*जमुई के मतदाताओं ने सुनाया अपना निर्णय 10 को होगा भाग्य का फैसला।।….*

अजय कुमार जमुई बिहार विधान सभा चुनाव 2020 का पहला चरण के चुनाव 28 अक्टूबर को होने के साथ ही जमुई जिले के चारो विधानसभा क्षेत्रोंें के पार्टी के और निर्दलीय नेताओं का भग्य का पिटारा इवीएम में बंद हो गया है। सभी उम्मीदवार अपनी-अपनी जीत का आकलन में जुटे हैँन और चौक-चौराहों पर भी चर्चा का बाजार गर्म है। इस बार का गठबंधन का समीकरण भी कुछ ऐसा था कि सभी समीकरण को घ्वस्त कर दिया ऊपर से हर गठबंधन के बागी उम्मीदवार ने भी जीत-हार के समीकरण बिगाड़ने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है। जमुई से हमारे जिला ब्यूरो अजय कुमार की चुनाव के बाद के आकलन पर रिर्पोट।
जमुई जिले में लोकतंत्र का महापर्व का प्रथम चरण समाप्त होने के साथ ही जिले के सिकन्दरा(सु0) जमुई, झाझा और चकाई के मतदाताओं ने उम्मीदवारों का भाग्य का पिटारा ईवीएम में बंद कर दिया जो 10 नबंबर को खुलेगा और फिर सच्चाई सामने आएगी कि कौन विधानसभा के दौड़ में बाजी मारता है। केवल सच हिन्दी मासिक पत्रिका ने चुनाव पूर्व जो चुनावी नफा नुकसान का आकलन किया है पर यह रिर्पोट पाठकों के बीच चुनावी रिजल्ट के बाद ही सामने आएगा पर चुनाव के दिन बुथों पर जाकर आकलन और चर्चाआें से जो निकलकर सामने आया है उससे तो मतदाताओं का आकलन निकालने में जो स्पष्ट दिखाई देता है कि इस बार कोरोना काल मेें भी मतदाताओं ने भारी मतदान किया है। जिले में प्रवासी मजदूरों की संख्या ज्यादा होने तथा अपने-अपने निर्दलीय उम्मीदवारों के लिए मतदान करने के होड़ में मतदाता अपने घरों से ज्यादा-से-ज्यादा संख्या में निकले हैं। हर बार के मुकाबले इस बार छः प्रतिशत ज्यादा मतदान होना उम्मीदवारों के सामने भी चुनावी नतीजों का आकलन करने में मुश्किलें खड़ी करती दिखाई दे रही है।
विगत विधानसभा चुनाव की बात करें तो जिले के चार विधानसभा क्षेत्रें में से तीन पर महागठबंधन का कब्जा था। वहीं इस बार के लोकसभा चुनाव के समय राजग गठबंधन से लोजपा के चिराग पासवान जिले के चारो विधानसभा क्षेत्रें से बढ़त बनाए थे। लोजपा इस बार अकेले मैदान में है और जिले के तीन उस विधानसभा से उम्मीदवार उतारा है जहॉं भाजपा मैदान में नहीं है। लेकिन चिराग के लोजपा के राष्ट्ृीय अघ्यक्ष होने के साथ-साथ जमुई लोकसभा के सांसद होने के वावजूद कहीं भी लड़ाई में नहीं दिखाई दे रहा है। वहीं महागठबंधन अपने परंपरागत एमवाई समीकरण के एम फेक्टर का जिले के जमुई, सिकन्दरा और चकाई विधानसभा क्षेत्रें में जिस प्रकार से बिखराव देखा गया है उससे महागठबंधन प्रत्यासी को सोंचने पर मजबूर कर दिया है। हालांकि वाई फेक्टर स्थानीय मुद्दे तथा जनप्रतिनिधि से ज्यादा तेजस्वी को मुख्यमंत्री के रूप में देखते हुए वोट किया है। गौरतलव है कि जिले के चारो विधानसभा क्षेत्रें से रालोसपा, बसपा और ओबैसी की पार्टी का गठबंधन ने अपने उम्मीदवार उतारा है। वहीं ओबैसी खुद जिले मेें रैली कर एम फेक्टर को प्रभावित करने का पुरजोर प्रयास किया है। जमुई बिधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहॉं से पप्पू यादव के जनअधिकार