राजनीति

*रणदीप सिंह सुरजेवाला, सांसद व महासचिव, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का बयान*

मुकेश कुमार /पिछड़े वर्गों की ताकत व कांग्रेस के मजबूत इरादों ने ‘‘जातिगत जनगणना’’ के मुद्दे पर मोदी सरकार के इन्कार व जिद को चकनाचूर कर दिया!

‘जातिगत जनगणना’ है वक्त की मांग – सामाजिक न्याय की पहचान – समानता व सम्मान !

जातिगत जनगणना का ‘भाजपाई विरोध’ हारा – पिछड़ा वर्ग व कांग्रेस की हुई जीत !

‘‘जितनी आबादी – उतना हक’’, ‘‘जितनी आबादी – उतनी हिस्सेदारी’’ ही न्याय का रास्ता !

जातिगत जनगणना ‘‘वक्त की मांग’’ भी है और ‘‘सामाजिक न्याय की धुरी’’ भी। गरीबों व मेहनतकशों के ये दो नारे – ‘‘जितनी आबादी, उतना हक’’ तथा ‘‘जितनी आबादी है हमारी – उतनी मिले हमें हिस्सेदारी’’ – अब पूरे होने की तरफ चल पड़े हैं। ‘जातिगत जनगणना’ सामाजिक बदलाव व समानता का वो उद्घोष है, जिसका समय आ गया है।

कांग्रेस व जातिगत जनगणना – एक सिक्के के दो पहलू

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सामाजिक न्याय की अवधारणा के केंद्र में सदैव से ‘‘जातिगत जनगणना’’ से मिलने वाले न्याय की सोच रही है। कांग्रेस की इसी सोच के चलते तत्कालीन कांग्रेस – यूपीए सरकार ने 19 मई, 2011 को जातिगत जनगणना करवाने का निर्णय लिया व इसकी शुरुआत की, जिसकी रिपोर्ट 03 जुलाई, 2015 को पेश की गई। परंतु जातिगत जनगणना के आँकड़े एक षडयंत्र के तहत जारी नहीं किए गए। तब से आज तक श्री राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी जातिगत जनगणना करवाने व सामाजिक न्याय की परिपाटी की नई शुरुआत करने का संघर्ष करती रही है।

जातिगत जनगणना की विरोधी आरएसएस, भाजपा व मोदी सरकार

भाजपा व आरएसएस शुरू से ही जातिगत जनगणना की विरोधी रहे हैं। आरएसएस-भाजपा ने जातिगत जनगणना का सार्वजनिक विरोध किया, मोदी सरकार ने जातिगत जनगणना को सिरे से नकारा तथा इसे नकारते हुए सुप्रीम कोर्ट तक शपथ पत्र दायर किया। यही नहीं, मोदी सरकार ने कांग्रेस-यूपीए सरकार द्वारा साल 2011 में शुरू की गई जातिगत जनगणना की रिपोर्ट को भी मोदी सरकार ने जारी करने से इन्कार कर दिया तथा उसे कूड़ेदान में डाल दिया।

आईये, सिलसिलेवार आरएसएस-भाजपा-मोदी सरकार का जातिगत जनगणना विरोध जानेंः

1. आरएसएस का जातिगत जनगणना विरोध – 23 मई 2010 व 6 जून 2010 को आरएसएस के सरकार्यवाहक, श्री भैयाजी जोशी ने साफ तौर से कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ‘‘जनगणना में जाति’’ गिनने के विरुद्ध है। आरएसएस के मुखपत्र ‘ऑर्गेनाईज़र’ तथा ‘इंडिया टुडे’ के बयान का लिंक नीचे दिया गया है तथा उनकी कॉपी संलग्नक A1 व A2 है।

1. ( https://organiser.org/2010/06/06/43662/general/r8a9d2412/)
2. (https://www.indiatoday.in/latest-headlines/story/rss-against-caste-based-census-bhaiyyaji-joshi-74959-2010-05-22)

2. मोदी सरकार द्वारा जातिगत जनगणना 2011 को खारिज करने का षडयंत्र – कांग्रेस-यूपीए सरकार ने 19 मई, 2011 में फैसला कर जातिगत जनगणना करवानी शुरू कर दी, जिसे ‘सामाजिक, आर्थिक व जातिगत जनगणना 2011’ का नाम दिया। यह रिपोर्ट 3 जुलाई, 2015 को मोदी सरकार को सौंप दी गई।

