खाद्य सुरक्षा के लिए वैश्विक मानक स्थापित करना- दुनिया को आगे बढ़ने का रास्ता दिखाना श्री सुनील डिसूजा प्रबंध निदेशक एवं सीईओ टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स
त्रिलोकी नाथ प्रसाद:-एक दशक से भी कम समय में, भारत का खाद्य और कृषि क्षेत्र इस तरह से फला-फूला है कि इसे शानदार उपलब्धि से कम कुछ भी नहीं कहा जा सकता। कृषि और डेयरी उत्पादन से लेकर खाद्य प्रसंस्करण उद्योग तक के आंकड़े विकास की इस गाथा का विवरण देते हैं।
देश में 2022-23 के दौरान कुल खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 3296.87 लाख टन1 होने का अनुमान है- जो पिछले पांच वर्षों (2017-18 से 2021-22) के औसत खाद्यान्न उत्पादन की तुलना में 308.69 लाख टन अधिक है। 2021-22 के दौरान, भारत ने 107.24 मिलियन टन2 फलों और 204.84 मिलियन टन सब्जियों का उत्पादन किया था।
भारत दूध उत्पादन में पहले स्थान पर है और वैश्विक दूध उत्पादन में 24.64 प्रतिशत का योगदान देता है। दूध उत्पादन 2014-15 के 146.31 मिलियन टन से बढ़कर 2022-23 में 230.58 मिलियन टन3 हो गया है और यह 5.85 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ रहा है।
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) 2014-15 के 1.34 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2021-22 में 2.08 लाख करोड़ रुपये4 हो गया है। इस क्षेत्र ने अप्रैल 2014-मार्च 2023 के दौरान 6.185 बिलियन डॉलर का एफडीआई इक्विटी प्रवाह आकर्षित किया है। कृषि निर्यात में प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात की हिस्सेदारी 2014-15 के 13.7 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 25.6 प्रतिशत हो गई है। कुल पंजीकृत/संगठित क्षेत्र में 12.22 प्रतिशत रोजगार के साथ, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र संगठित विनिर्माण क्षेत्र के सबसे बड़े रोजगार प्रदाताओं में से एक है।
इस सुदृढ़ खाद्य और कृषि इकोसिस्टम को देखते हुए, कोई भी व्यक्ति भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा मजबूत नियामक व्यवस्था की स्थापना करने के महत्व को नजरअंदाज नहीं कर सकता है। यह नियामक व्यवस्था न केवल देश भर में सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित करके उपभोक्ता के स्वास्थ्य की रक्षा करती है, बल्कि खाद्य उद्योग में विकास और नवाचार को भी बढ़ावा देती है।
नियमों, मानकों और कठोर कार्यान्वयन व्यवस्था के माध्यम से खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने पर एफएसएसएआई के विशेष ध्यान ने उपभोक्ताओं के बीच विश्वास पैदा किया है और इससे हमारे खाद्य उत्पादों पर विश्वास भी बढ़ा है।
प्राथमिक परीक्षण प्रयोगशालाओं और रेफरल प्रयोगशालाओं की संख्या (2014 के 12 से 2023 में 22) बढ़ाकर खाद्य परीक्षण अवसंरचना को मजबूत करने के खाद्य प्राधिकरण के प्रयास, खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रति इसकी कटिबद्धता को रेखांकित करते हैं। विशेष कार्यान्वयन अभियान और निगरानी अभियान; मिलावट, खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में उपभोक्ता विश्वास को बनाए रखना जैसे मुद्दों का समाधान करते हैं।
देश के खाद्य क्षेत्र में विकास के साथ तालमेल के रूप में, खाद्य प्राधिकरण में वैज्ञानिक पैनलों की संख्या 2013 की 9 से बढ़कर वर्तमान में 21 हो गई है, जिनमें अनाज, दूध और दूध उत्पाद, फल, सब्जियां व मसाले, तेल और वसा, जल, मछली एवं मत्स्य पालन, मांस और मांस उत्पाद, मिठाइयां, आनुवंशिक रूप से संशोधित जीव और भोजन, खाद्य योजक आदि खाद्य पदार्थों के लिए मानकों की पूरी श्रृंखला शामिल है। प्राधिकरण ने खाद्य सुरक्षा और पोषण के क्षेत्र में काम कर रहे आईसीएमआर, सीएसआईआर, आईसीएआर, निफ्टम, आईआईटी जैसे विभिन्न वैज्ञानिक संगठनों के 200 से अधिक वैज्ञानिक विशेषज्ञों को सूचीबद्ध किया है।
एफएसएसएआई ने 700 से अधिक खाद्य मानक विकसित किए हैं और इनकी समीक्षा खाद्य विज्ञान में नवीनतम विकास, खाद्य उपभोग प्रारूप, नए उत्पादों और संयोजकों, प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी व खाद्य विश्लेषणात्मक तरीकों में प्रगति तथा खाद्य उत्पादों के लिए राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मानकों के बीच के अंतर को पाटने की दृष्टि से भी की जाती है।
पिछले दशक में, देश के शीर्ष खाद्य नियामक ने अपने दृष्टिकोण, काम करने के तरीके और नियामक निर्धारण व कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जिससे प्रमुख हितधारकों के बीच प्रदर्शन और धारणा दोनों का समाधान हुआ है। इसने एक ‘मानक निर्धारक’ से ‘मानक सक्षमकर्ता’ के रूप में अपनी भूमिका में एक स्पष्ट बदलाव किया है, जिससे एक सकारात्मक, सहयोगात्मक और समावेशी वातावरण बनाने में मदद मिली है। यह व्यापार करने में आसानी की सुविधा प्रदान करने के साथ खाद्य क्षेत्र की वास्तविक क्षमता का लाभ उठाने के अनुकूल है।
