किशनगंजताजा खबरप्रमुख खबरेंब्रेकिंग न्यूज़राज्य

किशनगंज : जिला शिक्षा विभाग की कमेटी ने शुरू की जांच।

आरटीई घोटाले में रद्द हो सकता है निजी विद्यालय का निबंधन, निजी विद्यालय को नामांकित लाभुकों के परिजन को लौटाना था वसूले गए फीस का 10 गुना।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, सरकार की महत्वाकांक्षी योजना शिक्षा का अधिकार अधिनियम में हुए घोटाला आखिरकार जिला शिक्षा विभाग ने माना कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम में नामांकित बच्चों के परिजनों के साथ निजी विद्यालय ने धांधली की है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिला शिक्षा विभाग का जांच चरम पर है। जल्द ही डीएम को जांच रिपोर्ट सौंपी जाएगी। वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान में जिस निजी विद्यालय का जांच किया जा रहा था उसका जांच अंतिम चरण में है। जांच में परिजनों का शिकायत सही पाया गया है। आरटीई के जानकारों की माने तो इस मामले में शहर के एक बड़े स्कूल का निबंधन भी रद्द हो सकता है या आर्थिक जुर्माना भी किया जा सकता है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शहर के एक बड़े विद्यालय जो कि आरटीई के लाभुक अभिभवाक से फीस लिए थे उन्हें फीस ब्याज सहित वापस कर रहे है। फीस वापस करने में भी आरटीई एक्ट का उल्लंघन किया जा रहा है। आरटीई एक्ट 2009 के तहत अगर कोई भी व्यक्ति या फिर विद्यालय आरटीई एक्ट का पालन न करके उस बच्चे से फीस की मांग करता है तो उस विद्यालय को उस विद्यालय की फीस का 10 गुना भुगतान करना पड़ेगा और केवल यह ही नहीं सरकार द्वारा उस विद्यालय की मान्यता को भी रदद् किया जा सकता है। लेकिन फीस सिर्फ अभिभावक के जमा फीस व जमा फीस के ब्याज का राशि दिया जा रहा है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या फीस वापस करने से इनका गुनाह कम हो जाएगा। हालांकि इस मामले को उजागर करने वाला समाजसेवी सैयद आबिद हुसैन उर्फ फूल बाबू ने कहा कि फीस वापस करने से इनका गुनाह माफ नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आरटीई के तहत जो भी नामांकन बच्चों का किया गया है उन सभी विद्यालयों का जांच होना चाहिए। जिला के ऐसे निजी विद्यालय जो शिक्षा का अधिकार अधिनियम योजना में धांधली किए है उन सभी विद्यालयों पर कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि आगे चल कर ऐसी गलती कोई भी विद्यालय नहीं कर सके। गौरतलब हो कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 का मुख्य उद्देश्य यह है की 6 वर्ष से लेकर 14 वर्ष के बच्चों को निजी विद्यालय में मुफ्त में शिक्षा प्रदान की जाए ताकि जिन बच्चों के घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहने के कारण पढ़ नहीं पाते तो उनको भी पढ़ने का मौका दिया जाए।

क्या है मामला:

शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत शिक्षा विभाग के राशि भेजने के बावजूद शहर के कुछ बहुचर्चित निजी विद्यालय उन बच्चों के अभिभावकों से प्रतिमाह स्कूल फीस भी वसूली करते आ रहा है। सरकार की महत्वाकांक्षी योजना, शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 का इन विद्यालयों द्वारा खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है। जिसमें शिक्षा विभाग किशनगंज की भी भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे है। किशनगंज के 70 निजी विद्यालयों में वित्तीय वर्ष 2017-18 एवं 2018-19 में 1,45, 11,951 रुपये शिक्षा विभाग, पटना से भेजा गया है। राज्य सरकार द्वारा प्रति छात्र आठ से 12 हजार रुपये, प्रतिवर्ष प्रतिपूर्ति राशि दी जाती है। इसके बावजूद किशनगंज जिले के बहुचर्चित विद्यालय के द्वारा इन लाभुकों के अभिभावकों से स्कूल फीस वसूला गया। जिसकी भनक उन अभिभावकों तक को नहीं हुई। हालांकि इस मामले का खुलासा होने से कुछ विद्यालय में हड़कप मच गया है। अभिभावको राशि लौटाई जा रही है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button