विचार

भारतीय पंचांग।….

पटना डेस्क:-मकर संक्रांति पर उत्तरायण हुआ, अर्थात देवताओं का दिन शुरू हुआ। मनुष्यों का दिनरात 24 घंटे, तो देवताओं के दिनरात 8640 घंटे, मतलब 6 – 6 महीने के बराबर होते हैं। मकर सक्रांति पर देवता उठे, जो कि देवताओं का ब्रह्मकाल हुआ और नित्यकर्म करते हुए, जैसे ही नहाने का समय हुआ, वैसे ही माघ पूर्णिमा आ गई अर्थात जिस प्रकार के कर्म मनुष्य अपनी दैनिकचर्या में करता हैं, वैसे ही कर्म जब देवता अपनी दैनिकचर्या में करते हैं, तो उन्हें ही आधार

मानकर, धरती पर पर्व स्नान आदि मनाए जाते हैं। इसी देवलोक को वर्तमान विज्ञान पैरेलल यूनिवर्स कहता हैं। यह बात प्रमाणित करती हैं कि सनातनी पूर्वजों को अंतरिक्ष विज्ञान के सभी रहस्य पता थे और भारतीय पंचांग, सभी तीनों लोकों के मध्य सामंजस्य स्थापित करके, उन्हें एक दूसरे से जोड़ने व आपसी समझ को विकसित करने के हिसाब से बना हैं। विजय सत्य की ही होगी।

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