जनसंख्या।…..

पटना डेस्क:-विवेकानंद हो या बाबा साहिब, मधुबाला हो या माईकल जैक्सन, या आप स्वयं ही अपनी पूर्व पीढ़ियों पर चिंतन मनन करेंगे, तो पाएंगे कि एक परिवार में 8 या 10 संतानें होना, सामान्य बात थी, सारी संतानें प्राकृतिक डिलीवरी से होती थी, सब जीवित भी रहते थे और हमारें पूर्वज या वर्तमान ग्रामीण, 70 या 80 वर्ष की औसत आयु भी जीते थे। यह सारी बातें प्रमाणित करती हैं कि जनसंख्या, स्वास्थ्य, या कम बच्चे पैदा करने की जो बातें हमें आज बताई जा रही हैं, वह सब मिथ्या हैं क्योंकि हम दो हमारे दो वाली नीति ने चीन, जापान को बर्बाद कर दिया। सही नीतियां या कानूनों के अभाव को छुपाने के लिए, उसका दोष जनसंख्या या स्वास्थ्य पर दे दिया जाता हैं क्योंकि पहले जब परिवार बढ़े थे, तब सब खुश थे और आज परिवार छोटे हैं तो सब दुःखी हैं। विचार कीजिए क्योंकि विजय सत्य की ही होगी।