कांग्रेस द्वारा करवाई जातिगत जनगणना, 2011 की यह रिपोर्ट मोदी मंत्रीमंडल के समक्ष 16 जुलाई, 2015 को पेश हुई। प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी व उनकी सरकार ने इस रिपोर्ट का अध्ययन व जातिगत विश्लेषण कर निष्कर्ष देने हेतु नीति आयोग के वाईस चेयरमैन, श्री अरविंद पनगढ़िया की अध्यक्षता में एक ‘एक्सपर्ट ग्रुप’ का गठन कर दिया। इस बारे बाकायदा पीआईबी की विज्ञप्ति जारी हुई, जिसकी प्रतिलिपि संलग्नक A3 है।

पर मोदी सरकार की बेईमानी देखिए – 16 जुलाई, 2015 (संलग्नक A3) के मंत्रीमंडल के निर्णय के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी व उनकी सरकार ने किसी को भी ‘एक्सपर्ट ग्रुप’ का मेंबर ही नहीं बनाया तथा न ही कभी अरविंद पनगढ़िया के एक्सपर्ट ग्रुप की बैठक हुई। प्रधानमंत्री मोदी व उनकी सरकार ने जातिगत जनगणना रिपोर्ट, 2011 को जानबूझकर कूड़ेदान में डाल दिया। इसका खुलासा खुद मोदी सरकार द्वारा 21 सितंबर, 2021 को रिट पेटिशन नंबर 841/2021 के शपथ पत्र में किया। इस शपथ पत्र की कॉपी संलग्नक A4 संलग्न है। उसके पैरा 8 में साफ कहा,

“8…, It was decided by the cabinet to constitute an Expert Committee under the Chairmanship of the then Vice Chairman NITI Ayog, prof Arvind Panagariya. However, the other members in the Committee were not named, and the Committee never met. As a result, no action has been taken on the data in the past 5 years.”

साफ है कि मोदी सरकार का डीएनए ही जातिगत जनगणना विरोधी है।

3. मोदी सरकार द्वारा संसद में जातिगत जनगणना से इन्कार – कांग्रेस के सदस्यों द्वारा संसद में 10 मार्च, 2021 व 08 फरवरी, 2022 को जातिगत जनगणना करवाने बारे पूछे गए सवालों के जवाब में मोदी सरकार ने साफ तौर से जातिगत जनगणना कराने से इन्कार कर दिया। संसद में लिखित में दिए गए इन दोनों सवालों की प्रतिलिपि संलग्नक A5 और A6 है।

4. मोदी सरकार का सुप्रीम कोर्ट में जातिगत जनगणना कराने से नीतिगत इन्कार व जाति पूछने पर पूरी जनगणना की प्रक्रिया ही खत्म हो जाने की दुहाई- महाराष्ट्र सरकार ने पंचायतों में ओबीसी आरक्षण को लेकर भारत सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में (स्टेट ऑफ महाराष्ट्र बनाम भारत सरकार सीडब्लूपी 841/2021) याचिका दायर की तथा कहा कि जातिगत जनगणना, 2011 को आधार मान जातीय डेटा दे दिया जाए।

आश्चर्य की बात है कि मोदी सरकार ने 21 सितंबर, 2021 को शपथ पत्र (संलग्न A4) दायर कर इसका पुरजोर विरोध किया और कहा कि:-

I. जनगणना के साथ जातिगत जनगणना करवाना सही नहीं है। ऐसा करने से जनगणना के ही सारे आँकड़े गलत हो जाएंगे। (पैरा 15 15 A, Page 13, भारत सरकार का शपथ पत्र संलग्न A4)

II. जनगणना, 2021 के लिए सभी तैयारियाँ हो चुकी हैं तथा इस परिस्थिति में जाति संबंधी या अन्य कोई सवाल जनगणना की प्रक्रिया में जोड़ना संभव नहीं है। (पैरा 17-18, भारत सरकार का शपथ पत्र संलग्न A4)

III. जनगणना में पिछड़े वर्गों की जातियों का डेटा इकट्ठा करना प्रशासनिक तौर से असंभव है तथा न यह पूरा होगा और न सही होगा। यदि पिछड़ा वर्गों का डेटा इकट्ठा भी किया गया, तो भी यह गलत साबित होगा। (पैरा 23, Page 26, भारत सरकार का शपथ पत्र संलग्न A4)

IV. भारत सरकार द्वारा जनगणना, 2021 में जाति को शामिल न करना एक सोचा-समझा नीतिगत निर्णय है और अगर अदालत द्वारा इस बारे कोई आदेश दिया जाता है, तो वह सरकार के अधिकार क्षेत्र की नीतियों के विरुद्ध होगा। (पैरा 23, Page 27, भारत सरकार का शपथ पत्र संलग्न A4)

