ताजा खबर

*बिहार विशेष भूमि सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त के काम में आज रैयतों के पक्ष में एक बड़ा निर्णय लिया गया है।…*

त्रिलोकी नाथ प्रसाद/रैयतों द्वारा अपने दस्तावेजों को जमा करने यानि स्वघोषणा की तिथि 30 दिन से बढ़ाकर 180 कार्यदिवस कर दी गई है।

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के प्रस्ताव ‘बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त (संशोधन) नियमावलो, 2024″ को आज कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है।

यह संशोधन बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त नियमावली 2012 (यथा संशोधित-2019) में किया गया है।

पूर्व में अधिसूचना की तिथि से 30 कार्यदिवस तक स्वघोषणा जमा करने का प्रावधान था। अब उद्घोषणा की तिथि से 180 दिनों तक अथवा किस्तवार का काम समाप्त किए जाने के पूर्व तक, दोनो में से जो पहले हो…. रैयतों द्वारा स्वघोषणा जमा किया जा सकेगा। 20 अगस्त, 2024 तक बिहार के सभी जिलों में उदघाषणा कर दी गई थी। इसके अनुसार अब मार्च, 2025 के आखिर तक स्वघोषणा जमा करने की छूट दे दी गई है। भूमि सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त में स्वघोषणा के जरिए रैयत अपनी जमीन का ब्यौरा सर्वे कर्मियों

क समक्ष उपलब्ध कराता है। इसमें रैयत द्वारा खरीदी गई जमीन, खतियान, वंशावली एवं बंटवारा का विवरण प्रपत्र 2 एवं प्रपत्र 3 (1) में भरकर या तो सर्वे शिविर में जमा किया जाता है या फिर भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशालय की वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है। इन कागजातों से खानापुरी के समय अधिकार अभिलेख बनाने मे सर्वे कर्मियों को मदद मिलती है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री डॉ दिलीप कुमार जायसवाल ने कहा है कि

भू-अभिलेखों की अनुपलब्धता की वजह से आम लोग परेशान हो रहे थे। उनके द्वारा स्वघोषणा की तिथि बढ़ाने का अनरोध किया जा रहा था जिसके मद्देनजर यह निर्णय लिया गया है। उम्मीद है कि इस अवधि के दौरान अपने कागजात ठीक कर लेंगे और भूमि सव में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे।

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री दीपक कुमार सिंह ने बताया कि आम लोगों की सुविधा के लिए विभाग ने कई और महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं, जिनका कैबिनेट द्वारा अनुमोदन कर दिया गया है। किस्तवार का काम जिसमें गांवों का मानचित्र बनाया जाता ह, को पूर्ण करने की समयावधि 30 कार्य दिवस से बढ़ाकर 90 कार्य दिवस की गई ह। मौजा बड़ा होने पर यह निर्णय लेने का अधिकार बंदोबस्त पदाधिकारियों को दिया गया है।

इसी प्रकार प्रपत्र-8 में दावा/आपत्ति देने की समयावधि भी 15 दिन से बढ़ाकर 30 दिन कर दी गई है। खानापुरी पर्चा मिलने के बाद रैयत अपनी जमीन से संबंधित ब्यौरा से असंतुष्ट होने पर प्रपत्र-8 में सर्वे शिविर में आपत्ति दर्ज करता है। सरकारी भूमि की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह तय हुआ है कि सरकारी / लोक

भूमि से संबंधित दावा/आक्षेप का निष्पादन सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी / अंचल अधिकारी / चकबंदी पदाधिकारी से अन्यून स्तर के पदाधिकारी के द्वारा नहीं किया जाएगा। साथ ही यह भी तय किया गया है कि अंतिम प्रकाशन की तिथि से 90 दिनों के भीतर कोई भी रैयत प्रपत्र 21 में एक से अधिकारियों के समक्ष आपत्ति दायर कर सकेगा और 90 दिनों की समयावधि बीतने के बावजूद विलंब क्षांत कर एक बार और सुनवाई करने का निर्णय भी लिया गया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button