देशराज्य

कालाधन पर मोदी को सुझाव देकर हीरो बनें सब-इंस्पेक्टर…

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भारत सरकार के 1000-500 के पुराने नोट के बदलने से भारत देश के अंदर नोटो के शक्ल में जो करीब 1 से 2 लाख करोड़ का कालाधान हैं जो लगता हैं की अब भारतिय बैंक में जमा नही होंगे इसलिय RBI को वो पैसा भारत सरकार को देने होंगे यानी भारत सरकार के पास 01 जनवरी 2017 तक 01 से 02 लाख करोड होगा यानी भारत देश का बल्ले बल्ले…l सरकार को इतना कालाधन भारत देश से समाप्त करने के लिय बधाई,बधाई इसलिय भी कि आपके इस कार्य से आतंकबाद,हवाला तथा जाली नोटो के करोबार पर भी अंकुश लगा हैं पर शेष अर्थ व्यवस्था को बहुत बड़ा धक्का लगा हैं खैर आपके इस निती से वो सिधी राह पर चलना सिख गए हैं वैसे भारत सरकार से मेरी मांग होगी कि ये surplus money का उपयोग भारतीय कृषि के उत्थान वो भारतीय किसानो के लिए कि जाए क्योंकि कृषिक्षेत्र में हम काफी पिछड़े रह गए हैं ऐसा पीएम मोदी सर भी अपने भाषण में कह चुके हैं l कृषिक्षेत्र में पिछड़े रहने का मुल कारण मैं भारतीय किसानों का कृषी के लिय वर्षा पर निर्रभरता को मानता हूँ,अक्सर ऐसा देखा गया हैं कि भारत मे कहीं बाढ तो कहीं सुखाड ज़िससे हर साल कई लाख करोड़ बाढ ओर सुखाड़ से नीपटने तथा मुआबजा के लिए खर्च होते हैं पर स्थायी हल नही निकाला जाता हैं जबकी भारतीय अर्थव्यवस्था कृषि अधारित हैं फिर भी यहाँ कृषि ओर कृषक उपेक्षीत हैं जो समझ से परे हैं lसर अब समय आ गया हैं कि इस ओर भी ध्यान दिया जाए नही तो भारतीय किसान अब और इस बढ़ती जनसंख्या का बोझ नही उठा सकती हैं,कृषि से उनका मोह भंग हो रहा हैं,जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नही हैं,भारत के नदियो मे ज़ल कि काफी प्रचुरता हैं और हम उन नदियो के जल का 10% भी उपयोग नही करते हैं और तो और 90% ज़ल समुन्द्र से मिलकर खारा हो रहा हैं जबकी भारत के बहुत से ऐसे प्रांत हैं ज़हाँ पिने का पानी बामुस्किल से उपलब्ध हो पाता हैं तो वहाँ पर कृषि कि बात करना ही बईमानी हैं,इसलिए सरकार से मेरी गुजारिस होगी कि अब समय आ गया हैं कि भारत के तमाम नदियो को एक दुसरे से जोडनेवाली परियोजना पर युद्ध स्तर पर कार्य सुरू किया जाए और समस्त भारत मे पक्के नहर का जाल बून दिया जाय…l इस कार्य को करते ही बिहार जैसे कई राज्यो को बाढ सुखाड से तो दक्षिंण भारत के कई राज्यो को पानी कि कमी से मुक्ती मिल जाएगी इससे पनविजली कार्यकर्म का विस्तार कर सस्ते बिजली का उत्पादान का मार्ग भी प्रसस्त हो पाएगा इतना ही नही नहर को ज़लमार्ग के रूप मे इस्तेमाल कर बहुत कम पैसे मे अवागामन एवं मालवाहान हेतु जहाज चलाय जा सकते हैं पर्यटन को बढवा मिलेगा या यु कहे कि ऐसा करते ही भारत के चहूमुखी विकास के द्वार खुल जायेंगे l मेरा मानना हैं कि ऐसा करने से ही भारतीय कृषी का दिर्घकालिन उत्थान संभव हैं,जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिय सोने पे सूहागा वाली बात होगी…l

रिपोर्ट:-धर्मेन्द्र सिंह 

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