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*बिहार में किसानों को समर्थन मूल्य नहीं मिलने के कारण 20 से 25 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है: प्रशांत किशोर*

त्रिलोकी नाथ प्रसाद-जन सुराज पदयात्रा के दौरान छपरा में पत्रकारों को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में एक सबसे बड़ी समस्या है किसानों के फसलों का उचित मूल्य नहीं मिल पाना। पिछलें 6 महीनों में जब से पदयात्रा शुरू हुई ये वो समय है जब धान और गन्ने की फसल की कटाई हो रही है। अभी जितने भी लोग मिल रहे हैं, उनमें से 90 प्रतिशत लोग यही बताते हैं कि उनको धान 1200 से 1500 प्रति क्विंटल की दर से बेचा जा रहा है। जबकि धान का अधिकारिक मूल्य 2050 रुपए है। यही स्थिति गन्ने की फसल का है। पूरे चंपारण और सिवान में 30 से ज़्यादा चीनी मिलों के बंद हो जाने के कारण किसान या तो कम गन्ना उपजा रहे हैं या उन्होंने उपजाना बंद कर दिया है। जो किसान गन्ना उपजा रहे हैं वो चीनी मिलों की मनमानी झेल रहे हैं। मिल अपने हिसाब से गन्नों के रेट तय कर रहा है। बिहार के किसानों को फसल का सही मूल्य ना मिल पाने के कारण 20 से 25 हजार करोड़ रुपए का सालाना नुकसान हो रहा है।

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