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इन दिनों लगातार सोनम रघुवंशी की चर्चाएं आम है। राजा रघुवंशी की हत्या हुई , निश्चित ही यह चर्चा का विषय नहीं बल्कि सोचने का विषय है कि बदलते दौड़ के साथ समाज का ये बहुत ही घिनौना रूप सामने आ रहा है। चाहे वह पुरुष हो या महिला।

रूपम त्रिविक्रम/यह जो समाज का विकृत रूप सामने आ रहा है इसके पीछे का क्या कारण है!इसके लिए कौन जिम्मेदार है? इसे रोकने की जरूरत है। परंतु कैसे? क्या हमारी जो अपनी संस्कृति और पारिवारिक पृष्ठभूमि है जिसे हम अपनी परंपराओं के साथ लेकर चलते हैं। उसके साथ हम समझौता तो नहीं कर रहे हैं! क्यों ना हम अपने बच्चों का लालन-पालन ही ऐसे करें कि समाज के बुनियादी ढांचा, मौलिकता, परंपरा सहिष्णुता के साथ आगे बढ़े और हर रिश्तो को महत्व दें।

राजा रघुवंशी की निर्मम हत्या विषय मात्र नहीं समय अलार्मिंग है। चुनौतीपूर्ण है। जिस पर पूरे देश को एक होकर विचार करने की आवश्यकता है जाति धर्म से ऊपर उठकर यह विचारणीय विषय है।

परंतु पिछले 22 may से लगातार पूरे देश की मीडिया सोनम रघुवंशी और उसी की खबर में लगी हुई है सुबह का समय हो, रात का वक्त हो, या दिन की दोपहरिया हो।आप जब भी हिंदी न्यूज़ चैनल खोलने हैं बस एक ही न्यूज़ सोनम रघुवंशी।क्या इस बीच में देश में कोई घटना नहीं घटी?क्या इस बीच में कोई बेटी की बली नहीं चढ़ाई गई? क्या इस बीच में बेटियां दहेज के लोभियों के भेंट नहीं चढ़ी? क्या इस बीच में महिलाओं की निर्मम हत्या नहीं हुई? क्या इस बीच में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोग गरीबी रेखा से ऊपर आ गए? क्या इस दौरान भारत सरकार का जीडीपी रेट बड़ा या घटा?विकास रेट? पेट्रोल के दाम बढ़े या घाटे? क्या आम लोगों का जीवन स्तर ऊपर उठा? क्या इस बीच में पूरे कंट्री में कोई ऐसी अच्छी खबरें नहीं आई! जिसे मीडिया के माध्यम से आम एवं तक उसकी पहुंच को सुनिश्चित की जाए या टेलीविजन पर दिखाया जाए। वो सफलता की कहानी जिससे देश के युवाओं पथ प्रदर्शक का काम करें। और युवाओं के सुनहरे भविष्य का निर्माण करें।

आज के युवाओं को और अभी के बच्चों को जो आने वाले भविष्य के युवा होने वाले हैं मीडिया उन्हें किस रूप में मानसिक तौर पर तैयार कर रही है यह विचारणीय है।
मित्रों,मेरा साफ कहना है की मीडिया के भी कुछ नियम तय है उसका अनुपालन होना चाहिए।
दिखाना ही है तो एक सोनम रघुवंशी की मामले में क्यों दिखाएं?बल्कि सोनम रघुवंशी के साथ वैसे भी बेटियों को जरूर दिखाएं जो बली का बकरा बनी है किसी न किसी पुरुष के माया जाल में फंसकर अपने जीवन को बर्बाद कर चुकी है। और उससे सबक लेने की देश की लड़कियों को जरूरत है. वैसी महिलाओं और लड़कियों,जो दहेज की बलि चढ़ चुकी है। उसमें पुलिस की क्या कार्यवाही हुई? उन बेटियों को कितना मदद किया गया। यह भी जरूर निष्पक्ष रूप से दिखाएं मीडिया, ताकि दहेज प्रताड़ना, बाल विवाह जैसे मुद्दों पर रोक लग सके पुरुषों की गंदी मानसिकता,चाहे वह कार्य क्षेत्र हो,चाहे वह प्राइवेट सेक्टर,महिलाएं जिस भी रूप में काम कर रही है उन्हें पुरुषों की “चिप मेंटालिटी” से गुजरना पड़ता है।मीडिया को इन मुद्दों पर भी बात करने की आवश्यकता है।मीडिया अपने विभिन्न माध्यमो से इन विषयों पर बात करें।

ताकि ऐसे पुरुष जो समाज को गंदा कर रहे हैं ऐसी महिलाएं जो समाज को गंदा कर रही है, बेनकाब हो. “चिप मेंटालिटी “वाले पुरुषों को तो मीडिया के माध्यम से जरूर दिखाना चाहिए. जो महिलाओं को अपने कोपभाजन का शिकार बनाते हैं।

आवश्यकता है,पुरुषों के सम्मान के साथ-साथ स्त्रियों का भी समाज में बराबरी का सम्मान हो, जिससे स्वच्छ और स्वस्थ समाज का निर्माण हो।

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