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कृषि विभाग की पहल का दिखने लगा असर।…

पूर्णिया के किसानों को भाने लगा स्वीट कॉर्न, बेबी कॉर्न की खेती*-संजय कुमार अग्रवाल,

मुकेश कुमार/सचिव कृषि श्री संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि खरीफ़ मौसम में कृषि विभाग द्वारा चयनित जिलों में स्वीट कार्न और बेबी कार्न की खेती की प्रोत्साहित करने के लिए योजना की शुरुआत की गई। स्वीट कार्न और बेबी कार्न का अच्छा मूल्य मिलने से किसानों का हौंसला बढ़ा और वे परंपरात फसलों की खेती के जगह बाज़ार में मांग वाली फसलों को अपनाना शुरू किया है।

पूर्णिया के किसानों राह दिखलाया।श्री अग्रवाल ने बताया कि पूर्णिया के विभिन्न प्रखंडों में 50 हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में किसानों द्वारा स्वीट कार्न और बेबी कार्न की खेती की गई। धमदाहा अनुमण्डल के 5 पंचायतों के किसानों ने स्वीट कॉर्न एवं बेबी कॉर्न को स्थानीय बाजार, होटल तथा हरनौत अवस्थित अनंतजीत फूड प्राइवेट लिमिटेड, नालंदा भेजकर लाभ प्राप्त किया।

स्वीट कार्न और बेबी कार्न का बाजार में मांग

सचिव कृषि बताया कि स्वीट कार्न और बेबी कार्न दो महीने में हार्वेस्ट कर लिया जाता है।।एक हेक्टेयर में स्वीट कार्न और बेबी कार्न से लगभग 18 से 20 क्विंटल उपज प्राप्त होता हैं और स्थानीय बाजार में 100 रूपए प्रति किलो तथा जिला से बाहर बेचने पर किसानों को 80 रूपये प्रति किलो की दर से उपज का मूल्य मिलता हैं।

अन्य किसानों को प्रेरित कर रहा है स्वीट कॉर्न और बेबी कार्न की खेती

पथराहा पंचायत के श्री चंदन कुमार मंडल, श्रीमति फूल कुमारी देवी, आदि के बेबी कॉर्न / स्वीटकार्न की खेती से प्रभावित होकर बगल के पंचायत लक्ष्मीपुर के किसान श्री मंटू यादव तथा दूसरे किसानों के द्वारा बेबी कॉर्न की खेती की गई है। कृषि विभाग द्वारा किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान पर स्वीट और बेबी कार्न का बीज उपलब्ध कराया जा रहा हैं।

फसल अवशेष का बेहतर प्रबंधन उन्होंने कहा कि स्वीट कार्न और बेबी कार्न के हार्वेस्टिंग के बाद पौधे के डंठल और अवशेष पशुओं के लिए हरा चारा के रूप में उपयोग पशुपालक किसानों द्वारा किया जा रहा हैं।

स्वीट कार्न और बेबी कार्न की योजना का विस्तार।

सचिव कृषि ने बताया कि इस रबी मौसम में 15 से अधिक जिलों में बेबी कॉर्न और स्वीट कॉर्न की खेती के लिए योजना स्वीकृत किया गया है। इसके लिए किसानों को 50% अनुदान पर बीज के साथ – साथ आवश्यक उपादान उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि किसानों को कम लागत पर अधिक फायदा हो सकें।

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