प्रधानमंत्री मोदी, भाजपा व मोदी सरकार का इससे बड़ा पिछड़ा वर्ग विरोध का सबूत क्या हो सकता है।

5. मोदी सरकार द्वारा बिहार के जातिगत सर्वे का कड़ा विरोध – बिहार में जब जातिगत सर्वे हुआ, तो उसे सुप्रीम कोर्ट में ‘एक सोच, एक प्रयास बनाम भारत सरकार व अन्य’ (SLP No. 16942/2023) में चुनौती दी गई।

हैरानी की बात है कि 28 अगस्त, 2023 को मोदी सरकार द्वारा शपथ पत्र देकर बिहार की सरकार द्वारा जातिगत जनगणना करवाने के अधिकार को ही सिरे से खारिज कर दिया गया। मोदी सरकार के 28 अगस्त, 2023 के एफिडेविट की प्रतिलिपि संलग्नक A7 है। इसके पैरा 5 में साफ तौर से कहा गया कि संविधान में जनगणना करवाने का अधिकार केवल भारत सरकार को है तथा कोई प्रांत जनगणना कर ही नहीं सकता।

जैसे ही हो-हल्ला मचा, मोदी सरकार ने आनन-फानन में 6 घंटे के बाद नया शपथ पत्र जारी कर दिया और उसमें से पैरा 5 को हटा दिया। इस शपथ पत्र की कॉपी संलग्नक A8 है। पर इसके बावजूद नए शपथ पत्र के पैरा 4 में फिर साफ लिखा कि जनगणना करवाने का अधिकार केवल केंद्र सरकार को है। यानी परोक्ष रूप से बिहार सरकार की जातिगत जनगणना को फिर खारिज कर दिया।

मोदी सरकार द्वारा गरीबों-पिछड़ों के विरोध का व बिहार से धोखे का इससे बड़ा सबूत और क्या हो सकता है!

6. जातिगत जनगणना के विरोध में मोदी जी का नारा, ‘बंटेंगे तो कटेंगे’!

श्री राहुल गांधी, श्री मल्लिकार्जुन खरगे व कांग्रेस पार्टी द्वारा हर विधानसभा व लोकसभा में उठाए गए जातिगत जनगणना के मुद्दे से प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी को इतनी नफरत हुई कि पहले तो उन्होंने जाति जनगणना की मांग करने वालों को ‘अर्बन नक्सल’ कहकर अपमानित किया तथा फिर जाति की जनगणना की मांग पर ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का नारा तक दे डाला।

कांग्रेस करवाएगी जातिगत जनगणना, दिलवाएगी न्याय-हिस्सेदारी-हक-अधिकार!

श्री राहुल गांधी, श्री मल्लिकार्जुन खरगे व कांग्रेस पार्टी ने 2019 व 2024 के घोषणापत्रों में जातिगत जनगणना की मांग सबसे प्रमुखता से रखी है। पिछले एक दशक से पूरे देश में श्री राहुल गांधी ने यह आवाज उठाई है। भारत जोड़ो यात्रा तथा भारत जोड़ो न्याय यात्रा में भी श्री राहुल गांधी की सबसे प्रमुख मांग थी – ‘‘गिनती करो, हक दो, हिस्सेदार बनाओ’’। कांग्रेस के लिए जातिगत जनगणना जहाँ समाज का एक्सरे है, वहीं यह सामाजिक न्याय, समानता व सम्मान की धुरी भी है।

पूरे देश के पिछड़ा वर्ग की ताकत तथा श्री राहुल गांधी व कांग्रेस पार्टी के मजबूत इरादों और संघर्ष ने हठधर्मी मोदी सरकार की बुनियाद को हिला ही दिया तथा गरीब-दलितों-पिछड़ों-आदिवासियों के आगे उनको झुका दिया। इसके बावजूद भी मोदी सरकार ने आज तक जातिगत जनगणना की शुरुआत की तारीख व समापन की तारीख नहीं बताई है। यह कहीं न कहीं बिहार के चुनाव के बाद होने वाली चालाकी तथा षडयंत्र की ओर इशारा करता है।

पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कटिबद्ध है कि हम आखिरी सांस तक सामाजिक न्याय की धुरी जातिगत जनगणना के लिए संघर्ष करेंगे और गरीबों, वंचितों, शोषितों, पिछड़ों को उनका अधिकार दिलाकर ही रहेंगे। यही हमारा संकल्प है।

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