लालू-राबड़ी राज की जर्जर स्वास्थ्य व्यवस्था को नीतीश ने जन-कल्याण का माॅडल बनाया – उमेश सिंह कुशवाहा
मुकेश कुमार/बिहार जनता दल (यू0) के माननीय प्रदेश अध्यक्ष श्री उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि बिहार की जनता ने एक ऐसा दौर देखा है जब अस्पताल नाम मात्र के थे और इलाज केवल कागजों पर होता था। उन्होंने कहा कि लालू-राबड़ी शासनकाल में जर्जर हो चुकी स्वास्थ्य व्यवस्था को माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने न सिर्फ पटरी पर लाया, बल्कि इसे जन-कल्याण का माॅडल भी बनाया।
श्री कुशवाहा ने बताया कि वर्ष 2004-05 में स्वास्थ्य विभाग का बजट तकरीबन 700 करोड़ रुपये था, जो अब बढ़कर 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक का हो चुका है। उन्होंने कहा कि यह बदलाव केवल आंकड़ों का खेल नहीं, बल्कि एक सुव्यवस्थित नीति, निरंतर निगरानी और हमारे नेता की मजबूत इच्छाशक्ति का परिणाम है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2005 से पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति इतनी खराब थी कि महीने भर में औसतन केवल 39 मरीज ही इलाज के लिए पहुंचते थे, लेकिन आज यह संख्या 11 हजार के पार है, जो दर्शाता है कि आमजन का विश्वास फिर से सरकारी अस्पतालों पर लौटा है।
प्रदेश अध्यक्ष ने आगे कहा कि वर्ष 2005 तक राज्य में केवल 6 सरकारी मेडिकल काॅलेज थे, जो अब बढ़कर 12 हो गए हैं, जबकि 22 नए मेडिकल काॅलेजों का निर्माण कार्य प्रगति पर है। अब छात्रों को उच्च स्तरीय चिकित्सा शिक्षा के लिए राज्य से बाहर जाने की बाध्यता नहीं रह गई है।
साथ ही, कई जिलों में एएनएम और जीएनएम काॅलेजों की स्थापना से बिहार की स्वास्थ्य सेवा को प्रशिक्षित मानव संसाधन के रूप में एक मजबूत आधार मिला है। प्रदेश अध्यक्ष ने यह भी बताया कि डाॅक्टरों की नियमित उपस्थिति, पर्याप्त नर्सिंग स्टाफ और जरूरी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है।
श्री उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता और लगातार प्रयासों का असर साफ दिखाई दे रहा है। वर्ष 2005 की तुलना में शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर और नवजात मृत्यु दर में उल्लेखनीय गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि यह बदलाव माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की दूरदर्शिता, पारदर्शी कार्यशैली और लोककल्याण के प्रति प्रतिबद्धता का नतीजा है।