किशनगंज : घटिया सामग्री से बन रहा 1.68 करोड़ का वेयर हाउस, नगर परिषद की अनदेखी पर उठे सवाल
बिना सूचना बोर्ड के चल रहा निर्माण, इंजीनियर की निगरानी नदारद, स्थानीय लोगों में आक्रोश

किशनगंज,19सितम्बर(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, नगर परिषद किशनगंज के अधीन खगड़ा क्षेत्र में 1.68 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे वेयर हाउस के निर्माण कार्य में गंभीर अनियमितताओं का मामला सामने आया है। निर्माण कार्य में घटिया लाल ईंट और लोकल बालू के प्रयोग से गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं।
यह वेयर हाउस नगर परिषद की संपत्तियों, विशेषकर वाहनों और मशीनों के सुरक्षित भंडारण के लिए बनाया जा रहा है, लेकिन निर्माण की निगरानी में लापरवाही और निर्माण सामग्री की गुणवत्ता में कमी को लेकर स्थानीय लोगों में नाराजगी है।
ठेकेदार के भरोसे चल रहा निर्माण, इंजीनियर नदारद
मौके पर न तो नगर परिषद का कोई इंजीनियर मौजूद है और न ही किसी तरह की तकनीकी निगरानी हो रही है। पूरा कार्य ठेकेदार के मुंशी और मजदूरों के भरोसे छोड़ दिया गया है। निर्माण स्थल पर नियमानुसार सूचना बोर्ड भी नहीं लगाया गया है, जिससे परियोजना की लागत, कार्य एजेंसी, समय-सीमा और जिम्मेदार पदाधिकारियों की जानकारी सामान्य जनता तक नहीं पहुंच पा रही है।
मानकों के विरुद्ध सामग्री का उपयोग
सरकारी निर्माण मानकों के अनुसार, स्थायी ढांचों में फ्लाई ऐश ईंट का प्रयोग अनिवार्य है, लेकिन इस वेयर हाउस के निर्माण में सस्ती और कमजोर लाल ईंटों का उपयोग हो रहा है। साथ ही, स्थानीय स्तर की बालू का इस्तेमाल भी किया जा रहा है, जिससे संरचना की मजबूती पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
स्थानीय लोगों ने जताई नाराजगी, जांच की मांग
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस पर गंभीर आपत्ति जताते हुए कहा है कि यदि सरकारी पैसों से बनने वाले ढांचों में ही इस तरह की लापरवाही बरती जाएगी, तो ये भविष्य में गंभीर हादसों का कारण बन सकते हैं। लोगों ने निर्माण स्थल की जांच और जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग की है।
जिम्मेदारों की सफाई
नगर परिषद किशनगंज के कार्यपालक पदाधिकारी प्रवीण कुमार ने कहा करीब 1.68 करोड़ रुपये की लागत से वेयर हाउस का निर्माण कराया जा रहा है, जिसे जुलाई 2025 तक पूरा करना था। शिकायत मिली है कि कार्य में प्राकलन और एकरारनामा के अनुरूप काम नहीं हो रहा है। मामले की जांच कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।”
वहीं, ठेकेदार प्रतिनिधि धर्मेंद्र सिंह ने कहा “यह सच है कि निर्माण कार्य में लाल ईंटों का उपयोग हुआ है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया गया है। काम प्राकलन के अनुरूप और गुणवत्तायुक्त हो रहा है।”
गौर करे कि यदि मामले की जांच में अनियमितताएं सिद्ध होती हैं, तो यह लोक निधि के दुरुपयोग और तकनीकी लापरवाही का गंभीर उदाहरण बन सकता है। अब देखना होगा कि जिला प्रशासन इस मामले में कितनी गंभीरता दिखाता है।