अब IPC नहीं भारतीय न्याय संहिता कहिए! राजद्रोह खत्म, कई धाराएं रद्द
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि, 1860 से 2023 तक देश की अपराध-न्याय व्यवस्था अंग्रेजों के बनाए कानूनों के मुताबिक चलती रही। लेकिन अब जब उनके तीन कानूनों को बदल दिया गया है तो देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव आएगा

डेस्क, 12 अगस्त (के.स.)। धर्मेंद्र सिंह, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज लोकसभा में तीन ऐसे विधेयक पेश किए हैं जिनसे देश के कानून में बड़ा बदलाव आयेगा। दरअसल, इंडियन पीनल कोड (IPC), क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (CrPC) और इंडियन एविडेंस एक्ट को भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम से रिपलेस किया गया है। अमित शाह ने तीनों के विधेयक सदन में पेश किए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि, 1860 से 2023 तक देश की अपराध-न्याय व्यवस्था अंग्रेजों के बनाए कानूनों के मुताबिक चलती रही। लेकिन अब जब उनके तीन कानूनों को बदल दिया गया है तो देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव आएगा। शाह ने कहा कि, ये कानून अंग्रेजों द्वारा और उनकी संसद द्वारा अपनी सुरक्षा के लिए और अपने हित के लिए बनाए गए थे। लेकिन अब नए कानून नागरिकों को दंड देने के नजरिए से नहीं बल्कि उन्हें न्याय देने को लेकर लाये गए हैं। इन क़ानूनों के तहत न्याय देने की प्रक्रिया में जो दंड का पात्र होगा उसे दंड मिलेगा। ये कानून नागरिकों के मिले अधिकारों को सुरक्षा देंगे, उन्हें सुरक्षा देंगे। शाह ने कहा कि, मानवीय हत्या और महिलाओं से दुराचार जैसे अपराध से बड़ा कोई अपराध नहीं होता लेकिन अंग्रेजों के क़ानूनों में ऐसे अपराध को सही जगह केन्द्रित नहीं किया गया लेकिन अब हम इसे बदल रहे हैं अब नए भारतीय कानूनों में सबसे पहला चैप्टर आयेगा महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा का और दूसरा चैप्टर आयेगा मानवीय हत्या और मानव शरीर के साथ जो अपराध होते हैं उसका। शाह ने कहा कि हमने नए भारतीय कानूनों में शासन हित की जगह नागरिकों की सुरक्षा को केंद्र बिन्दु बनाया है। साथ ही इन भारतीय कानूनों के तहत आम जनता को पुलिस अत्याचार से भी मुक्ति मिलेगी। इंडियन पीनल कोड IPC (1860) की जगह अब भारतीय न्याय संहिता (2023) में 356 धाराएं होंगी, पहले 511 धारा थीं। शाह ने बताया कि, 175 धाराओं में बदलाव किया गया है। 8 नई धाराएं जोड़ीं गईं। जबकि 22 धाराएं निरस्त की गईं हैं। क्रिमिनल प्रोसीजर कोड CrPC (1898) की जगह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 533 धाराएं बचेंगी। शाह ने बताया कि, 160 धाराओं को बदल दिया गया है। जबकि 9 धाराएं नई जोड़ी गईं। वहीं 9 धाराएं निरस्त की गईं हैं। इंडियन एविडेंस एक्ट IAA (1872) की जगह अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 170 धारा होंगी, पहले 167 थीं, 23 धारा में बदलाव, 1 धारा नई जोड़ी गई, 5 निरस्त की गईं हैं। देश भर में सभी अदालतें इलेक्ट्रोनिक और तकनीकी तरीके से संचालित की जाएंगी। शाह ने कहा कि, अदलतों की सारी प्रक्रिया डिजिटल होगी। जिससे अदलतों पर भी दस्तावेजों का लोड नहीं होगा और लोगों को भी समय से फैसला और न्याय मिल पाएगा। शाह ने कहा कि, अभी तक किसी आरोपी की पेशी ही विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हो सकती है लेकिन अब पूरा ट्रायल भी हो सकेगा। शाह ने कहा कि, पुलिस द्वारा सेर्च और जब्ती अभियान के वक्त वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी। अगर विडियो ग्राफी नहीं की जाती तो फिर पुलिस की चार्ज शीट अमान्य मानी जाएगी। क्योंकि लोगों की शिकायत होती है कि पुलिस ने ही रख दिया। पुलिस ही हमें फंसा रही है। शाह ने कहा कि, हम फॉरेंसिक टीम को बढ़ावा दे रहे हैं क्योंकि देश में दोषसिद्धी अभी भी साबित नहीं हो पा रही है। दोषसिद्धी करने में हम अभी भी कहीं विफल राहत हैं इसलिए हम एक महत्वपूर्ण प्रावधान लाए हैं वो ये कि अब जिन धाराओं में 7 साल या उससे अधिक जेल की सजा का प्रावधान है, उन सभी