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किशनगंज : टीबी-एचआईवी कोआर्डिनेशन की हुई समीक्षा बैठक।

महिलाओं व टीबी के मरीजों का एचआईवी टेस्ट 100% करने के निर्देश, जिले में एड्स के 400 मरीज पंजीकृत।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, सदर अस्पताल स्थित सभागार में टीबी और एचआईवी पर समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के अंतर्गत टीबी और एचआईवी के लक्षण, कारण और उपचार से संबंधित महत्वपूर्ण बातें बतायी गयी। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए एसीएमओ डॉ सुरेश प्रशाद ने कहा कि टीबी और एचआईवी दोनों ही संक्रामक बीमारी है। टीबी पर विस्तारपूर्वक अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि टीबी की पहचान करना बहुत ही आसान है। अगर किसी व्यक्ति को दो हफ्तों से ज्यादा खांसी है और उसका वजन तेजी से घट रहा या उसे बराबर बुखार और खांसी है तो यह टीबी के लक्षण हो सकते हैं। इस बीमारी में उपचार बहुत महत्वपूर्ण है। वहीं एचआईवी भी तेजी से फैलने वाला संक्रामक रोग है। यह हमारे शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता का ही विनाश करता है। इसके लिए एचआईवी की जांच करा लेनी चाहिए। प्रत्येक एचआईवी पीड़ित एड्स का मरीज नहीं होता। बैठक में उन्होंने सभी गर्भवती महिलाओं एवं टीबी के मरीजों का एचआईवी टेस्ट सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। उन्होंने बताया जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर जिला अस्पतालों में एचआईवी टेस्ट कीट उपलब्ध कराया गया है। जिले की सौ फीसदी गर्भवती महिलाओं व टीबी मरीजों को एचआईवी टेस्ट कराने का निर्देश दिया। उन्होंने बताया स्वास्थ्य विभाग के आदेश पर अमल की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर जिला अस्पतालों में टेस्ट किट उपलब्ध है। सभी स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश जारी किया गया है। एचआईवी/टीबी के मरीजों को बेहतर उपचार देने के साथ एड्स की जांच की जाए जिसके के तहत स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा टीबी के मरीजों का पहचान करेगी साथ ही जिन्होंने एचआईवी टेस्ट नहीं कराया है इसके बाद सभी मरीजों को जागरूक पर एआरटी सेंटर पर जांच के लिए लाया जाएगा टीबी के मरीज को एचआईवी एड्स की जांच के लिए जागरूक पर एआरटी सेंटर पर लाया जाएगा। जिले में काफी संख्या में ऐसे लोग हैं जो टीबी होने के बाद भी अपना एचआईवी टेस्ट नहीं कराते हैं इसलिए स्वास्थ्य विभाग ऐसे मरीजों की पहचान करेगा जहां जांच के दौरान अगर कोई मरीज एचआईवी पॉजिटिव पाया जाता है तो उसका इलाज कराया जाएगा उसकी रिपोर्ट गोपनीय रखी जाएगी। जिले में एड्स के 400 मरीज पंजीकृत है, सभी मरीज को दवा सदर अस्पताल से दी जाती है। सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ अनवर आलम ने बताया एड्स स्त्री-पुरुष दोनों को होता है। हमारे शरीर में होने वाले जीवाणुओं के संक्रमण से लड़ने के लिए व्हाइट ब्लड सेल्स होते हैं, जिससे शरीर हानिकारक जीवाणुओं के प्रभाव से सुरक्षित रहता है। शरीर की जीवाणुओं से लड़ने की अपनी इस स्वाभाविक शक्ति को इम्यूनिटी सिस्टम कहा जाता है। एड्स के वायरस इन व्हाइट ब्लड सेल्स को भी क्रियाहीन करके हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति को कम कर देते हैं, जिससे वायरस से लड़ने की हमारे शरीर की शक्ति खत्म हो जाती है और रोग शरीर में अपना अधिकार जमा लेता है। यही कारण है कि इसे इम्यून डेफिशिएंसी यानी रोग प्रतिरोधक शक्ति का कम होना कहते हैं।जिला सामुदायिक समन्वयक सुमन कुमार सिन्हा ने बताया कि जागरूकता ही एचआईवी संक्रमण के मामलों को रोकने का एकमात्र तरीका है। इसलिये ये जरूरी है कि रोग के कारण, लक्षण व इसके प्रसार की संभावनाओं के प्रति आम जनमानस को जागरूक किया जाये। एचआईवी व एड्स उन्मूलन की दिशा में लगातार कठिन प्रयास किये जा रहे हैं। बहुद हद तक हम इसमें कामयाब हुए हैं। उन्होंने कहा कि एचआईवी व एड्स सिर्फ स्वास्थ्य से जुड़ा मुद्दा न होकर हमारे समग्र विकास से जुड़ा मुद्दा है। इसलिये हमें हर स्तर पर इसके खतरे व इससे जुड़ी चुनौतियों के प्रति आम लोगों को जागरूक करते हुए इस पर प्रभावी नियंत्रण के उपाय करने होंगे।

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