किसानों को भ्रष्टाचार व शोषण के दलदल से निकलने देना नहीं चाहता है विपक्ष-सुशील मोदी।।…

राज्यसभा के उपसभापति से दुव्र्यवहार का बिहार में खामियाजा भुगतना होगा राजद-कांग्रेस को
त्रिलोकी नाथ प्रसाद उपमुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी ने प्रेस वार्ता में कहा कि कृषि सुधार बिल का वही लोग विरोध कर रहे हैं जो बिचैलियों के समर्थक हैं और किसानों को भ्रष्टाचार व शोषण के दलदल से निकलने देना नहीं चाहते हैं। इस विधेयक को लेकर राजद एवं कांगेस के सदस्यों ने राज्यसभा में उपसभापति के साथ जो अमर्यादित व्यवहार किया है,उसका खामियाजा उन्हें बिहार में भुगतना होगा। राजद जिस तरह से बिल का विरोध कर रहा है, वैसे में बताएं कि क्या वह बिहार में फिर से बाजार समिति कानून लागू करना चाहता है?
श्री मोदी कहा कि राज्यसभा के उपसभापति श्री हरिवंश बिहार से राज्यसभा के सदस्य और ख्यात,शालीन पत्रकार हैं। उनके साथ राजद-कांग्रेस सहित विपक्षी दलों द्वारा जिस तरह से अमर्यादित व्यवहार किया गया, उन्हें धमकियां दी गई, माइक तोड़ने व रूल बुक फाड़ने की कोशिश की गई, इससे लोकतंत्र का यह मंदिर ही कलंकित नहीं हुआ बल्कि बिहार के लोग भी मर्माहत हुए।
एनडीए की तत्कालीन सरकार ने तो 2006 में ही बिहार कृषि उत्पादन बाजार समिति एक्ट को समाप्त कर दिया था, राजद के लोगों ने तब भी इसका विरोध किया था। किसानों की उपज को बाजार समिति के प्रांगण में ही बेचने की बाध्यता दरअसल किसानों का शोषण है। बिहार देश का पहला राज्य है जिसने शोषण से किसानों को मुक्त कराने के लिए एपीएमसी एक्ट को 14 साल पहले खत्म किया।
केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि सुधार बिल को क्रांतिकारी व प्रगतिशिल बताते हुए प्रधानमंत्री के प्रति आभार प्रकट किया और कहा कि देश के किसानों को अब जहां निर्धारित जगह पर ही अपनी फसल बेचने की बाध्यता से मुक्ति मिलेगी वहीं जहां भी उचित कीमत मिलेगी वहां ले जाकर बेचने की स्वतंत्रता भी होगी, जिससे उनका शोषण और भ्रष्टाचार रूकेगा।
विपक्ष दुष्प्रचार कर रहा है इस बिल के आने के बाद समर्थन मूल्य पर खरीद बंद हो जाएगी जबकि प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि समर्थन मूल्य पर खरीद पहले की तरह आगे भी जारी रहेगी। 15 वर्षो तक बिहार में चली राजद-कांग्रेस की सरकार के दौरान धान की कोई खरीद नहीं होती थी। एनडीए के सत्ता में आने के बाद समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद शुरु हुई।
कंट्रैक्ट फार्मिंग का समर्थन करते हुए कहा कि कम्पनियों को किसान अपनी फसल सीधे बेच और उसकी कीमत तय कर सकेंगे। इसके तहत कंपनी और किसानों के बीच एक एग्रीमेंट होगा जिससे कोई कंपनी किसान को धोखा नही दे सकेगी।