एफएसएसएआई ने भारतीय खाद्य प्रयोगशाला नेटवर्क (इन्फोलनेट), खाद्य सुरक्षा अनुपालन प्रणाली (एफओएससीओएस) और खाद्य आयात निकासी प्रणाली (एफआईसीएस) जैसे डिजिटल प्लेटफार्म विकसित किये हैं, जिसने नियमों को सुव्यवस्थित करने, लाइसेंसिंग प्रक्रिया को सरल बनाने, क्षमता निर्माण करने और हितधारकों को जोड़ने के जरिये खाद्य व्यवसाय इकोसिस्टम के सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
हितधारकों की बढ़ती जरूरतों और मांगों को ध्यान में रखते हुए, एफएसएसएआई ने उपयोगकर्ता अनुभव को बढ़ाने के विभिन्न उपाय किये हैं, जैसे लाइसेंस/पंजीकरण शुल्क के लिए डिजिटल भुगतान गेटवे, दस्तावेजों को जमा करने और पंजीकृत ई-मेल पर सीधे क्यूआर-के साथ लाइसेंस/पंजीकरण की प्रति भेजना आदि। 2023 से, खाद्य व्यवसायों को अधिकारियों के किसी हस्तक्षेप या अनुमोदन की आवश्यकता के बिना अपने लाइसेंस को तुरंत नवीनीकृत करने की अनुमति दी गई है। इसके अलावा, यदि खाद्य निर्माता अब अपने लाइसेंस में अन्य गैर-उच्च जोखिम वाले खाद्य उत्पादों को शामिल करना चाहते हैं, तो वे अपने लाइसेंस को तुरंत संशोधित कर सकते हैं।
देश में खाद्य व्यवसायों के संदर्भ में, सक्रिय लाइसेंस की संख्या वित्तीय वर्ष 2015 के 5.7 लाख से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2023 में 10.1 लाख हो गयी है। यह वृद्धि इन प्रयासों के परिणामों को रेखांकित करती है। इसके अलावा, सक्रिय पंजीकृत खाद्य व्यवसायों (विक्रेताओं) की संख्या इस अवधि के दौरान 23.8 लाख से बढ़कर 42.7 लाख हो गई है।
इन पहलों का कारोबार करने में आसानी पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है, जिसके परिणामस्वरूप उद्यमशीलता में वृद्धि हुई है और भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में भी योगदान बढ़ा है।
अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 के दौरान, एफएसएसएआई ने मोटे अनाजों को बढ़ावा देने और नियमित आहार में इसे शामिल करने के निरंतर प्रयास किये हैं। इन प्रयासों से पैदा हुई जागरूकता के कारण मोटे अनाज-आधारित खाद्य उत्पादों की मांग में वृद्धि हुई है, जो न केवल नागरिकों के समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर रही है, बल्कि छोटे किसानों की आय में भी वृद्धि के साथ देश की पोषण सुरक्षा भी सुनिश्चित कर रही है।
इसके अलावा, एफएसएसएआई ने 15 प्रकार के मोटे अनाजों पर समूह मानक विकसित किए हैं, जो 8 गुणवत्ता मानक निर्दिष्ट करते हैं। 188 सदस्य देशों के साथ संयुक्त राष्ट्र के डब्ल्यूएचओ और एफएओ द्वारा बनाई गई एक अंतर्राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता मानक-निर्धारण निकाय, कोडेक्स एलिमेंटेरियस कमीशन (सीएसी) ने मोटे अनाजों पर भारत के मानकों की प्रशंसा की और मोटे अनाजों के लिए वैश्विक मानकों के विकास से जुड़े इसके प्रस्ताव को नवंबर 2023 में रोम, इटली में आयोजित 46वें सत्र में स्वीकार कर लिया। यह वैश्विक मानकों के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण आधार के रूप में कार्य करता है।
एफएसएसएआई ने आयुर्वेद आहार, जैविक भारत (जैविक खाद्य उत्पाद) और विशिष्ट शाकाहारी भोजन जैसे क्षेत्रों की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए अधिसूचनाओं की एक श्रृंखला जारी करने में भी सक्रिय भूमिका निभायी है, जो उभरती उपभोक्ता प्राथमिकताओं के प्रति इसकी कटिबद्धता को रेखांकित करते हैं।
जागरूकता पैदा करने के अलावा, एफएसएसएआई ने विशेष पोषक तत्वों वाले खाद्य के लिए +F लोगो भी लॉन्च किया है, जिसके परिणामस्वरूप उद्योग ने स्वेच्छा से गेहूं और दूध जैसे खाद्य पदार्थों को विशेष पोषक तत्वों से युक्त करना शुरू कर दिया है।
न केवल ईट राइट इंडिया आंदोलन के माध्यम से, बल्कि उद्योग हितधारकों के साथ सहयोग के जरिये भी खाद्य सुरक्षा जागरूकता और शिक्षा को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करके, एफएसएसएआई ने व्यवसायों को खाद्य उत्पादन, रख-रखाव, भंडारण और वितरण में सर्वोत्तम तौर-तरीकों का पालन करने के प्रति सशक्त बनाया है।
खाद्य सुरक्षा एक साझा जिम्मेदारी है और भारत के खाद्य इकोसिस्टम के अंतर्गत एक हितधारक के रूप में, यह उद्योग पर भी निर्भर है कि वह अनुकरणीय तौर-तरीकों को अपनाए और आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित, पौष्टिक और सतत खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित करने के एफएसएसएआई के मिशन में अपना समर्थन और सहयोग जारी रखे।
संदर्भ-
1. https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1968931
2. National Horticulture Board, Ministry of Agriculture and Farmers Welfare, Government of India
3. https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1988609
4. https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1991108
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