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बिहार में विपक्ष ‘‘खिसियानी बिल्ली खंभा नोंचे’’ के मुहावरे को चरितार्थ कर रही!

रंजीत कुमार सिंहा एक पुरानी कहावत है ‘‘खिसियानी बिल्ली खंभा नोंचे’’। लोगों ने कहावत तो सुना ही होगा । लेकिन, जो गांव में नहीं रहे हैं, और जिन्होंने फूस और छप्पर के घर नहीं देखें हैं, तो उन्होंने यह नहीं ही देखा होगा कि जब बिल्लियां, छत के धरान नीचे लगे खंभों से बांध कर दूध, दही, धी और मख्खन लटका दिया जाता था और जब वह वहां कई बार कोशिश कर भी नहीं पहुँच पाती थीं, तो वह खंभा नोचने लगती थी। यही स्थिति आज बिहार में विरोधी दलों की हो गयी है। अरे भाई! लोकतंत्र है । चुनाव हो गया, आप हार गये, नीतीश कुमार जी ने सरकार बना ली तो अब ताकझांक मत कीजिए कि कैबिनेट में क्या हो रहा है। कहां क्या हो रहा है। किसका कौन सा एजेंडा कैबिनेट में आ रहा है और किसका नहीं । अगर कोई अच्छा काम हो रहा है तो उसका समर्थन कीजिए। अगर आपकी समझ से अच्छा नहीं हो रहा है तो उसका लोकतांत्रिक प्रक्रिया से विरोध कीजिए । लेकिन, आप अपने घर में आपकी बहू-बेटियां क्या कर रही है, तो वह नहीं देख रहे हैं, लेकिन पड़ोसी घर में ताकझांक रहे हैं, यह ठीक नहीं है।

 

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