सभी लड़कियां ले रही हैं ब्रजेश ठाकुर का नाम, बाल संरक्षण आयोग की टीम घटना के 54 दिन बाद आयी

मुजफ्फरपुर बालिका गृह का संचालक और रेप का आरोपित ब्रजेश ठाकुर एक ऐसा मनोरोगी है जिसे लड़कियों को फटे कपड़ों में देखना पसंद था।उनकी यह पसंद एक ऐसी बीमारी में तब्दील हो गयी थी जिसमें रोगी अपने अधीनस्थ लड़कियों को कपड़े पहनने के लिए नहीं देता है,उन्हें कपड़ों के लिए तरसाता है,उन्हें छोटे कपड़ों में देखना और कपड़े फट जाने पर अंग-प्रत्यंगों को झांकना पसंद करता है।मनोवैज्ञानिकों की भाषा में ऐसे लक्षण पैराफीलिया रोग के हैं।मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड के बाद पटना में आयी लड़कियों से पूछताछ में इसका खुलासा हुअा है।घटना के बाद पटना सिटी के निशांत गृह, कुर्जी स्थित आशा गृह और मोकामा आश्रय में सभी पीड़ित लड़कियां आयी हुई हैं,जिनका मनोवैज्ञानिक उपचार किया जा रहा है।उपचार करनेवाले एक डॉक्टर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि सभी बच्चियों के बयान एक से हैं।सभी ब्रजेश ठाकुर का नाम ले रही हैं।ये बच्चियां डरी हुई हैं और आक्रामकता की हद तक व्यवहार कर रही हैं।उन्हें किसी पर भी विश्वास नहीं है और बहुत समझाने पर वे सब यह बताने को राजी हुईं कि उनके साथ क्या हुआ है ? सभी ने यह बताया कि उन्हें गलत काम करने के लिए मजबूर किया जाता था।उन्हें नींद की गोली खिलायी जाती थी और सुबह उठ कर उन्हें एहसास होता था कि उनके साथ रेप हुआ है।सेवा संकल्प नामक एनजीओ का संचालक ब्रजेश ठाकुर करता था जो बालिका गृह का भी संचालन किया करता था।मालूम हो कि बालिका गृहों का संचालन एनजीओ के जरिये सरकार कराती है।एक एनजीओ से 11 महीने का कॉन्ट्रैक्ट किया जाता है और फिर रिकॉर्ड को देखते कर कॉन्ट्रैक्ट को आगे बढ़ाया जाता है।इस एनजीओ का कॉन्ट्रैक्ट लगातार रिन्युअल किया जाता रहा।बाल संरक्षण आयोग की टीम ने समाज कल्याण निदेशालय पर उठायी उंगली बाल संरक्षण आयोग के दो सदस्य प्रेमा साह और विजय रोशन मंगलवार सुबह साढ़े दस बजे साहू रोड स्थित बालिका गृह पहुंचे।सदस्यों ने गृह का जायजा लिया और खुदाई वाले स्थान को देखा।टीम की सदस्यों ने कहा कि यहां एक बड़ा रैकेट था,जिसमें और कई लोग शामिल थे।सदस्यों ने कहा कि न दोषी को छोड़ा जायेगा और न निर्दोष को फंसाया जाएगा।रिपोर्ट में निदेशालय को बताया लापरवाह: बाल संरक्षण आयोग ने अपनी रिपोर्ट भी देर शाम पटना स्थित कार्यालय में सौंप दी।रिपोर्ट में समाज कल्याण निदेशालय पर उंगली उठायी गयी है।टीम की सदस्य प्रेमा साह ने बताया कि 21 दिसंबर को जब टीम आयी थी,तब बालिका गृह को दूसरे भवन में शिफ्ट करने की रिपोर्ट जिला प्रशासन व निदेशालय को सौंपी गयी थी। लेकिन इसके बाद भी निदेशालय लापरवाह बना रहा और घर को नहीं बदला गया।कई बार पत्राचार के बाद भी यह कार्रवाई नहीं हुई।रिपोर्ट में मिट्टी खुदाई का भी जिक्र किया।साथ में मिट्टी की जांच कराने की बात भी कही गयी।बाल संरक्षण आयोग के सदस्यों को गृह के संचालक ब्रजेश ठाकुर के परिजनों ने ज्ञापन सौंपा और निष्पक्ष जांच की मांग की।ब्रजेश ठाकुर की पुत्री निकिता आनंद ने ज्ञापन में कहा कि इस मामले की दोबारा जांच करायी जाये।हर महीने यहां मजिस्ट्रेट,अपर समाहर्ता,बाल संरक्षण के सहायक निदेशक जांच करने आते थे।किसी ने कोई गलती नहीं पायी और न कोई रिपोर्ट दी।एनसीपीसीआर ने लिया संज्ञान: आयोग की सदस्यों ने कहा कि इस मामले का संज्ञान राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने लिया है।आयोग के अध्यक्ष ने बिहार की अध्यक्ष को जांच का निर्देश दिया।इस निर्देश के बाद हमलोग यहां आये हैं।बाल संरक्षण आयोग की टीम घटना के 54 दिन बाद यहां आयी।इस बीच बिहार महिला आयोग की अध्यक्ष व राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य सुषमा साहू भी बालिका गृह जाकर मामले की जांच कर चुकी हैं।प्रदेश के बालिका गृहों की होगी जांच :आयोग के सदस्यों ने कहा कि मुजफ्फरपुर में मामला सामने आने के बाद पूरे बिहार के बाल व बालिका गृह की जांच की जायेगी।दोनों सदस्यों ने कहा कि वह इसकी अनुशंसा सरकार और समाज कल्याण निदेशालय से करने जा रहे हैं।सदस्यों ने यह भी कहा कि मामले में अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है़ सभी को आयोग के समक्ष बुलाकर जानकारी ली जायेगी।मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में रहनेवाली लडकियों के लिए हर मंगलवार दोजख की रात होती थी।हर मंगलवार एक साथ कई लडकियों के साथ गलत काम होते थे।क्योंकि हर मंगलवार को बालिका गृह की जाँच के लिए अधिकारी आते थे जिनके लिए लडकिया पडोसी जाती थी।उन्हें नशे के इंजेक्शन लगाये जाते थे।इस भवन में एक कमरा ऐसा भी था जो मिनी ओपरेशन थियेटर था…जहां से कई ऐसी दवाईया मिली थी जिनका इस्तेमाल ओबर्शन में किया जाता है।यही नहीं इस बालिका गृह में कई ऐसे तहखाने और गुप्त रास्ते थे जिसका पता सिर्फ यहाँ काम करने वाले चंद लोगो को ही था।एक न्यूज़ चैनल की तफतीस में और भी कई चौकाने वाली जानकारिय मिली है।जिसे जानकार आपके होश उड़ जायेंगे।हैरान रह जायेंगे की कैसे लडकियों की भलाई के नाम पर सरकारी पैसो का बंदरबांट किया जाता था सुरक्षा करने वाले कैसे उनके भक्षक बनते थे…आखिर कौन था इन मासूम लड़कियों का डर्टी अंकल…
रिपोर्ट-न्यूज़ रिपोटर