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राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारतीय शिक्षा जगत में मील का पत्थर साबित हो रही है – नवेन्दु मिश्र

नई शिक्षा नीति 34 वर्ष पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 को प्रतिस्थापित करती है

प्रमुख बिंदु
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा की पहुंच समानता गुणवत्ता व अन्य शिक्षा और उत्तरदायित्व जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
नई शिक्षा नीति के निर्माण के लिए जून 2017 में पूर्व इसरो प्रमुख डॉक्टर कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था । इस समिति ने मई 2019 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा प्रस्तुत किया था। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 वर्ष 1968 और वर्ष 1986 के बाद स्वतंत्र भारत की तीसरी शिक्षा नीति है । राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत केंद्र व राज्य सरकारों से शिक्षा क्षेत्र पर देश की जीडीपी के 6% हिस्से के बराबर निवेश का लक्ष्य रखा गया है नई शिक्षा नीति में वर्तमान 10+2 में सक्रिय शैक्षिक मॉडल के स्थान पर शैक्षिक पाठ्यक्रम को 5+3+3+4 प्रणाली के आधार पर विभाजित करने की बात कहीं गई है।
तकनीकी शिक्षा भाषाई बाधाओं को दूर करने दिव्यांग छात्रों के लिए शिक्षा को सुगम बनाने आदि हेतु तकनीकी के प्रयोग को बढ़ावा देने पर बल दिया गया है नई शिक्षा नीति में छात्रों में रचनात्मक सोच तार्किक निर्णयन और नवाचार की भावना को उत्साहित करने पर बल दिया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत शिक्षा और सीखने पर पुनः अधिक ध्यान आकर्षित करने के उद्देश्य से मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है।

प्रारंभिक शिक्षा

पाठ्यक्रम का दोष समूह में विभाजन
3 वर्ष से 6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए आंगनबाड़ी बाल वाटिका प्री स्कूल के माध्यम से मुफ्त सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा की उपलब्धता सुनिश्चित करना 6 वर्ष से 8 वर्ष तक के बच्चों को प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा 1 और 2 में शिक्षा प्रदान की जाएगी प्रारंभिक शिक्षा को बहु स्तरीय खेल और गतिविधि आधारित बनाने को प्राथमिकता दी जाएगी।
ECCE से जुड़ी योजनाओं का निर्माण और क्रियान्वयन केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (शिक्षा मंत्रालय), महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय व जनजातीय कार्य मंत्रालय के साझा सहयोग से किया जाएगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में MHRD द्वारा बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन की स्थापना की मांग की गई है । राज्य सरकारों द्वारा वर्ष 2025 तक प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा तीन तक के सभी बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान प्रदान करने हेतु इस मिशन के क्रियान्वयन की योजना तैयार की जाएगी।

भाषाई विविधता को बढ़ावा और संरक्षण
नई शिक्षा नीति 2020 में कक्षा 5 तक की शिक्षा में मात्रिभाषा स्थानीय क्षेत्रीय भाषा को अध्यापन के माध्यम के रूप में अपनाने पर बल दिया गया है साथ ही इस नीति में मात्री भाषा को कक्षा 8 और आगे की शिक्षा के लिए प्राथमिकता देने का सुझाव दिया गया है नई शिक्षा नीति 2020 के तहत भारतीय भाषाओं के संरक्षण और विकास के लिए एक भारतीय अनुवाद और व्याख्या संस्थान फारसी पाली और प्राकृतिक के लिए राष्ट्रीय संस्था स्थापित करने के साथ उच्च शिक्षण संस्थानों में भाषा विभाग को मजबूत बनाने एवं उच्च शिक्षण संस्थानों में अध्यापन के माध्यम से मात्री भाषा / स्थानीय भाषा को बढ़ावा दिए जाने का सुझाव दिया है।

शिक्षण प्रणाली से जुड़े सुधार

शिक्षकों की नियुक्ति में प्रभावी और पारदर्शी प्रक्रिया का पालन तथा समय-समय पर लिए गए कार्य प्रदर्शन आकलन के आधार पर पदोन्नति राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा वर्ष 2022 तक शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय पेशेवर मानक का विकास किया जाएगा राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा एनसीईआरटी के परामर्श के आधार पर अध्यापक शिक्षा हेतु राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा का विकास किया जाएगा वर्ष 2030 तक अध्यापन के लिए न्यूनतम डिग्री योग्यता 4 वर्षीय एकीकृत B.Ed डिग्री का होना अनिवार्य किया जाएगा।
शिक्षा मूल्यांकन योजनाओं के निर्माण और प्रशासनिक क्षेत्र में तकनीकी के प्रयोग पर विचारों के स्वतंत्र आदान-प्रदान हेतु राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच नामक एक स्वायत्त निकाय की स्थापना की जाएगी।

उच्च शिक्षा
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में सकल नामांकन अनुपात को 26.3 प्रतिशत से बढ़ाकर 50% तक करने का लक्ष्य रखा गया है।

इस नीति के तहत स्नातक पाठ्यक्रम को मल्टीपल एंट्री एक जीत से लचीला बनाने का प्रयास किया गया है । इसके तहत 3 या 4 वर्ष के स्नातक कार्यक्रम में छात्र कई अफसरों पर पाठ्यक्रम को छोड़ सकेंगे और उन्हें उसी के अनुरूप डिग्री या प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा । विभिन्न उच्च शिक्षा संस्थानों से प्राप्त अंकू या क्रेडिट को डिजिटल रूप से सुरक्षित रखने के लिए एक एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट दिया जाएगा जिससे अलग-अलग संस्थानों में छात्रों के प्रदर्शन के आधार पर उनके द्वारा अर्जित क्रेडिट को अंतिम रूप दिया जा सके। उल्लेखनीय है कि नई शिक्षा नीति के तहत एमफिल कार्यक्रम को समाप्त कर दिया गया है।

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