किशनगंज : महाकाल मंदिर में हुई मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा
ऊँ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥ वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

या देवी सर्वभूतेषु मां शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
किशनगंज, 15 अक्टूबर (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, आज से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। रविवार को शहर के रुईधासा स्थित महाकाल मंदिर में कलश स्थापित कर मां दुर्गा की प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ की गई। मंदिर के पुरोहित गुरु साकेत के सानिध्य में माता की पूजा-अर्चना की जा रही है। इस अवसर पर भक्त सुबह से ही माता के दर्शन के लिए पहुंच रहे थे। मंदिर के पुरोहित गुरु साकेत ने कहा कि यहां साल में चार बार नवरात्र पूजा आयोजित की जाती है। यहां मंदिर में किशनगंज के अलावे आसपास के जिलो से भी भक्त मंदिर में मां दुर्गा के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। मंदिर में मां दुर्गा के साथ महाकाल बाबा की पूजा-अर्चना भी की जाती है। संध्या में मंदिर में आरती की जाती है। पूजा को लेकर मंदिर परिसर को आकर्षक रूप से सजाया गया। गुरु साकेत ने कहा कि नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री का पूजन होता है। मां शैलपुत्री हिमालयराज की पुत्री हैं। शैल का अर्थ है पत्थर या पहाड़। मान्यता है कि मां शैलपुत्री देवी सती ही है। पूर्व जन्म वो दक्ष प्रजापति के यहां जन्मी थीं। तपस्या करके उन्होंने महादेव को पति रूप में पाया था। गुरु साकेत ने बताया कि माता रानी के शैलपुत्री स्वरूप की उपासना से चंद्रमा के बुरे प्रभाव निष्क्रिय हो जाते हैं। इनकी पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। मां शैलपुत्री की पूजा से व्यक्ति के जीवन में स्थिरता बनी रहती है और व्यक्ति हमेशा अच्छे कर्म करता है। गुरु साकेत ने बताया कि मां शैलपुत्री की पूजा करने के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें और दैनिक कार्यों से निवृत होकर स्नान-ध्यान कर लें। इसके बाद अपने पूजा घर की साफ-सफाई कर ले। पूजा घर में एक चौकी स्थापित करें और उस पर गंगाजल छिड़क दें। इसके बाद चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और उस पर माता के सभी स्वरूपों को स्थापित करें। अब आप मां शैलपुत्री की वंदना करते हुए व्रत का संकल्प लें। माता रानी को अक्षत्, धूप, दीप, फूल, फल, मिठाई अर्पित करें। घी दीपक जलाएं और माता की आरती करें। कुंडली में चंद्रमा का दोष हो या चंद्रमा कमजोर हो तो आप मां शैलपुत्री की पूजा जरूर करें। इससे आपको काफी लाभ होगा। गुरु साकेत ने बताया कि मां शैलपुत्री के मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति प्रगति के पथ पर आगे बढ़ता है। इसके जाप से व्यक्ति में धैर्य और इच्छाशक्ति की वृद्धि होती है। मां शैलपुत्री अपने मस्तक पर अर्द्ध चंद्र धारण करती हैं। इनकी पूजा और मंत्र जाप से चंद्रमा संबंधित दोष भी समाप्त हो जाते हैं। जो भक्त पूरी श्रद्धा भाव से मां शैलपुत्री की पूजा करते हैं, मां उन्हे सुख और सौभाग्य का वरदान देती हैं।