*जमाना बड़े शौक से सुन रहा था तुम ही सो गए यह दास्तान कहते-कहते : राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खा*

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, ::बिहार विधान परिषद के सभागार में वरिष्ठ पत्रकार और इंडियन फेडरेशन का वर्किंग जर्नलिस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष के विक्रम राव जी को अर्पित श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ स्वर्गीय के विक्रम राव के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई।
श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा है कि आईपीएस अधिकारी चयनित होने के बावजूद, उन्होंने पत्रकारिता को महत्व दिया। उन्होंने पत्रकारिता को प्राथमिकता दी, और पत्रकारों और पत्रकारिता के हितों में निरंतर संघर्ष करते रहे। उन्होंने लोकतंत्र को मजबूत किया। वह एक योद्धा पत्रकार थे। उनके द्वारा किए हुए कार्य न सिर्फ पत्रकारिता के क्षेत्र में बल्कि अन्य क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को भी निरंतर प्रेरित करते रहेगा।
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि के विक्रम राव जी के साथ उनकी पहली मुलाकात दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में उसे वक्त हुई थी जब वह एक प्रशिक्षु वकील के तौर पर वहां काम कर रहे थे। आपातकाल के दौरान बड़ौदा डायनामाइट केस में जॉर्ज फर्नांडिस के साथ उनको अभियुक्त बनाया गया था। कोर्ट में सुनवाई के दौरान कम उम्र होने के बावजूद भी मेरे मुंह से कुछ निकला और सीजेएम के प्रोत्साहन के बाद राव साहब की नजर भी मुझ पर पड़ी। बाद के दिनों में लखनऊ में उनसे मुलाकात हुई और उनको करीब से जानने का अवसर मिला। हमारे संबंध धीरे-धीरे प्रगाढ़ होते गए। आजीवन निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से पत्रकारिता करते रहे। उनके निधन की खबर मिलने पर उनके अंत्येष्टि में भी मैं शामिल हुआ। उनके कलम आजीवन चलती रहे। उनके बारे में कहा जा सकता है कि “जमाना बड़े शौक से सुन रहा था तुम्ही सो गए दास्तान कहते-कहते।”
गौरतलब है कि वरिष्ठ पत्रकार एवं ‘इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स’ (IFWJ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. के. विक्रम राव ने 12 मई की सुबह लखनऊ के एक निजी अस्पताल में आखिरी सांस ली। सांस संबंधी तकलीफ के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उपचार के दौरान ही उनका निधन हो गया
था।
डॉ. राव पत्रकारिता के क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय थे। उन्होंने श्रमजीवी पत्रकारों की आवाज को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूती से उठाया। उनका जीवन संघर्षशील पत्रकारिता, सिद्धांतनिष्ठ विचारों और निर्भीक लेखनी का पर्याय रहा। उनके पिताजी के. रामाराव भी देश के जाने-माने पत्रकार थे और बेटे के. विश्वदेव राव भी पत्रकार हैं।
इस अवसर पर एमएलसी प्रोफेसर रणवीर नंदन मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि मैं भी पटना हाई स्कूल का छात्र था। पटना के इस स्कूल में स्व राव भी छात्र थे। बाद के दिनों में लखनऊ विश्वविद्यालय से उन्होंने मास्टर किया और एक पत्रकार के तौर पर उन्होंने कई देशों का दौरा किया। वास्तव में पत्रकारों के हक की लड़ाई नहीं लड़ते थे बल्कि उनके प्रशिक्षण पर भी विशेष ध्यान देते थे यही वजह है कि उन्हें कई पत्रकारों को प्रशिक्षण के लिए विदेश में भी भेजा। उन्होंने एक संपूर्ण जीवन जिया।
डीआरएम समस्तीपुर विनय कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि वह अपनी बात पूरी निर्भीकता का साथ कहते थे। अपने लिए उन्होंने कभी कोई लाभ नहीं लिया।
इंडियन फेडरेशन का वर्किंग जर्नलिस्ट
प्रदेश अध्यक्ष प्रमोद दत्त एक पेशेवर पत्रकार के तौर पर वह अंत तक आलेख लिखते रहे। उनके निधन से पत्रकार नेतृत्व विहीन महसूस कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि पत्रकारों ने केन्द्र सरकार से अनुरोध किया है कि डॉ के विक्रम राव को मरणोपरांत सम्मान देकर सम्मानित किया जाय।
श्रद्धांजलि सभा में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मोहन कुमार, प्रदेश अध्यक्ष प्रमोद दत्त, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ ध्रुव कुमार, उपाध्यक्ष मुकेश कुमार सिन्हा उर्फ मुकेश महान, अभिजीत पाण्डेय, आरती कुमारी, महासचिव सुधीर कुमार मधुकर, चितरंजन जी, आशुतोष पाण्डेय सहित अन्य सदस्यगण उपस्थित थे।
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