टीबी मुक्त भारत की ओर कदम: “स्वस्थ नारी–सशक्त परिवार” अभियान के तहत किशनगंज में शुरू हुआ व्यापक टीबी स्क्रीनिंग अभियान

किशनगंज,20सितम्बर(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, भारत सरकार द्वारा वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत का जो लक्ष्य तय किया गया है, उसकी दिशा में किशनगंज जिला तेज़ी से सक्रिय प्रयास कर रहा है। जिले में प्रतिमाह औसतन 150 नये टीबी मरीजों की पहचान हो रही है, जिसे देखते हुए अब इस अभियान को और सशक्त बनाने के लिए इसे “स्वस्थ नारी–सशक्त परिवार” अभियान से जोड़ा गया है।
इस अभियान का विशेष फोकस महिलाओं और स्कूली बच्चियों की टीबी स्क्रीनिंग, एचपीवी वैक्सीनेशन और स्वास्थ्य जागरूकता पर रखा गया है।
बेलवा, मोतिहारा व हालामाला में निरीक्षण, दिए गए अहम निर्देश
शनिवार को इस अभियान के तहत मुख्य विकास पदाधिकारी (सीडीओ) डॉ. मंजर आलम एवं नंद किशोर राजा ने क्रमशः पीएचसी बेलवा, एचडब्ल्यूसी मोतिहारा, एवं एचडब्ल्यूसी हालामाला का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने टीबी रेफरल, स्क्रीनिंग व रिपोर्टिंग व्यवस्था की गहन समीक्षा की और स्वास्थ्यकर्मियों को निर्देश दिया कि कोई भी संदिग्ध मरीज जांच से न छूटे।
सीडीओ डॉ. मंजर आलम ने कहा, “अक्सर लोग महीनों तक खांसी को सामान्य समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे टीबी फैलने का खतरा बढ़ जाता है। यह सुनिश्चित किया जाए कि हर संदिग्ध मरीज की समय पर जांच हो और जरूरत होने पर उसे रेफर किया जाए।”
स्वास्थ्य सशक्तिकरण में महिलाओं और बच्चियों की भागीदारी को प्राथमिकता
कार्यक्रम के तहत स्कूली बच्चियों की भी जांच की जा रही है। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि “स्वस्थ नारी ही सशक्त परिवार की नींव है। यदि महिलाओं और बच्चियों की समय पर स्वास्थ्य जांच, टीबी स्क्रीनिंग और वैक्सीनेशन की व्यवस्था हो, तो न केवल टीबी बल्कि कई अन्य गंभीर बीमारियों की रोकथाम भी की जा सकती है।”
एचपीवी वैक्सीनेशन और स्वच्छता पर विशेष ध्यान
अभियान के अंतर्गत स्कूली बच्चियों को एचपीवी वैक्सीन दी जा रही है, ताकि भविष्य में सर्वाइकल कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों से उन्हें बचाया जा सके। इसके अलावा उन्हें स्वच्छता, व्यक्तिगत स्वास्थ्य, और पोषण संबंधी जागरूकता भी प्रदान की जा रही है।
स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि “बचपन में ही स्वास्थ्य शिक्षा और टीकाकरण देना, उनके पूरे जीवन के स्वास्थ्य का निवेश है।”
टीबी का इलाज अधूरा न छोड़ें: सिविल सर्जन की अपील
सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने कहा कि “टीबी पूरी तरह से ठीक होने वाली बीमारी है, लेकिन इसके लिए ज़रूरी है कि मरीज पूरी दवा का कोर्स लें। दवा अधूरी छोड़ने से यह बीमारी दोबारा और ज्यादा खतरनाक हो सकती है।”
उन्होंने यह भी बताया कि इस अभियान के माध्यम से अब महिलाओं और बच्चियों की बड़ी संख्या में स्क्रीनिंग कराकर टीबी उन्मूलन को नई गति दी जा रही है।
डीएम विशाल राज का जनसंदेश: “भागीदारी से ही पूरा होगा टीबी मुक्त भारत का सपना”
जिलाधिकारी विशाल राज ने आमजन से अपील करते हुए कहा: “टीबी से डरने की नहीं, बल्कि समय पर जांच और इलाज की ज़रूरत है। एक स्वस्थ नारी, न केवल परिवार को सशक्त बनाती है बल्कि पूरे समाज की नींव मजबूत करती है। इस अभियान में हर परिवार, हर गांव, हर नागरिक की भागीदारी आवश्यक है। अगर हम सब मिलकर प्रयास करें, तो 2025 तक टीबी मुक्त भारत का सपना अवश्य साकार होगा।”