मामलों में फॉरेंसिक टीम का अपराध स्थल पर जाना अनिवार्य कर दिया जाएगा। हमें दोषसिद्धी के ग्राफ को 90% से ऊपर ले जाना है। शाह ने कहा कि लोग किसी भी गुनाह को लेकर कहीं भी ज़ीरो FIR दर्ज करा पाएंगे। इसके बाद पुलिस को उस मामले को 15 दिन के अंदर संबधित थाने में भेजना होगा। हर जिले और हर थाने में एक ऐसा अधिकारी नामित किया जाएगा जो उस परिवार को जिसका कोई सदस्य पुलिस की गिरफ्त में हैं, उसे आधिकारिक रूप से सूचना जारी करेगा और अपनी ज़िम्मेदारी तय करेगा, क्योंकि पुलिस पकड़ लेती है और फिर कई-कई दिनों तक परिवार वालों को कोई जवाब नहीं देती। शाह ने कहा कि हम यौन हिंसा के मामले में पीड़िता का बयान और वीडियोग्राफी अनिवार्य कर रहे हैं। पुलिस को 90 दिन में स्टेटस रिपोर्ट देनी होगी। वहीं सात साल या इससे अधिक सजा का कोई केस बंद करना है तो पीड़ित के बयान के बिना इसे बंद नहीं किया जा सकेगा। शाह ने कहा कि गैंग रेप के मामले में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है वहीं 18 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ रेप के मामले में मृत्यु दंड का प्रावधान किया गया है। शाह ने कहा कि किसी मामले में पुलिस यह कहती रहती है कि अभी जांच आगे चल रही है, लेकिन अब पुलिस को 90 दिन में ही चार्जशीट दाखिल करनी होगी। वहीं कोर्ट से भी पुलिस को स्थिति के अनुरूप और 90 की दिन की मोहलत मिल सकती है। इससे ज्यादा नहीं। 180 दिन में पुलिस को चार्जशीट दाखिल करनी ही पड़ेगी। शाह ने कहा वारंट के मामले में आरोपी व्यक्ति को आरोप तय करने का नोटिस कोर्ट को 60 दिन में देना होगा। इसके अलावा बहस पूरी होने के बाद 30 दिन में ही जज को अपना फैसला देना होगा। वहीं फैसले को सात इन के अंदर ऑनलाइन भी उपलब्ध कराना होगा। ये फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि जजों का एक कोर्ट से दूसरे कोर्ट ट्रान्सफर हो जाता है और फिर फैसला तीन-तीन साल रुका रहता है मगर अब ऐसा नहीं होगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि, पहले आईएएस और पुलिस अफसरों के खिलाफ जब कोई शिकायत आती थी तो अभी तक प्रावधान के मुताबिक, सरकार की मंजूरी के बिना उनका तो संज्ञान लिया जा सकता है और न ही आगे की कार्रवाई या चार्जशीट दाखिल की जा सकती है। लेकिन अब सरकार को 120 दिन में हां या ना कहना होगा। नहीं तो सरकार की मंजूरी के बिना ही कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। अमित शाह ने कहा कि मॉब लिंचिंग का बड़ा शोर मचा है, हमने इस पर भी फैसला लिया है। हम मॉब लिंचिंग के लिए भी 7 साल की सजा या आजीवन कारावास और मृत्युदंड का प्रावधान लाये हैं। वहीं स्नैचिंग मामले में सजा का प्रावधान किया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि, दाऊद इब्राहिम जैसे फरार अपराधियों पर उनकी अनुपस्थिति में मुकदमा चलाने का प्रावधान लाया गया है और ऐसे अपराधी को सजा भी दी जाएगी। अगर उसे सजा के खिलाफ अपील करनी है तो वो कोर्ट के सामने आए। यानि अब भगोड़े को भी सजा मिलेगी। भले ही वह पुलिस की गिरफ्त से बाहर क्यों न हो ? भगोड़े के लिए 10 साल की सजा कर दी गई है। अमित शाह ने कहा कि अब बच्चों से अपराध के मामले में सजा बढ़ाने का प्रावधान किया गया है। अब तक सात साल की सजा मिलती थी लेकिन अब 10 साल तक की सजा कर दी गई है। इसके साथ जुर्माना भी बढ़ा दिया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि, हम राजद्रोह कानून खत्म करने का प्रस्ताव लाये हैं। अब राजद्रोह कानून को पूरी तरह से खत्म किया जा रहा है। क्योंकि ये कानून अंगेज़ अपने शासन काल में अपने हित के लिए लाये थे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि, सजा माफी के नए नियम बनाए गए हैं। शाह ने कहा अगर किसी की सजा माफ करनी है तो अब अब मृत्युदंड को आजीवन कारावास की सजा में बदल सकते हैं। वहीं आजीवन कारावास की सजा अगर है तो इसमें 7 साल की सजा कम कर सकते हैं। इसके अलावा अगर सात साल की सजा तो इसमें 3 साल की सजा माफ कर सकते हैं। शाह ने कहा कि राजनीतिक रसूख रखने वालों को भी छोड़ा नहीं जाएगा। उनपर पर भी यही नियम लागू होगा।