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किशनगंज : स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर बनाने के लिए बजट एवं व्यय के लिए जिला स्वास्थ समिति में सिविल सर्जन की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक आयोजित।

बैठक में स्वास्थ्य विभाग की सभी कार्यक्रम की समीक्षा की गई, परिवार कल्याण कार्यक्रम को बढ़ावा देने पर जोर..

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, जिला स्वास्थ्य समिति के सभागार में शुक्रवार को सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर की अध्यक्षता में स्वास्थ्य विभाग की वार्षिक बजट एवं व्यय के लिए समीक्षात्मक बैठक आयोजित की गई। मासिक बैठक की अध्यक्षता कर रहे सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने प्रखंडवार बजट एवं व्यय एवं मातृत्व स्वस्थ्य, शिशु स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, किशोर-किशोरी कार्यक्रम, वेक्टर जनित रोग, टीबी नियत्रंण, अंधापन, गैर संचारी रोग, एएनसी जांच, टीकाकरण, संस्थागत प्रसव एवं अस्पताल में प्रसव से जुड़ी सेवाओं की समीक्षा की, बैठक में परिवार कल्याण कार्यक्रम को बढ़ावा देने, प्रसव कक्ष की बेहतरी सहित अन्य योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक को संबोधित करते हुए सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने कहा की जिले में स्वास्थ्य विभाग की ओर से चलाई जा रही विभिन्न प्रकार की योजनाओं का लाभ जरूरतमंद लोगों को हर हाल में मिलना चाहिए। गर्भवती माताओं एवं नवजात शिशुओं के लिए चलाया जा रहा टीकाकरण अभियान का अनुपालन शत-प्रतिशत होना चाहिए। विदित हो कि जिले के सभी चिकित्सा केन्द्रों में प्रतिदिन दर्जनों की संख्या में गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच की जाती है। जिले में मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाने, डिलीवरी के दौरान व इसके तत्काल बाद जच्चा-बच्चा को बेहतर स्वास्थ्य देखभाल की सुविधा दी जा रही है। उन्होंने सभी प्राथमिकी स्वास्थ्य केन्द्र से आए प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को जानकारी देते हुए कहा सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में सभी बीमारियों की दवा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। आवश्यकतानुसार दवा का उठाव सुनिश्चित करें। उन्होंने बजट के अनुसार प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को खर्च हेतु दी गई राशि के खर्च की समीक्षा भी की। पीपीआईयूसीडी (प्रसव उपरांत कॉपर-टी) की जानकारी दी गई। परिवार नियोजन के लिए आइयूसीडी (कॉपर-टी) सबसे उपयुक्त माध्यम है। चिकित्सक व कर्मी महिलाओं को दो बच्चों के बीच दो या दो से अधिक वर्ष के अंतर के लिए आईयूसीडी का प्रयोग करने की जानकारी देने की भी बात बताई गयी। प्रशिक्षण में कर्मियों को इससे होने वाले लाभ व लगाने के दौराने बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में भी बताया गया। यह जानकारी दी गयी कि आईयूसीडी लगाने के बाद महिलाओं के शरीर पर इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। महिलाएं चीर फाड़ के नाम पर बंध्याकरण से डरती हैं, उनके लिए आईयूसीडी बेहतर विकल्प है। सिविल सर्जन डॉ श्रीनंदन ने बताया की प्रसव के 48 घंटे के अंदर पीपीआईयूसीडी, गर्भ समापन के बाद पीएआईयूसीडी व कभी भी आईयूसीडी को किसी सरकारी अस्पताल में लगवाया जा सकता है। इसके इस्तेमाल से जहां अनचाहे गर्भ से बचा जा सकता है वहीं इसके प्रयोग से सेहत को कोई नुकसान भी नहीं होता है। जिले में स्वास्थ्य सुविधा को सुचारु रूप से क्रियान्वयन करने के लिए सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने सभी प्राथमिक चिकित्सा पदाधिकारी को आवश्यक दिशा निर्देश दिया। जिसमें सातो प्रखंडों के सभी स्वास्थ्य उपकेन्द्र, अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, स्वास्थ्य उपकेंद्रों में समुचित बिजली की व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए राष्टीय स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत आवश्यक व्यय एवं बजट का आदेश दिया गया। सिविल सर्जन ने कहा स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर बनान हमारा कर्तव्य है ताकि स्वास्थ्य सुविधा को ओर मजबूत किया जा सके। बैठक में सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. देवेन्द्र कुमार, अस्पताल अधीक्षक डॉ. अनवर हुसैन, जिला कार्यक्रम प्रबंन्धक डॉ. मुनाज़िम, जिला कार्यक्रम समन्वयक विश्वजीत कुमार, यूनिसेफ के एसएमसी एजाज अफजल, केयर के प्रशुनजीत प्रमाणिक, सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंन्धक एवं लेखापाल आदि उपस्थित थे।

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