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गरीबों की आह व बद्दुआ से खूद को बचे और और देश को बचा ले मोदी जी, वरणा आप तो भस्म हो ही जायेंगे, देश का भी सर्वनाश हो जायेगा।

अनिला कुमार मिश्र:-एचडीएफसी के एक फाका सड़े गले,चुनी- खुदी,चावल गेहूँ तथा पुलिस की लाठी से से गरीबों को पेट भरने वालि नहीं है,मोदी जी

गरीबों को घरों में जिंदा रहने के लिए कम से कम भर पेट माड़ -भात ,एक ढ़ेढ़ी मिर्चा और नमक के साथ खाना पकाने के लिए जलावन भी चाहिए ।

कड़वी सच

घरों में ही रहना “महामंत्र” है और घरों में रहकर ही कोरोना से बचाव किया जा सकता है, महामरी से लड़ा या बचा जा सकता है के प्रधानमंत्री महामंत्र से सहमत है। घरों में ही रहना “महामंत्र” है कि बात करने वाले जिस देश के प्रधानमंत्री जी को यह भी पत्ता नही हैं कि घर में रहने के लिए गरीबों को भी कम से कम दो जून की रोटी चाहिए, जिसके बिना गरीबों को घर में रहना संभव नहीं हैं।एचडीएफसी के एक फाका सड़े -गले, चुनी- खुदी, गेहुँ व चावल तथा पुलिस की लाठी से गरीबों का पेट भरने वाला नहीं है और एक फाका अनाज फाकर गरीब अपने घरों में नहीं रह सकते। मोदी जी यह आप कैसे भूल गये कि घर में गरीबों को जिंदा रहने के लिए कम से कम भर पेट माड़ -भात ,एक ढ़ेढ़ी मिर्चा और नमक के साथ खाना पकाने के लिए जलावन भी चाहिए । जिसके बिना लोगों को घरों में रहना संभव नहीं है

केन्द्रीय योजना का शत- प्रतिशत राशि 100 में से 100 रूपये जनता तक उनके बैंक खातें में पहुँचाने का दवा करने वाले हमारे देश का प्रधानमंत्री मंत्री जी को न जाने आज क्या हो गया है और देश के वंचित कमजोर गरीब व लाचार लोगों के सामने अपंगु व विवश क्यों दिखाई दे रहे है। क्या सत्ता की बहुमत प्राप्त नहीं होने तक प्रधानमंत्री मंत्री जी को देश में भ्रष्टाचार व अपराध दिखाई दे रहा था और सत्ता को प्राप्त होते ही पुर्व की ब्यवस्था शिष्टाचार बन गया। क्या भ्रष्टाचार के बह रहे गंगोत्री में भी सबकुछ इन्हें जाईज और अच्छे दिखाई देने लगे है।

प्रधानमंत्री जी यह नहीं भूलें कि गरीबों को घरों में रहने के लिए दो वक्त/ दो जून की रोटी चाहिए,आपके थोथीदलील
और झूठे अश्वासन नहीं चाहिए और न ही पुलिस की लाठी से गरीबोँ का पेट भरने वाला है।

खाद सुरक्षा,

देश में लागू खाद सुरक्षा क्या केंद्रीय योजना नहीं है फिर बिहार में विफल क्यों है जिन्हें लाभ नहीं मिलना चाहिए, उनके नाम खाद सुरक्षा के सूची में है । आपके दिशानिर्देश के वावजूद भी आपके विभाग एचडीएफसी और संबंधित अधिकारी किसानों से तो अच्छे से अच्छे चावल -गेहूं की खरीद करते हैं।आदेश व दिशानिर्देश के विपरीत किसानो से अधिक धान गेहुँ प्राप्त कर खुद ही कम दाम देते फिर अच्छे चावल गेहूँ कहाँ चले जाते है और जनता के बीच एचडीएफसी से सड़े गले, चुनी खुदी, गेहुँ चावल कहाँ से चले आते है।

बिहार में तो आपके गठबंधन के ही सरकार है मोदी जी

फिर गरीब लुटे जा रहे हैं ऐसा क्यों हो रहा है ?
बिहार से कहीं झारखंड में 1 रुपये प्रति किलों अच्छे से अच्छे चावल और गेहूँ मिल जाते हैं बिहार में तो 5 किलो के जगह 04 किलो वह भी वजन में कम । 2 और 3 रूपये प्रतिकिलो के जगह 2 रूपये 50 पैसे और 3 रूपये 50 पैसे प्रति किलो चावल और गेहूँ दिया जाता है।

क्या ऐसे प्रधानमंत्री के बदौलत ही चाटुकार लोग हमारे देश को विश्वगुरु बनाने चले हैं। अगर हाँ तो इससे शर्मणाक हमारे देश के लिए और हो भी क्या सकता है।

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