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किशनगंज : अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम, नर-नारायण, व हयग्रीव का हुआ था अवतार : गुरु साकेत

अक्षय तृतीया 10 मई को सुबह 4 बजकर 19 मिनट से शुरू हो चुकी है और इस तिथि का समापन 11 मई को सुबह 02 बजकर 53 मिनट पर होगा

किशनगंज, 10 मई (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, अक्षय तृतीया को सनातन धर्म में बेहद खास त्योहार माना जाता है। इसे अक्खा तीज के नाम से भी जाना जाता है। उदिया तिथि के कारण अक्षय तृतीया 10 मई को मनाई जा रही है। शुक्रवार को महाकाल मंदिर के पुरोहित गुरु साकेत ने बताया कि अक्षय तृतीया 10 मई को सुबह 4 बजकर 19 मिनट से शुरू हो चुकी है और इस तिथि का समापन 11 मई को सुबह 02 बजकर 53 मिनट पर होगा। उन्होंने बताया कि अक्षय तृतीया के दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की उपासना करने से जीवन में तरक्की होती है। अक्षय तृतीया के दिन सोना-चांदी खरीदना काफी शुभ माना जाता है। अक्षय तृतीया को कई वजहों से साल का सबसे शुभ दिन माना जाता है। गुरु साकेत कहते है कि, सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत अक्षय तृतीया से ही हुई थी। भगवान विष्णु ने नर नारायण का अवतार भी इसी दिन लिया था। भगवान परशुराम का जन्म भी अक्षय तृतीया पर हुआ था। इस शुभ तिथि से ही भगवान गणेश ने महाभारत का काव्य लिखना शुरू किया था। इस दिन किए गए शुभ एवं धार्मिक कार्यों के अक्षय फल मिलते हैं। इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों ही अपनी उच्च राशि वृषभ में होते हैं, इसलिए दोनों की सम्मिलित कृपा का फल अक्षय हो जाता है। गुरु साकेत ने बताया कि अक्षय का अर्थ होता है-जिसका क्षय ना हो। माना जाता है कि इस तिथि को किए हुए कार्यों के परिणाम का क्षय नहीं होता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन परशुराम, नर-नारायण, हयग्रीव का अवतार हुआ था। महाकाल मंदिर के पुरोहित गुरु साकेत ने बताया कि अक्षय तृतीया के दिन गजकेसरी योग और धन योग बन रहे हैं, जो मेष, वृष, और मीन राशि वालों के लिए बेहद शुभ रहेंगे। वहीं दूसरी ओर इस दिन सूर्य और शुक्र की मेष राशि में युति हो रही है, जिससे शुक्रादित्य योग बन रहा है। इसके साथ ही मीन राशि में मंगल और बुध की युति से धन योग, शनि के मूल त्रिकोण राशि कुंभ में होने से शश योग और मंगल के अपनी उच्च राशि मीन में रहकर मालव्य राजयोग और वृषभ राशि में चंद्रमा और गुरु की युति से गजकेसरी योग बन रहा है। गुरु साकेत कहते है कि अक्षय तृतीया के दिन जप, तप और हवन के लिए सुबह 05 बजकर 33 मिनट से दोपहर 12 बजकर 26 मिनट के बीच की अवधि सबसे उत्तम है। साथ ही इस दिन रवि योग का निर्माण हो रहा है। जिस वजह से इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। गुरु साकेत ने बताया कि इस बार ग्रहों के संयोग को देखते हुए अक्षय तृतीया पर भरा हुआ जलपात्र, मिष्ठान्न, श्वेत वस्त्र, नमक, शरबत, चावल, चांदी का दान करना बेहद शुभ फलदायी होगा। अक्षय तृतीया के दिन नए संवत्सर के पंचांग, धार्मिक पुस्तकों और फलों का दान भी पुण्यदायक होता है। उन्होंने बताया कि अक्षय तृतीया पर मां लक्ष्मी की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है। अक्षय तृतीया के दिन ही युधिष्ठिर को कृष्णजी ने अक्षय पात्र दिया था। जिसमें कभी भी भोजन समाप्त नहीं होता था। इस दिन दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

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