क्लबफुट से जूझ रहे बच्चों को आरबीएसके से राहत, किशनगंज से दो मासूम हुए रेफर
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम बना उम्मीद की नई किरण

किशनगंज,08अक्टूबर(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) के अंतर्गत चलाए जा रहे नि:शुल्क उपचार अभियान ने किशनगंज जिले के सैकड़ों बच्चों के जीवन को नई दिशा दी है। इसी क्रम में बेलवा निवासी परी कुमारी और सिफत प्रवीण को क्लबफुट रोग के इलाज के लिए बुधवार को सदर अस्पताल, किशनगंज से जेएलएनएमसीएच भागलपुर रेफर किया गया।
क्लबफुट, एक जन्मजात विकृति है जिसमें नवजात के पैर अंदर की ओर मुड़ जाते हैं। समय रहते इलाज न मिलने पर यह विकृति स्थायी रूप से बच्चे की गतिशीलता को प्रभावित कर सकती है। RBSK टीम द्वारा की गई प्रारंभिक जांच और स्क्रीनिंग के कारण अब ऐसे मामलों का समय पर और प्रभावी इलाज संभव हो रहा है।
हर बच्चे तक पहुंच रही RBSK की नि:शुल्क सेवा
RBSK योजना के तहत जिले में स्वास्थ्य विभाग की टीमें गांव-गांव, स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में जाकर बच्चों की नियमित जांच कर रही हैं। जिले में अब तक क्लबफुट, क्लीफ्ट लिप, हियरिंग लॉस जैसी अनेक जन्मजात समस्याओं से पीड़ित बच्चों का सफल इलाज सुनिश्चित किया गया है।
कार्यक्रम के अंतर्गत न केवल जांच और इलाज, बल्कि दवा, परामर्श, सर्जरी और यात्रा की सुविधा भी पूरी तरह नि:शुल्क प्रदान की जाती है, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के परिवारों को अत्यंत राहत मिल रही है।
“कोई बच्चा इलाज से वंचित न रहे” — सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने बताया, “हमारा लक्ष्य है कि जिले का कोई भी बच्चा जन्मजात विकृतियों के कारण जीवन की दौड़ में पीछे न रह जाए। परी और सिफत का उपचार पूरी तरह नि:शुल्क है। RBSK टीमों के नियमित स्क्रीनिंग से बच्चों को समय पर बेहतर इलाज मिल पा रहा है।”
जागरूकता है सबसे बड़ा हथियार
डीपीएम डॉ. मुनाजिम ने बताया कि “कई बार माता-पिता शुरुआत में लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं। अगर जन्म के तुरंत बाद किसी भी तरह की शारीरिक असमानता या सुनने, बोलने में दिक्कत दिखे, तो तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें। RBSK टीम जांच के साथ-साथ परामर्श भी देती है।”
हर मुस्कान की रक्षा का संकल्प
स्वास्थ्य विभाग की यह पहल सिर्फ चिकित्सा नहीं, बल्कि एक सामाजिक परिवर्तन की दिशा में कदम है, जहां हर बच्चे को समान अवसर और गरिमापूर्ण जीवन मिल सके। परी कुमारी और सिफत प्रवीण की तरह, अब जिले के अन्य बच्चों और उनके परिवारों को भी यह संदेश मिल रहा है कि स्वास्थ्य सेवाएं अब उनके द्वार तक पहुंच चुकी हैं।