नवेन्दु मिश्र-हाय -रे -बिजली किसी को भा गई, तो किसी को ढा गई।।…
कार्यालय संवाददाता :-यह हाल है झारखंड राज्य के पलामू जिले के पाटन प्रखण्ड में पड़ने वाले सभी गाँवों का। बिजली को लेकर आए दिन समस्याएं उत्पन्न होती रहती हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि आज बिजली जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है ,क्योंकि उसी के माध्यम से हम सभी तरह-तरह के कार्य संपादित करते हैं । टीवी ,मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर ,फोटो स्टेट के लिए बिजली आवश्यक है। हर तरह के काम के लिए बिजली की आवश्यकता होती है। साथ में सिंचाई का काम इससे सबसे ज्यादा होता है ।आटा चक्की चलाने वाले लोगों के लिए यह बहुत सस्ता पड़ता है ,इसीलिए बिजली का इतना महत्व है ।आए दिन हम सभी बिजली की समस्या से जूझते रहते हैं, यही हाल पाटन प्रखंड के किशुनपुर ,नावा साथ ही पाटन का है ।वैसे बिजली का इतिहास तो काफी पुराना है ,लेकिन इस क्षेत्र में भी इतिहास से कम नहीं है बिजली। यहां हम केवल एक क्षेत्र किशुनपुर को उदाहरण के तौर पर लेते हैं, लगभग 2003 -04 में किशुनपुर के काली संस्कृत मध्य विद्यालय के शिक्षक श्री अमरनाथ झा जी के द्वारा (शनिवार, रविवार को)अनवरत प्रयास करके ना जाने कहां -कहां से बिजली के लिए मिस्त्री ,तार, खंभा इत्यादि की व्यवस्था की जाती थी ।उनके सहयोगी भी काफी संख्या में थे ।उनके बाद यहीं के स्थानीय विनय प्रसाद एवं उनके सहयोगी खूब दिन रात बिजली की व्यवस्था करने में लगे रहते थे।इसमें उनके सहयोगी सेठा (पुकारु नाम) , अमित सिंह ने भरपूर सहयोग किया ।अमित सिंह ने तो बिजली की व्यवस्था सुधारने में अपने हाथ-पैर भी गवा दिए।फलस्वरूप राष्ट्रीय जनता दल के युवा मोर्चा अध्यक्ष व बाद में राजद के प्रखंड अध्यक्ष उमेश सिंह के द्वारा हर तरह की व्यवस्था विभाग के कर्मचारियों के सहयोग से की गई, ताकि बिजली निर्बाध रूप से मिलती रहे ।इसके लिए चाहे जहां भी जाना पड़ा, जाते और बातचीत करके बिजली की व्यवस्था सुधारने में सफलता पाते।चाहे बिजली विभाग का जिला कार्यालय, प्रखंड कार्यालय,क्षेत्रीय विधायक ,सांसद से बात करना हो,बातचीत करके बिजली को सुचारू रूप से प्रदान कराने के लिए हर तरह का प्रयास उन्होंने ने किया और सफलता भी प्राप्त की। जिसके पश्चात लगभग 2010 से 2015 तक निर्बाध रूप से बिजली इस क्षेत्र को प्राप्त होती रही ।जहां कहीं तार बदलने की आवश्यकता होती या खंभा की आवश्यकता होती तो उसकी पूर्ति राजद नेता उमेश सिंह के द्वारा विभाग के कर्मचारियों के सहयोग से कराई जाती, जिसका लाभ उन्हें 2015 के पंचायत चुनाव में मिला और उनकी पत्नी सुनीता देवी किशुनपुर पंचायत की मुखिया बनीं और अभी तक है। 2015-16 के बाद सब्यसाची उपाध्याय (पूर्व मुखिया के पुत्र)का प्रयास बिजली के लिए अनवरत लगा रहता है। सांसद विष्णु दयाल राम से भी इस विषय पर उन्होंने बातचीत किया है।