पार्टी से मुश्लिम प्रत्यासी होने के कारण जमुई में ज्यादा ही बिखराव रहा है। वैसे ही जमुई नगर तथा कुछ मुश्लिम बाहुल बूथों के आकलन से जो कुछ निकल कर सामने आया है अगर वहीं स्थिति प्रत्येक विधानसभा क्षेत्रें में हुआ होगा तो निश्चित तौर पर महागठबंधन को इस बार नुकसान उठाना पड़ सकता है। वहीं यादव वोटरों की बात की जाय तो वे स्थानीय प्रत्याशियाें से ज्यादा तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए वोट कास्ट किया है। जिले में सिकन्दरा, झाझा और चकाई विधानसभा क्षेत्र यादव बाहुल रहा है और चकाई, झाझा और जमुई में महागठबंधन ने यादव प्रत्यासी पर ही दाव आजमाया है। आपको बता दूं कि पूर्व में जिले के चारो विधानसभा क्षेत्रें में यादव विधायक ही रहे हैं। सिकन्दरा सुरक्षित रहने के कारण यहॉं से कांग्रेस के सुधीर कुमार उर्फ बंटी चौधरी विधायक हैं। जमुई से मुंगेर प्रमंडल के राजद के सर्वमान्य नेता जयप्रकाश ना0 यादव के भाई विजय प्रकाश झाझा से भाजपा के रविन्द्र यादव तथा चकाई से स्व0 फाल्गुनी यादव की पत्नी साबित्री देवी राजद से विधायक रहे हैं। वर्तमान महागठबंधन के तीनो जीते हुए विधायक पर पार्टी ने दाव खेला है और वो अपनी शानदार उपस्थिति दर्ज कराने में कोई कसर नहीं छोड़े हैं। हालांकि सिकन्दरा से कांग्रेस के बंटी चौधरी को काफी विरोध का सामना करते हुए भी भी एमवाई समीकरण के वोटरों ने खुलकर हाथ का साथ दिया है। बात की जाय कोईरी-कुमी-कुशबाहा की तो उसने प्रदेश के नेताओं से ज्यादा खुद के जातीगत उम्मीदवारों पर ही दाव लगाया है। जमुई से पप्पू मंडल की पत्नी सुजाता सिंह निर्दलीय उम्मीदवार थे और वे कम-से-कम जमुई विधानसभा क्षेत्र में तीसरे स्थान को लाने में कामयाब रहेगें तो वहीं चकाई से संजय मंडल को लोजपा ने उम्मीदवार बनाया है और उन्हें भी जाती का लाभ मिला है और हो न हो लोजपा के संजय मंडल चकाई से जदयू को पछाड़ते हुए तीसरे स्थान को प्राप्त कर ले तो इसमें कोई अतिश्योक्ति न होगी। वहीं बात करें जमुई की तो भाजपा से अंर्तराष्ट्ृीय निशानेबाज श्रेयशी सिंह को जमुई विधानसभा में अगड़े और पिछड़े वर्ग का भरपूर सहयोग मिला है। वैसे जमुइ्र्र में जिले के तीन राजनैतिक घरानों का प्रतिष्ठा दाव पर है और निश्चित तौर पर दो की प्रतिष्ठा पर आंॅच आना तय है। जयप्रकाश ना0 यादव की बेटी दिब्या प्रकाश भी उजियारपुर से राजद से मैदान में हैं यदि जमुई और उजियारपुर दोनो जगह से राजद हारती है तो जयप्रकाश ना0 यादव का राजनैतिक केरियर पर विराम लगेगा तो वहीं नरेन्द्र सिंह के दो पुत्र जमुई और चकाई से मैदान में हैं यदि दोना हारते हैं तो नरेन्द्र सिंह के परिवार में कोई किसी वर्तमान पद पर नहीं होंगे। वहीं दिग्विजय सिंह की बेटी यदि हारती है तो दिग्वििजय सिंह-पुतुल सिंह के परिवार में भी किसी प्रकार के पद नहीं होगी।
