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6 महीनों तक आवासीय ,आय प्रमाण पत्र व ईडब्ल्यूएस नहीं बन पा रहा है आखिर कौन है इसके लिए जिम्मेवार कर्मचारी या सीएसपी संचालक – नवेन्दु मिश्र

केवल सच  – पलामू

पाटन  – किशुनपुर पंचायत में रहने वाले विद्यार्थियों ,प्रतियोगी छात्र-छात्राओं सभी को आजकल आवासीय प्रमाण पत्र , आय प्रमाण पत्र, ईडब्ल्यूएस बनवाने में हो रही है परेशानी। कभी ब्लॉक स्तर से इन प्रमाणपत्रों को बेवजह रोक दिया जाता है ,उसके बदले में कोई कारण भी नहीं बताया जाता है कि किस कारण से प्रमाण पत्र को रोका जा रहा है? किशनपुर पंचायत भवन में सीएसपी में काम कर रहे धर्मेंद्र कुमार का कहना है की बेवजह कागजों को रोका जाता है और कोई कारण भी नहीं लिखा जाता है उसकी एक कंप्यूटर प्रति संलग्न भी करके दिखाया गया है। जबकि किशुनपुर पंचायत क्षेत्र की कर्मचारी सीमा कुमारी का कहना था कि बेवजह कभी किसी कागज को नहीं रोका जाता ।है अब विषय यह है कि कौन सच बोल रहा है कौन झूठ बोल रहा है यह जांच का विषय है ? प्रतियोगी छात्र छात्राओं के फॉर्म की समय सीमा निश्चित होती है वैसे में विद्यार्थियों को दस्तावेज न बनने के कारण बेवजह परेशानियों का सामना करना पड़ता है । क्योंकि कभी-कभार बीच में कर्मचारियों का हड़ताल भी हो जाता है जिससे महीनों दिनों तक कार्य बाधित रह जाता है जैसा कि विगत महीनों सभी ने देखा था अब देखने वाली बात यह है कि उच्च स्तरीय अधिकारी क्या करते हैं इतने बड़े मामले को संज्ञान में लेते हुए उच्च स्तरीय जांच कराने की आवश्यकता है ताकि बेवजह प्रतियोगी छात्र छात्राओं को कागजी दांवपेच में न पडना पड़े और निश्चित समय में उन्हें दस्तावेज प्राप्त हो जाए। कभी कभार ऐसा सुनने में आता है कि ब्लॉक स्तर से यदि आप जाकर के कागज छुड़वा लेते हैं तो प्रमाण पत्र जल्दी बन जाएगा। इसका मतलब तो समझ से परे है अब देखने वाली बात यह है कि इस पर कार्रवाई भी होती है या नहीं ? क्योंकि कुछ स्थानीय लोगों से बातचीत करने पर पता चला कि ” हेमंत है तो हिम्मत है ” कर्मचारी का फोन तो उठता भी नहीं है दर्शन तो असंभव ही है और बहाने तो हजार हैं लेकिन समय अवधि को यदि देखा जाए तो 6 महीने काफी होते हैं। खबर लिखे जाने तक धर्मेंद्र कुमार व कर्मचारी से फोन पर बातचीत करने का प्रयास किया गया था लेकिन धर्मेंद्र कुमार को दो बार कॉल करने के बाद भी फोन रिसीव नहीं हुआ और कर्मचारी का फोन स्विच ऑफ था। जब खुद का काम होता है तो कोई समय सीमा नहीं होती है लेकिन प्रतियोगी छात्रों के लिए समय देखा जाने लगता है।

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