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वोट देना लोकतांत्रिक अधिकार हैं तो नहीं देना भी लोकतांत्रिक अधिकार है, आलोक।

आलोकने पंचायत चुनाव मे अपने को चुनाव से अलग रखते हुए स्वयं वोट का किया वहिस्कार।

अनिल कुमार मिश्र:-वोट वहिस्कार का हैं मुदा, जंगल व पहाड़ों तक आमजनों के बीच कोरोना वैक्सीन को नहीं पहुँचना, जनता की उपेक्षा व पंचायत में लूट का निष्पक्ष जाँच नही होना,

अगामी पंचायत चुनाव का बहिष्कार भ्रष्टाचार प्रतिरोध संघर्ष मोर्चा बिहार- झारखंड सांगठनिक राज्य कमिटी के सचिव आलोक कुमार ने लोकतांत्रिक  तरीकों एवं शान्ति ढंग से करते हुए अपने को चुनावी माहौल से अलग रहने का एलान किया है । श्री कुमार ने इस आशय से  संबंधित प्रेस ब्यान जारी कर कहा है की वोट देना संवैधानिक अधिकार है तो वोट न देना भी संवौधानिक अधिकार है ।

आलोक ने कहा  जंगल एवं पहाड़ी क्षेत्र के सुदूर देहात में रहने वाले जो गरीब ,असहाय , लचार एवं कमजोर नागरिक हैं उन्हें करोना का टीकाकरण में स्थानीय प्रशासन , सरकार और सवस्थ बिभाग,  टीकाकरण कार्य में खासकर जो भी लगे हैं  अनदेखी कर रहे है और उनके लपरवाही , मनमानी एवं नीरंकुशता के कारण टीकाकरण से जंगली,पहाड़ी क्षेत्र के जनता वंचित हो रहे हैं । पंचायतों में चल रहे विकास व लोक कल्याण से संबंधित योजनाएं भ्रष्टाचार के भेंट चढकर दम तोड रहा है । जांच के नाम पर लिपापोती का खेल सरकार एवं अधिकारियों के संरक्षण में हो रहा है । चुनाव जितने वाले प्रतिनिधि पांच सालों में मालोमाल हो गये हैं और वोट देने वाले भोले- भाले जनता तंगहाली और लचारी के जीवन बिताने के लिए मजबूर है ।

आलोक ने कहा जनता के मांग के बावजूद हडियाही, बटाने नहर का न तो निर्माण कार्य पुरा कर किसानों के खेत में पानी पहूँचायें जा रहा है और नही परियोजना के राशि में करोड़ों के घोटाला का जाँच सीबीआई से कराया जा रहा है । इन्होंने आगे कहा की चुनाव आज ब्यवसाय बन गया है ।और इसीलिए चुनाव आयोग के गाईड लाईन के बिरुद्ध उम्मीदवार पानी के तरह चुनाव जितने के लिए पैसा खर्च कर रहे हैं ।

श्री कुमार ने कहा की चुनाव में आने वाले उम्मीदवारों से जनता चूभती हुई सवाल करे,यह समय और परिस्थिति का मांग है ।

 

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