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पुरानी संसद में पिता के साथ की यादों को याद कर भावुक हुए चिराग।…

त्रिलोकी नाथ प्रसाद:- कहा – इतिहास की कई सुनहरी यादों के साथ पुरानी संसद से विदाई लेना एक भावुक पल है। जब 2014 में पहली बार मैं संसद सदस्य बनकर आया था तो मेरे नेता मेरे पिता ने हाथ पकड़कर संसद का परिचय कराया था और कल जब नए संकल्प और नई उम्मीद के साथ भारत की नई संसद जाऊंगा तो पापा की कमी जरूर महसूस होगी। साथ ही यह भी विश्वास दिलाता हूं की अपने नेता के द्वारा दिखाए गए मार्ग पर ही चलता रहूंगा।