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मेरे सपनों का भारत ।एक शिक्षक की कलम से।।..

कार्यालय संवाददाता :-जब भारत आजाद हुआ 1947 ईस्वी में तब देश की आबादी मात्र 34 करोड़ थी। स्वतंत्र भारत की प्रथम जनगणना 1951 ईस्वी के अनुसार देश की आबादी मात्र 36 करोड़ थी। वर्तमान समय में 2021 ईस्वी में यह आबादी लगभग 150 करोड़ के आसपास पहुंच गई है ।वही स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारत की साक्षरता दर मात्र 13% थी, जबकि वर्तमान में अर्थात 2021 ईस्वी के अनुसार भारत की साक्षरता लगभग 77 . 77 प्रतिशत है ।आजादी से पूर्व और आजादी के बाद भी अधिकांश भारतीयों का जीवन पशु के समान व्यतीत हुआ है। उनके लिए रोटी, कपड़ा, मकान तथा शिक्षा सपने के समान रहा है। हमारा मानना है कि एक उत्तम संस्कार तथा शिक्षा से युक्त व्यक्ति ही विकसित देश की आधारशिला रख सकता है ।आज जरूरत है, लोगों में देश प्रेम एवं स्व मूल्यांकन करने के लिए प्रेरित करना। इसके लिए शिक्षा के व्यवसायीकरण को समाप्त करना होगा। लोगों को रोजगारोन्मुख शिक्षा के द्वारा प्रशिक्षित कर हर क्षेत्र में उन्हें 100% रोजगार से जोड़ना होगा। राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता को बनाए रखने हेतु संविधान में संशोधन कर कुछ कठोर नियम बनाकर उसे लागू करना होगा। सबसे पहले देश, तब समाज और तब हम हैं, इस पर प्रत्येक नागरिक को अमल करना होगा। समाज को केवल अमीर वर्ग एवं गरीब वर्ग में वर्गीकृत कर उनके विकास हेतु नियमित एवं सतत प्रयास करना होगा, तब जाकर हमारे सपनों के भारत की परिकल्पना पूर्ण होगी। लेखक सरकारी विद्यालय के शिक्षक हैं। संजय कुमार पाण्डेय’ चमक'( शिक्षक)

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