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‘वीर कुंवर सिंह की प्रेमकथा’ पुस्तक पर फिल्म बनाने की चर्चा गर्व की बातः धीरज।…

गुड्डू कुमार सिंह /आरा:- सिंह उर्फ लव जी* जगदीशपुरः 1857 गदर के महान सेनानी पर मुरली मनोहर श्रीवास्तव द्वारा लिखित पुस्तक “वीर कुंवर सिंह की प्रेमकथा” काफी सुर्खियों में है। इस पुस्तक को लेकर राष्ट्रीय कुंवर वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष धीरज कुमार सिंह उर्फ लव जी ने कहा कि इस पुस्तक के लेखन से लेकर प्रकाशन तक चश्मदीद रहा हूं। बहुत ही कठिनाई से रण बांकुरे बाबू वीर कुंवर सिंह जी की स्मृतियों को संयोजने की लेखक मुरली मनोहर श्रीवास्तव ने की है। श्री सिंह ने कहा कि मैं जहां भी जाता हूं “वीर कुंवर सिंह की प्रेमकथा” पुस्तक को ही भेंट करता हूं। बाबू साहब के देशप्रेम पर केंद्रित इस पुस्तक की इतनी मांग बढ़ गई है। मुरली मनोहर श्रीवास्तव की पुस्तक “वीर कुंवर सिंह की प्रेमकथा” पर फिल्म बनने की खबर ने साहित्य और फिल्म जगत में काफी उत्साह पैदा कर दिया है। यह पुस्तक श्रीवास्तव की एक प्रसिद्ध कृति है, जिसमें वीर कुंवर सिंह के जीवन और प्रेमकथा को दर्शाया गया है। इतना ही नहीं वीर कुंवर सिंह, जिन्हें 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के नायक के रूप में जाना जाता है, की प्रेमकथा काफी रोमांचक और प्रेरणादायक है। श्रीवास्तव की पुस्तक में इस प्रेमकथा को काफी संवेदनशीलता और ओजस्विता से प्रस्तुत किया गया है, जिसके कारण यह पुस्तक काफी लोकप्रिय हो रही है। राष्ट्रीय कुंवर वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष धीरज कुमार सिंह उर्फ लव जी ने यह भी बताया कि फिल्म निर्माता और निर्देशक इस पुस्तक की कहानी को बड़े पर्दे पर प्रस्तुत करने के लिए काफी उत्साहित हैं। यह फिल्म वीर कुंवर सिंह के जीवन और प्रेमकथा को एक नए तरीके से प्रस्तुत करेगी, जिसके कारण यह फिल्म काफी प्रत्याशित है। पुस्तक पर फिल्म बनने की खबर ने साहित्य और फिल्म जगत में एक नई उम्मीद पैदा कर दी है। यह फिल्म न केवल वीर कुंवर सिंह के जीवन और प्रेमकथा को प्रस्तुत करेगी, बल्कि श्रीवास्तव की पुस्तक की लोकप्रियता को भी बढ़ाएगी। श्री सिंह ने यह भी कहा कि बाबू साहब के इतिहास को जन-जन तक पहुंचाने के लिए राष्ट्रीय कुंवर वाहिनी भी पुस्तक पर फिल्म बनाने के लिए सहयोग करेगी। बाबू साहब के ऊपर जितना काम करने की जरुरत थी उस तरीके से नहीं की गई है लेकिन “वीर कुंवर सिंह की प्रेमकथा” जो पुस्तक है इसमें उनके सारे अनछुए पहलूओं को उजागर करने की कोशिश की गई है ताकि आने वाली पीढ़ी इनके इतिहास से सीख ले सकें। इस पुस्तक में एक बात और देखने को मिली की कथानक के साथ-साथ उस जमाने के लोक संगीत के अलावे मुरली मनोहर श्रीवास्तव ने गीतों की ऐसी रचना की है जो हकीकत से रुबरु कराता है।

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