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ईश्वर के ध्यान लगाने से टल जाता है बड़ा से बड़ा संकट : श्री गोविंद जी महाराज

गुड्डू कुमार सिंह आरा.तरारी प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत सिकरहटा थाना क्षेत्र के सिकरौल गांव में मंगलवार को भागवत कथा के दौरान श्री गोविंदाचार्य जी महाराज ने कहा कि मनुष्य चाहता है कि हमारी सभी इच्छाएं पूर्ण हो।. लेकिन आश्चर्य यही है कि संसार के किसी भी प्राणी की सभी इच्छाएं कभी पूरी नहीं हुई है।. क्योंकि इच्छाओं का दमन नहीं हो पा पाता है.। एक इच्छा की पूर्ति होने के बाद स्वतः दूसरी इच्छा खड़ी हो जाती है , जो दुःख का कारण है.। इसलिए इच्छाओं की पूर्ति से ज्यादा इच्छाओं का दमन करना जरूरी है। जब तक इच्छाओं का दमन नहीं होगा , तब तक हम परमात्मा की ओर अग्रसर नहीं हो सकते.। जितना सांसारिक चीजों में माया मोह बढ़ता जाएगा , उतना ही हम परमात्मा से दूर होते चलते जाएंगे।. अतः जीवन में परमात्मा की प्राप्ति की इच्छा करने वाले लोगों को पहले अपने इच्छाओं का दमन करना और इंद्रियों को बस में रखना चाहिए।. क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूर्ण नहीं हो सकती . आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है. ।लेकिन इच्छाओं को पूरा कभी नहीं किया जा सकता है. अगर अपने अंदर कुछ विशेषता दिख रही है तो समझिए यह शरणागति और ईश्वर प्राप्ति में बाधक है. ।वेदों का सार उपनिषद है , उपनिषदों का सार गीता है और गीता का सार भगवान की शरणागति है. ।जब तक अपने बल का अभिमान रहता है तब तक शरणागति नहीं हो पाती है . शरणागति बहुत सुगम है , पर अभिमानी व्यक्ति के लिए बहुत कठिन है.। मैं कुछ कर सकता हूं यह अभिमान जब तक रहेगा तब तक शरणागति होना कठिन है।. श्री महाराज जी ने कहा कि ईश्वर की शरणागति होने पर मनुष्य सदा के लिए निर्भय हो जाता है.।

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