“स्थानीय शासन में पुलिस की भूमिका” विषयक एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, पटना के पंचायती राज चेयर प्रोफेसर कार्यालय द्वारा “स्थानीय शासन में पुलिस की भूमिका” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें बिहार की स्थानीय सरकार के लगभग 120 जनप्रतिनिधियों ने भाग लिया।

त्रिलोकी नाथ प्रसाद/कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में स्वागत भाषण देते हुए विश्वविद्यालय के कुलसचिव एवं पंचायती राज चेयर प्रोफेसर प्रोफेसर (डॉ.) एस. पी. सिंह ने बिहार में पंचायती राज प्रणाली की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए बताया कि स्वतंत्रता पूर्व काल से ही बिहार में स्थानीय शासन के लिए बिहार ओरीसा ग्रामीण प्रशासन अधिनियम, 1922 बना। स्वतंत्र प्राप्ति के बाद बिहार प्रथम राज्य बना जिसने बिहार पंचायती राज अधिनियम, 1947 की धारा 49 के अंतर्गत ग्राम कचहरी की अवधारणा को विधिक स्वरूप प्रदान किया। उन्होंने इंग्लैंड की पुलिस प्रशासन प्रणाली का उल्लेख करते हुए बताया कि वहां दो प्रकार की व्यवस्थाएँ थीं — एक उपनिवेशों के लिए तथा दूसरी इंग्लैंड के नागरिकों के लिए, जिसे ‘बॉबी मॉडल’ कहा जाता है। उपनिवेशों के लिए लागू मॉडल का उद्देश्य कानून व्यवस्था बनाए रखना एवं असंतोष तथा राजद्रोह को दबाना था, जबकि ‘बॉबी मॉडल’ जनसहभागिता आधारित सामुदायिक पुलिसिंग करता है, जो आमजन की समस्याओं के समाधान हेतु कार्यरत रहता है।
बिहार के पुलिस महानिदेशक (DGP) श्री विनय कुमार ने अपने वक्तव्य में आश्वासन दिया कि प्रत्येक थाना स्तर पर एक पुलिस पदाधिकारी को ग्राम पंचायत के लिए नोडल अधिकारी नामित किया जाएगा, जो ग्राम पंचायत एवं ग्राम कचहरी के प्रतिनिधियों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए कार्य करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि “जनता ही पुलिस है और पुलिस ही जनता है।” यदि स्थानीय स्तर पर छोटे-मोटे अपराधों को प्रारंभिक अवस्था में ही नियंत्रित कर लिया जाए, तो राज्य में 80% अपराधों का स्वतः निवारण संभव है। ग्राम कचहरी को प्राप्त सभी 42 धाराओं का वाद का निपटारा करें ।उन्होंने पंचायती राज चेयर प्रोफेसर से आग्रह किया कि पूर्व में की भांति निरीक्षक एवं उप पुलिस अधीक्षक (DSP) स्तर के अधिकारियों को पंचायती राज प्रणाली की प्रभावी कार्यप्रणाली हेतु प्रशिक्षण प्रदान किया जाए।
पंचायती राज विभाग, बिहार सरकार के निदेशक श्री प्रशांत कुमार सीएच ने स्थानीय सरकार के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के लिए प्रशिक्षण की महत्ता पर बल देते हुए कहा कि पंचायती राज प्रणाली को सुदृढ़ करने हेतु राज्य सरकार द्वारा 8093 निम्नवर्गीय लिपिकों (LDCs) की नियुक्ति की जा रही है। उन्होंने यह भी अवगत कराया कि अब कोई भी सामान्य नागरिक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से ग्राम कचहरी में वाद दायर कर सकता है।ग्राम कचहरी में प्रहरी सह सफाई कर्मी रहेंगे जिसके लिए आंतरिक श्रोत का अध्ययन किया जा रहा है ।
श्री मिथिलेश कुमार राय, प्रदेश अध्यक्ष मुखिया महासंघ ने अपने संबोधन में कई सुझाव प्रस्तुत किए जिनमे मुख्य रूप से पंचायत स्तर पर पुलिस को नोडल पदाधिकारी नियुक्त किया जाय जिसपर डीजीपी ने सहमति जताई । रश्मि कुमारी प्रमुख संघ अध्यक्ष ने भी कार्यशाला में अपने विचार साझा किया ।
बिहार पंच-सरपंच संघ के अध्यक्ष श्री अमोद कुमार निराला ने कहा की पूर्व के निर्गत आदेश निर्देशों के आलोक में पुनः पत्र निर्गत हो मुखिया सरपंच सहित अन्य प्रतिनिधियों पर होने वाले झूठे केश विशेष प्रतिवेदित हो और उच्च स्तरीय जांच हो तथा चौकीदार की नियुक्ति की जाए जिसपर डीजीपी ने सहमति जताई ।साथ ही उन्होंने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।इस अवसर पर मंच संचालन डॉ. प्रत्युष कौशिक, सहायक प्रोफेसर (अंग्रेज़ी), चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, पटना द्वारा किया गया।