किशनगंज : राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्यकर्मियों को दी गयी ट्रेनिंग, जन्मजात विकृति की पहचान कर ससमय इलाज की मिलेगी सुविधा।

7 दिल के छेद व 9 क्लबफूट से पीड़ित बच्चों का हुआ ऑपरेशन।किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जन्मजात विकृति वाले बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने का हर प्रयास लगातार स्वास्थ्य विभाग कर रहा है। इसे लेकर जिला के सभी प्रखंडों के चिकित्सकों, एएनएम एवं फार्मासिस्ट को सदर अस्पताल के प्रांगण में 27 एवं 28 फरवरी को दो दिवसीय रिफ्रेशर ट्रेनिंग दी गई है। प्रशिक्षण की मदद से शिशुओं में जन्मजात विकृति की पहचान कर ससमय इलाज की सुविधा मिल सकेगी। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला समन्वयक डॉ ब्रह्मदेव शर्मा ने बताया कि प्रशिक्षण प्राप्त कर आरबीएसके स्वास्थ्यकर्मी अपने क्षेत्र में बेहतर सेवा देने में सक्षम हो सकेंगे। बताया आरबीएसके के तहत पहले 39 प्रकार की बीमारियां शामिल थीं। लेकिन अब तीन और बीमारियों को जोड़ दिया गया है। इनमें ट्यूबरक्लोसिस, लेप्रोसी और बौनापन शामिल हैं। इस प्रकार अब बच्चों की 42 प्रकार की बीमारियों का इलाज किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि जिला में अब तक दिल में छेद वाले कुल 28 बच्चों की पहचान की गई है। जिसमें ऑपरेशन के लायक कुल 7 बच्चों का सफल इलाज किया जा चुका है। वहीं 9 क्लबफूट तथा एक कटे तालू की समस्या वाले बच्चे का सफल आँपरेशन किया जा चुका है। कार्यक्रम के तहत एक मलद्वार समस्या वाली एक अन्य प्रकार के रोग का इलाज किया गया है। उन्होंने बताया सभी प्राइवेट अस्पतालों में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के संबंधित अधिकारियों का नंबर भी दिया गया है। यदि कोई भी बच्चा जो प्राइवेट अस्पताल में हुआ है और जन्मजात विकृति की समस्या है वह अस्पताल प्रबंधन से इस संबंध में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने बताया की जन्मजात विकृति वाले बच्चों का इलाज परिजन नि:शुल्क करा सकते हैं। इसके लिए अपने प्रखंड स्थित प्राथमिक या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम टीम से मुलाकात करेंगे। इसके बाद उन्हें शिशु की समस्या की जानकारी देंगे जिसके बाद आरबीएसके कार्ड बनाया जाता है। कार्ड बनाये जाने के उपरांत जिला के प्रभावती अस्पताल स्थित डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर में चिकित्सक इलाज की प्रक्रिया प्रारंभ करते हैं। जिला योजना समन्वयक विश्वजीत कुमार ने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान जन्मजात विकृतियों वाली बीमारियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण का उद्देश्य 4डी अर्थात चार प्रकार की परेशानियों की शीघ्र पहचान और उसके इलाज के लिए आवश्यक प्रक्रियाओं की शुरुआत करनी है। इनमें जन्म के समय जन्म दोष, बीमारी, कमी और विकलांगता सहित विकास में रूकावट आदि की जांच शामिल हैं। उन्होंने बताया की बच्चों में टीबी होने के लक्षणों व कारणों आदि की जानकारी दी गई। सिविल सर्जन डाॅ कौशल किशोर ने मंगलवार को सदर अस्पताल परिसर में जानकारी देते हुए बताया की कोविड के दौर में आरबीएसके टीम का सराहनीय योगदान रहा है। कोविड जैसे घातक महामारी के दौर में जहाँ लोग अपनों से भी परहेज कर रहे थे वहीं, आरबीएसके की टीम लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने में अग्रसर थी। कोविड पीड़ित मरीजों की ट्रेसिंग, दवाई मुहैया कराने समेत कोविड से संबंधित अन्य कार्यों में भी आरबीएसके टीम की अहम योगदान रहा है। इसके अलावा वर्तमान दौर में भी लोगों को बेहतर से बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराई जा सके, इसके लिए आरबीएसके की टीम लगातार क्षेत्र भ्रमण कर जरूरतमंदों को चिह्नित कर समुचित स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने में अग्रसर है।