एक मामूली से फॉल्ट पर भी पूरे दलबल के साथ सब्यसाची उपाध्याय(चिंटू),श्रीकांत तिवारी एवं उनकी टीम तुरंत पहुंच जाती है। इसके लिए उन्होंने एक व्हाट्सएप ग्रुप बना लिया है जिस के सहयोग से कहीं पर भी फॉल्ट होता है ,तो सूचना यथाशीघ्र प्राप्त हो जाती है और उसे मिस्त्री रणधीर यादव को बताया जाता है, और कुछ समय पश्चात बिजली की व्यवस्था ठीक की जाती है। लेकिन झारखंड राज्य में जब से भाजपा की सरकार बदली है ,तब से बिजली विभाग नित्य नई-नई समस्याएं बताती रहती है ,हालाँकि विभाग भी क्या करे?कभी पावर कम ,कभी 11000 खराब, कभी 33000 खराब कभी ,कहीं तार गिर जाना ,कभी कहीं फॉल्ट हो जाना ,यह सब होते रहता है। नाम न छापने की शर्त पर एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा कि नावा क्षेत्र को किशुनपुर ,पाटन से ज्यादा बिजली मिलती है। बिजली तो बिजली है, किसी को चमका देती है ,तो किसी को चकमा देती है ।अभी हाल में बिजली की ऐसी स्थिति हो चली थी की जनता कभी केंद्र सरकार की बात पर विश्वास करती ,तो कभी राज्य सरकार की बात पर ,कभी बिजली कर्मचारियों की बातों पर। लेकिन अब जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष उमेश सिंह ने विद्युत कार्यपालक अभियंता मेदनीनगर को 5 अक्टूबर 2021 को एक चिट्ठी लिखा, जिसमें उन्होंने उल्लेख किया कि बिजली की व्यवस्था अविलंब सुधारी जाए ,पुरानी तारों को बदला जाय,जहाँ खम्भा की आवश्यकता है ,वहां खम्भा लगाया जाय,जहाँ ट्रांसफॉर्मर की आवश्यकता है, वहाँ ट्रांसफॉर्मर अविलंब लगाया जाय।इसकी सूचना स्थानीय विधायक श्री मति पुष्पा देवी, पूर्व सांसद मनोज कुमार (भाजपा नेता )को भी पत्र के माध्यम से दी है।न केवल किशुनपुर बल्कि उसके अगल-बगल के पंचायत में भी कहीं पॉल है, तो तार नहीं ,दोनों है तो ट्रांसफार्मर नहीं, और सारी व्यवस्था हो जाने पर बिजली की निर्बाध आपूर्ति नहीं ।हालांकि राज्य सरकार ने बिजली बिल की वसूली खूब जम कर के की है। लेकिन बकाया राशि पर ब्याज भी झारखंड सरकार की तरफ से बीच-बीच में माफ किया जाता रहा है। जिसका सीधा लाभ जनता को मिला है।जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष उमेश सिंह ने कहा है कि यदि 15 दिनों के अंदर बिजली की व्यवस्था नहीं सुधारी गई तो ग्रामीण जनता के साथ आंदोलन पर उतर जाएंगे। जिसकी जवाबदेही विद्युत कार्यपालक अभियंता मेदनीनगर की होगी।क्योंकि उन्होंने विद्युत कार्यपालक अभियंता को पत्र के माध्यम से पूरी जानकारी पूर्व में ही दी है। ऐसा नहीं है कि बिजली की खबर पहली बार खबरों में है।इस क्षेत्र की बिजली अपने आप में एक खबर बनी हुई है ।लेकिन बात फिर वहीं मिलाजुला कर के अटक जाती है। आपूर्ति कम होने की बात बिजली विभाग के अधिकारियों द्वारा बताई जाती है। सोचने वाली बात यह है कि 2019 के पहले बिजली की स्थिति बहुत अच्छी थी, लेकिन ना जाने इसे कौन सा रोग लग गया कि पाटन को ही बिजली की आपूर्ति कम की जाने लगी ? ऐसा बिजली विभाग में करने वाले लोगों के द्वारा बताया गया है।जबकि राज्य में कई जगह शक्ति गृह बनाए गए, साथ ही साथ क्षेत्रीय स्तर पर बिजली का सबस्टेशन भी बनाया गया है। बिजली तो बिजली है जले या ना जले आपका कलेजा तो जलेगा। अर्थात बिजली का बिल तो देना होगा, जो क्षेत्रीय जनता निर्बाध रूप से चुका रही है।