वर्ष 2020 के रिजल्ट से पूर्व वर्ष 2015 की विधानसभा रिजल्ट पर चर्चा नहीं करना भी बैमानी होगी। वर्ष 2015 की बात की जाय तो 2015 में जदयू-राजद-कॉंग्रेस साथ मिलकर चुनाव लड़ी थी तो भाजपा लोजपा और रालोसपा के साथ मैदान में था। पिछले बार जमुई, सिकन्दरा और झाझा में एनडीए का सीधा मुकाबला महागठबंधन से था। तो वहीं चकाई पिछले बार भी त्रिकोणीय मुकाबले में था और इस बार की भी स्थिति यही रहने वाली है। जहॉं सिकन्दरा सुरक्षित की बात करें तो कांग्रेस के बंटी चौधरी को 59092 मत प्राप्त हुआ था तो लोजपा के सुभाष चन्द्र बोस को 51102 मत वाकी के प्रत्यासी 5 अंको का आंकड़ा भी नहीं छू सका था। पर इस बार सिकन्दरा से इस बार भी बंटी चौधरी कांग्रेस से मैदान में हैैं एनडीए से हम के प्रत्यासी के रूप में प्रपफ़ुल्ल मांझी मैदान में हैं। लोजपा ने सुभाष चन्द्र बोस के स्थान पर रबिशंकर पासवान पर दाव आजमाया है। सुभाष चन्द्र बोस निर्दलीय मैदान में हैं। सिकन्दरा में चुनाव से पूर्व हम प्रत्यासी का कोई हवा नहीं था पर चुनाव के बाद अचानक हम प्रत्यासी प्रफुल्ल मांझी कांग्रेस के बंटी चौधरी से सीधा मुकाबला में आ गये हैं। हालांकि इस बार सिकन्दरा से कई प्रत्यासी पॉंच अंको को पार करते दिखाई दे सकते हैं। जमुई विधानसभा की बात करें तो वर्ष 2015 में राजद के विजय प्रकाश को 66577 मत प्राप्त हुआ था तो भाजपा के अजय प्रताप को 58328 मत। वर्ष 2015 में भी पप्पू मंडल की पत्नी सुजाता देवी के स्थान पर रविन्द्र मंडल मैदान में थे पर वे 5 अंको का आंकड़ा नहीं छू सके। वैसे में इस बार दूसरे स्थान पर रहे अजय प्रताप रालोसपा से प्रत्यासी हैं पर राजपूत वोटरों पर ज्यादा प्रभाव नहीं दिखा सके। जमुई में इस बार भी राजद के विजय प्रकाश का सीधा मुकाबला गोल्डन गर्ल भाजपा प्रत्यासी श्रेयशी सिंह से है। इस बार अजय प्रताप और पप्पू मंडल और जाप के मो0 शमसाद तीसरे स्थान की दावेदारी की कबायद में लगे हैं। चकाई विधानसभा का चुनाव पिछले तीन बार से कॉफी रोमांचित रहा है और हर बार यह क्षेत्र त्रिकोणात्मक रहा है। पिछले दो बार से नरेन्द्र सिंह के पुत्र सुमित कुमार सिंह उर्फ विक्की निर्दलिय मैदान में आते हैं और इस बार भी जदयू में रहते हुए जदयू से बेटिकट होने के कारण र्निदलीय मैंदान में हैं। यह क्षेत्र फाल्गुनी-नरेन्द्र के पारिवारिक और पारंपरिक सीट रहा है। जीत और हार के बीच हमेशा यही दोनो परिवार रहा है और लाख प्रयास के वावजूद इस बार भी निर्दलीय सुमित का सीधा टक्कर राजद के साबित्री देवी से हो सकता है। वहीं जदयू के संजय प्रसाद और लोजपा के संजय मंडल चकाई से चतुष्कोणीय बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। वर्ष 2010 में हुए चुनाव में सुमित झामुमों के टिकट से जीते थे। उस समय झामुमो से सुमित कुमार सिंह लोजपा के विजय सिंह और भाजपा के फाल्गुनी यादव के बीच में 1000 से भी कम का अंतर था बसपा से पृथ्वीराज हेम्ब्रम भी 15000 मत प्राप्त किया था। वर्ष 2015 की बात की जाय तो राजद के सावित्री देवी को 47065 मत तथा निर्दलीय सुमित कुमार को 34954 और लोजपा के विजय सिंह को 28535 मत प्राप्त हुआ था। इस क्षेत्र में 2015 में पहली बार राजद की जीत हुई थी। इस बार भी मुकाबला काफी रोचक होना तय है।
अब देखना यह होगा कि 10 नबम्बर को किसके माथे पर सजेगा सेहरा। सिकंदर कौन होगा और कौन तय करेगा बिहार विधानसभा का सफर। इसके लिए 10 नबम्बर का इंतजार करना होगा। 10 नब्बर से पहले सभी जीत का सेहरा पहने हुए हैं।