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केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड एवं वित्तीय नियामक आयोग, मंगोलिया के बीच द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने की मंजूरी दी

त्रिलोकी नाथ प्रसाद –प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) तथा वित्तीय नियामक आयोग, मंगोलिया (एफआरसी) के बीच द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

प्रमुख प्रभाव:

एफआरसी, सेबी की तरह, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभूति आयोग संगठन बहुपक्षीय एमओयू (आईओएससीओ एमएमओयू) का सह-हस्ताक्षरकर्ता है। हालांकि, आईओएससीओ एमएमओयू के दायरे में तकनीकी सहायता का प्रावधान नहीं है। प्रस्तावित द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन, प्रतिभूति कानूनों के प्रभावी प्रवर्तन के लिए सूचना साझाकरण ढांचे को मजबूत करने में योगदान देने के अलावा, एक तकनीकी सहायता कार्यक्रम के निर्माण में भी सहायता प्रदान करेगा। तकनीकी सहायता कार्यक्रम से अधिकारियों को पूंजी बाजार, क्षमता निर्माण गतिविधियों और कर्मचारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों से जुड़े मामलों पर परामर्श के माध्यम से लाभ होगा।

पृष्ठभूमि:

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की स्थापना भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के तहत भारत में प्रतिभूति बाजारों को विनियमित करने के लिए की गई थी। सेबी का उद्देश्य निवेशकों के हितों की रक्षा करना और भारत में प्रतिभूति बाजारों के विकास को विनियमित और बढ़ावा देना है। सेबी अधिनियम, 2002 की धारा 11 की उप-धारा (2) के तहत खंड (आईबी); सेबी को बोर्ड के समान कार्य करने वाले अन्य प्राधिकरणों, चाहे वे भारत में हों या विदेश में, से प्रतिभूति कानूनों के संबंध में उल्लंघनों की रोकथाम करने या जांच करने से संबंधित मामलों में जानकारी मांगने या जानकारी देने का अधिकार देता है, जो अन्य कानूनों के प्रावधानों के अधीन है। भारत के बाहर किसी भी प्राधिकरण को कोई भी जानकारी प्रस्तुत करने के लिए, सेबी केंद्र सरकार के पूर्व अनुमोदन से ऐसे प्राधिकरण के साथ एक व्यवस्था या समझौता या समझ विकसित कर सकता है। इस पृष्ठभूमि में, एफआरसी ने सेबी से आपसी सहयोग और तकनीकी सहायता के लिए एक द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने का अनुरोध किया है। अब तक, सेबी ने अन्य देशों के पूंजी बाजार नियामकों के साथ 27 द्विपक्षीय समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं।

2006 में स्थापित, वित्तीय नियामक आयोग (एफआरसी) एक संसदीय प्राधिकरण है, जिस पर बीमा और प्रतिभूति बाजार एवं सूक्ष्म वित्त क्षेत्र के प्रतिभागियों समेत गैर-बैंक क्षेत्र की निगरानी और विनियमन की ज़िम्मेदारी है। एफआरसी स्थिर और सुदृढ़ वित्तीय बाजार प्रदान करने के लिए जिम्मेदार है। आयोग गैर-बैंक वित्तीय संस्थानों, बीमा कंपनियों और मध्यवर्ती संस्थाओं, प्रतिभूति फर्मों तथा बचत और ऋण सहकारी समितियों का विनियमन करता है। साथ ही, यह व्यक्तिगत वित्तीय बाजार ग्राहकों (प्रतिभूति धारकों, घरेलू और विदेशी निवेशकों, और बीमा पॉलिसीधारकों) के अधिकारों को सुनिश्चित करता है और वित्तीय कदाचार से सुरक्षा प्रदान करता है।

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