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*वीर कुंवर सिंह साहस, बलिदान और देशभक्ति के प्रतीक थे- माननीय सभापति श्री अवधेश नारायण सिंह।*

त्रिलोकी नाथ प्रसाद/ माननीय सभापति, बिहार विधान परिषद्, श्री अवधेश नारायण सिंह ने वीर कुंवर सिंह की जयंती के पूर्व संध्या पर प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 के महानायक को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि 1857 ई. के स्वतंत्रता आंदोलन के महानायक बाबू कुंवर सिंह का जन्म शाहाबाद वर्तमान भोजपुर के जगदीशपुर के जमींदार परिवार में हुआ था। विदेशी शासन के विरोध की भावना उन्हें विरासत में मिली थी। 23 अप्रैल को वीर कुंवर सिंह जयंती विज्योत्सव दिवस के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंकि 23 अप्रैल, 1858 को अंग्रेजों के खिलाफ जगदीशपुर के पास अंतिम लड़ाई में जीत हासिल की थी। वीर कुंवर सिंह की आजादी की लड़ाई में भूमिका सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं थी। वे कई राज्यों में गए। नाना साहब से मिलकर कानपुर की लड़ाई में भाग लिए। 80 वर्ष की उम्र में भी उन्होंने अंग्रजों से हार नहीं मानी। आज की युवा पीढ़ी को बाबू कुंवर सिंह के साहस, बलिदान और देशभक्ति की भवना से प्रेरणा लेना चाहिए।

 

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