NBA से मान्यता प्राप्त झारखंड का पहला डिप्लोमा संस्थान बनी युनिसर्विटी पालीटेक्निक
दो पाठ्यक्रमों डिप्लोमा इन कंप्यूटर इंजीनियरिंग एवं डिप्लोमा इन इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन को अगले तीन वर्षों के लिए मिली एनबीए की मान्यता
रांची : युनिवर्सिटी पालीटेक्निक बीआइटी मेसरा (University Polytechnic BIT Mesra) एनबीए से मान्यता प्राप्त झारखंड का पहला डिप्लोमा संस्थान बनी है। संस्थान के दो पाठ्यक्रमों डिप्लोमा इन कंप्यूटर इंजीनियरिंग एवं डिप्लोमा इन इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन को अगले तीन वर्ष के लिए एनबीए की मान्यता मिली है। नेशनल बोर्ड आफ एक्रीडिटेशन (NBA) केंद्र सरकार की संस्था है जो गुणवत्तायुक्त शिक्षा की मानक तय करती है। देशभर में 4000 से अधिक डिप्लोमा स्तरीय संस्थान में केवल 53 संस्थान ही एनबीए से मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रम संचालित कर पा रही हैं। युनिवर्सिटी पालीटेक्निक बीआइटी मेसरा राज्य का पहला डिप्लोमा स्तरीय संस्थान बनी है। जिसके दो पाठ्यक्रमों को एनबीए द्वारा मान्यता प्रदान की गई है। देश भर में मात्र 19 संस्थान हैं जिसके डिप्लोमा इन कंप्यूटर इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम को तथा 17 संस्थान के इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम को एनबीए द्वारा मान्यता मिली हैं। बता दें कि युनिवर्सिटी पालिटेक्निक बीआइटी मेसरा की स्थापना 2001 में कल्याण विभाग के सहयोग से की गई थी। इसका उद्देश्य राज्य की अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, आदिम जनजाति तथा पिछड़े वर्ग के छात्र छात्राओं को गुणवत्तायुक्त तकनीकी शिक्षा प्रदान करना रहा है।
अन्य पाठ्यक्रमों की मान्यता की शुरु हुई प्रक्रिया :
संस्थान के निदेशक प्रोफेसर डा. विनय शर्मा ने बताया कि अगले चरण में संस्थान द्वारा संचालित मेडिकल लैब टेक्नोलाजी डिप्लोमा इन आटोमोबाइल इंजीनियरिंग डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग तथा डिप्लोमा इन इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रानिक्स इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम को भी एनबीए मान्यता की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी। उन्होंने कहा कि बीआइटी मेसरा के कुलपति प्रोफेसर डा. इंद्रनील मन्ना के मार्गदर्शन में यह उपलब्धि हासिल हुई है। उन्होंने कहा कि मान्यता मिलने से विद्यार्थियों की रोजगार क्षमता में बढ़ोत्तरी होती है और स्नातकों की डिग्री और गतिशीलता की अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिलती है। संकाय को शैक्षणिक और संबंधित संस्थागत विभागीय गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रेरित करता है। इसके अलावे संस्थान में बेहतर और चुनौतीपूर्ण शैक्षणिक माहौल बनाने में मदद मिलती है और उच्च गुणवत्ता वाली तकनीकी जनशक्ति तैयार कर देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में योगदान देता है।
युनिवर्सिटी पालीटेक्निक इन कसौटियों पर उतरा खरा :
– इंस्टीट्यूट विजन, मिशन एंड प्रोग्राम एजुकेशनल आब्जेक्टिव
– प्रोग्राम करिकुलम एंड टीचिंग लर्निंग प्रोसेस
– कोर्स आउटकम्स एंड प्रोग्राम्स आउटकम्स
– स्टूडेंट परफार्मेंस
– फैकल्टी इंफार्मेशन एंड कंट्रीब्यूशन
– फैसेलिटीज एंड टेक्निकल सपोर्ट
– कंटीन्यूअस इंप्रूवमेंट
– स्टूडेंट सपोर्ट सिस्टम
– गवर्नेंस, इंस्टीट्यूशन सपोर्ट एंड फाइनेंशियल रिसोर्स शामिल है।
इसलिए जरुरी है मान्यता :
एनबीए द्वारा मान्यता का उद्देश्य कालेजों और विश्वविद्यालयों में डिप्लोमा, स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों स्तरों पर तकनीकी शिक्षा में उत्कृष्टता को बढ़ावा देना और पहचानना है। एनबीए मान्यता प्रक्रिया के माध्यम से प्रदान की गई गुणवत्ता के बाहरी सत्यापन से संस्थान, छात्र, नियोक्ता और बड़े पैमाने पर सभी लाभान्वित होते हैं। वे तकनीकी शिक्षा में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए एनबीए के विकासात्मक दृष्टिकोण द्वारा प्रोत्साहित निरंतर गुणवत्ता सुधार की प्रक्रिया से भी लाभान्वित होते हैं।
मान्यता के बाद इन उद्देश्यों की होगी पूर्ति :
– प्रावधान की गुणवत्ता के रखरखाव और वृद्धि में तकनीकी संस्थानों को सहायता और सलाह
– छात्रों सहित विभिन्न हितधारकों को गुणवत्ता पर विश्वास और आश्वासन
– सरकारी विभागों और अन्य इच्छुक निकायों को किसी संस्थान की अच्छी स्थिति का आश्वासन
– किसी संस्थान को सार्वजनिक रूप से यह बताने में सक्षम बनाना कि उसने स्वेच्छा से स्वतंत्र निरीक्षण स्वीकार कर लिया है और शिक्षा में गुणवत्ता के संतोषजनक संचालन और रखरखाव की आवश्यकताओं को पूरा किया है।
मान्यता के बाद ये पड़ेगा प्रभाव :
ई-कल्याण के प्रावधान के अनुसार एनबीए मान्यता प्राप्त संस्थान के छात्रों को उच्च छात्रवृत्ति राशि प्राप्त होगी। इसका सीधा लाभ यहां पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को होगा। मान्यता का उद्देश्य और प्रभाव किसी संस्थान और उसके कार्यक्रमों की गुणवत्ता आश्वासन से कहीं आगे तक जाता है। संस्थान द्वारा गुणवत्ता सुधार पहलों को प्रोत्साहित किया जाएगा। गुणवत्ता और मात्रा दोनों के मामले में छात्र नामांकन में सुधार होता है। एनबीए मान्यता के साथ संस्थान के लिए आधुनिक प्रयोगशालाओं की स्थापना और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न एजेंसियों से प्रायोजन निधि प्राप्त करना आसान होगा।