विश्व प्रसिद्ध है नेपाल का माता जानकी का टीकमगढ़ स्थित मंदिर-नवेन्दु मिश्र

केवल सच-नेपाल
नौलखा महल मां सीता के लिए नेपाल में टीकमगढ़ मध्य प्रदेश की महारानी वृषभानु कुंवर बुंदेला पत्नी महाराजा प्रताप सिंह जूदेव बुंदेला ने नौ लाख की लागत से बनवाया था ।जनकपुर का नौलखा मंदिर यह हिंदू मंदिर नेपाल के जनकपुर के केंद्र में स्थित है। राजा जनक के नाम पर शहर का नाम जनकपुर रखा गया था, राजा जनक की पुत्री सीता जिन्हें जानकी भी कहते हैं उनके नाम पर इस मंदिर का नामकरण हुआ था। यह नगरी मिथिला की राजधानी थी भगवान श्री राम से विवाह के पहले माता सीता ने ज्यादातर समय यही व्यतीत किया था। जानकी मंदिर साल 1911 में बनकर तैयार हुआ था, करीब 4860 वर्ग मीटर में इस मंदिर का निर्माण टीकमगढ़ की महारानी कुमारी वृषभानु ने करवाया था इस महल में सामना 265 फिट का है। पहले यहां जंगल हुआ करता था जहां सुर किशोर दास तपस्या साधना करने पहुंचे थे । यहां रहने के दौरान उन्हें माता सीता की एक मूर्ति मिली थी जो सोने की थी उन्होंने ही इसे वहां स्थापित किया था। टीकमगढ़ की महारानी वृक्ष भानु बुंदेला एक बार वहां गई थी, उन्हें कोई संतान नहीं थी वहां पूजा के दौरान उन्होंने यह मन्नत मांगी थी कि अगर भविष्य में उन्हें कोई संतान होती है तो वह वहां मंदिर बनाएंगे । संतान की प्राप्ति के बाद वह वहां लौटी और साल 1895 में मंदिर का निर्माण शुरू हुआ और 16 साल में मंदिर का निर्माण पूरा हुआ। ऐसा कहा जाता है कि उस समय इसके निर्माण पर कुल ₹900000 खर्च हुए थे इसलिए इस मंदिर को नौलखा मंदिर भी कहते हैं। मंदिर में 12 महीने अखंड कीर्तन चलता रहता है, 24 घंटे सीता राम नाम का जाप यहां लोग करते हैं ।वर्ष 1967 से लगातार यहां अखंड कीर्तन चल रहा है वर्तमान में राम तपेश्वर दास वैष्णव इस मंदिर के महंत हैं वह जानकी मंदिर के 12वें महंत हैं । परंपरा अनुसार अगले महंत का चुनाव वर्तमान महंत करते रहे हैं ।जानकी मंदिर में तीर्थयात्री ना सिर्फ भारत से बल्कि विदेशों से भी आते हैं। यहां यूरोप दक्षिण अफ्रीका ऑस्ट्रेलिया से भी तीर्थयात्री आते हैं मंदिर में मां सीता की मूर्ति अत्यंत प्राचीन है जो 1657 के आसपास की बताई जाती है।