र आज सिर्फ कुपोषण से लड़ाई में ही कारगर नहीं है बल्कि यह नौनिहालों के शारिरिक और मानसिक विकास का भी एक अहम पड़ाव सावित हो रहा है। आंगनवाड़ी केंद्रों को आज निजी स्कूलों की तर्ज पर रोचक बनाया जा रहा है, जहां मुफ्त में सारी सुविधाएं जरुरतमंदों को दी जा रही है। ये केंद्र आज कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं। इस योजना का मुख्य उद्देश्य शून्य से 6 वर्ष के बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार, मृत्यु दर में कमी, कुपोषण और स्कूल छोड़ने की दर में कमी लाना और स्वास्थ्य के माध्यम से बच्चे और धातृ माताओं की क्षमता में वृद्धि करना है। इतना ही नहीं इन आंगनवाड़ी केंद्रों पर समय-समय पर उनके लंबाई की माप, वजन, स्वास्थ्य की जांच और टीकाकरण किया जाता है। बीमारियों से बचाव एवं तंदुरुस्ती के लिए जरूरी दवाएं भी मुफ्त मुहैया कराई जाती है।

कुछ इसी तरह प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण यानि पीएम पोषण योजना, जिसे पहले मध्याह्न भोजन योजना के रुप जाना जाता था, के जरिए कक्षा 1 से 8 तक के करीब 12 करोड़ बच्चों को विद्यालयों में दोपहर का भोजन निःशुल्क प्रदान किया जाता है। दरअसल भारत में यह केवल एक योजना नहीं है बल्कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 (एनएफएसए) के माध्यम से प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक कक्षाओं के सभी बच्चों का कानूनी अधिकार है। प्रधानमंत्री पोषण का मुख्य उद्देश्य देश में बच्चों की दो प्रमुख समस्याएं भूख और अशिक्षा का समाधान करना है। इस योजना के जरिए बच्चों की पोषण की स्थिति में सुधार और वंचित वर्ग के गरीब बच्चों को नियमित रुप से स्कूल जाने के लिए प्रोत्साहित करना है। इस योजना के जरिए केंद्र सरकार ने लगभग साढ़े 9 हजार करोड़ रुपये खाद्य सब्सिडी सहित करीब 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए हैं। यह भारत को स्वस्थ्य और कुपोषण मुक्त बनाने का एक अभियान है, जिस पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। मोदी सरकार ने एक और पहल की है।

पिछले साल जनवरी में संसद के कैंटीन में भोजन पर मिलने वाले सब्सिडी को खत्म कर दिया, जिसकी आर्थिक जानकारों ने भी सराहना की। इस तरह की पहल से देश में जरुरतमंदों की योजनाओं को बल मिला। भारत सरकार के इस पहल की चर्चा विकसित देशों में भी हो रही है। अभी हाल ही में इंग्लैंड में भारत सरकार के इस कदम की चर्चा कर ब्रिटेन की कई हस्तियों ने अंग्रेजी सरकार पर सवाल उठाए। दरअसल यहां संसद में भोजन पर सब्सिडी तो मिलती है लेकिन जरुरतमंदो को स्कूलों में निःशुल्क भोजन नहीं मिलता।

भारत में सही पोषण के जरिए बदलते भारत की नई तस्वीर बनाई जा रही है। एक दौर था, जब सही पोषण और स्वास्थ्य की उचित देखभाल के अभाव में बड़ी संख्या में धातृ माताओं और नवजात शिशुओं की मौत हो जाती थी। लेकिन, अब ऐसा नहीं है। केंद्र सरकार की संवेदनशीलता और लोगों में बौद्धिक विकास का असर है कि समाज के बिलकुल अंतिम छोर पर खड़ी माताएँ स्वस्थ नजर आ रही हैं और नौनिहाल के चेहरे पर मुस्कान है। (लेखक- वरिष्ठ पत्रकार है)
***

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button