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एक स्त्री के पूरे जीवन चक्र का बिंब है नव दुर्गा का नौ रूप- आचार्य

केवल सच – पलामू

1. जन्म ग्रहण करती हुई कन्या “शैलपुत्री” स्वरूप है !
2. कौमार्य अवस्था तक “ब्रह्मचारिणी” का रूप है !
3. विवाह से पूर्व तक चंद्रमा के समान निर्मल होने से वह “चंद्रघंटा” समान है !
4. नए जीव को जन्म देने के लिए गर्भ धारण करने पर वह “कूष्मांडा” स्वरूप है !
5. संतान को जन्म देने के बाद वही स्त्री “स्कन्दमाता” हो जाती है !
6. संयम व साधना को धारण करने वाली स्त्री “कात्यायनी” रूप है !
7. अपने संकल्प से पति की अकाल मृत्यु को भी जीत लेने से वह “कालरात्रि” जैसी है !
8. संसार ( कुटुंब ही उसके लिए संसार है ) का उपकार करने से “महागौरी” हो जाती है !

9. धरती को छोड़कर स्वर्ग प्रयाण करने से पहले संसार मे अपनी संतान को सिद्धि ( समस्त सुख-संपदा ) का आशीर्वाद देने वाली “सिद्धिदात्री” हो जाती है !

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