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पटना-अतिक्रमण के नाम पर गरीब और कमजोर लोगों पर अत्याचार का सिलसिला बिहार में जारी है।..

 त्रिलोकी नाथ प्रसाद –पटना के बाद अब अन्य जिलों से भी गरीब और मिडिल क्लास लोगों के खून पसीने की कमाई से बना आशियाना बिना पुनर्वास के तोड़ा जा रहा है। आज हम सुपौल के छातापुर थानान्तर्गत डहरिया गांव के उन 8 परिवार के लोगों से मिले, जिनको स्थानीय जनप्रतिनिधि, दंबग, अपराधी, सीओ, थाना प्रभारी और सभी दलों के नेताओं ने मिलकर साजिशन रोड पर ला खड़ा किया है। सीओ साहब ने डीएम और एसडीओ के आदेश के बिना लोगों की खून पसीने की कमाई से बना घर उजाड़ दिया। सीओ साहब बताएंगे, जरा आप ने ये किसके इशारे पर किया। मुझे तो पता है, मैं तो सबको बेनकाब करूँगा।

यह घटना जिस दिन घटी, उसके बाद से लगातार में इसकी खबर ले रहा है। घटना को लेकर डीएम साहब से बात की, तो उनका कहना था कि उनके आदेश के बिना इतनी बड़ी कार्रवाई हुई, जबकि जमाबंदी का मामला उनकर कोर्ट में लंबित है। इतना ही नहीं, उन्होंने यहां के एमपी, एमएलए से लेकर अन्य जनप्रतिनिधियों की भी मिलीभगत की बात कही है। अब सवाल ये है कि जब डीएम और एसडीओ ने इस कार्रवाई के लिए आदेश नहीं दिया, तो सीओ साहब ने किस के आदेश से ये कार्रवाई की? इसके लिए उन्हें कितने पैसे मिले ? सीओ साहब को ये भी बताना चाहिए कि इस जगह के अलावा 15 और जगह पर अतिक्रमण को चिन्हित किया गया, वहां पर आपने क्यों नहीं कार्रवाई की अब तक?

इस घटना में अपराधी प्रवृति के अजय यादव समेत एमएलए एमपी की भी भूमिका रही है। आखिर ऐसे लोगों का समाज बहिष्कार क्यों नहीं करती, जो चुनाव जीतने के बाद उनके ही घरों को उजाड़ने पर तुली रहती है।

ऐसे लोगों से बचने की जरूरत है। मैं बस अभी यही कह रहा हूँ कि इस लड़ाई को हम लड़ेंगे। और फिलहाल 1 लाख 60 हजार रुपये की मदद इन 8 परिवारों को कर रहा हूँ, ताकि कम से कम उनके एक महीने का रहने खाने का जुगाड़ हो सके। मैं यहां के लोगो की लड़ाई यथा संभव कोर्ट तक लड़ूंगा। छोडूंगा तो नहीं मानवता के हत्यारो को।

सुपौल के छातापुर थानान्तर्गत डहरिया गांव की घटना के पीड़ित सभी परिवार के लिए न्याय की लड़ाई मैं लडूंगा। फिलहाल अभी मैं इन बेघर 8 परिवार के लोगों को 1 लाख 60 हजार मदद कर रहा हूं, ताकि अगले एक महीने तक कम से कम इन्हें दिक्कत ना हो। आगे भी मदद जारी रहेगी।

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