देशब्रेकिंग न्यूज़

प्रधानमंत्री ने सीएसआईआर सोसायटी की बैठक की अध्यक्षता की

हमें इस दशक की जरूरतों के साथ-साथ आने वाले दशकों की जरूरतों के लिए भी तैयार रहना होगा: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) सोसायटी की बैठक की अध्यक्षता की।

त्रिलोकी नाथ प्रसाद –इस अवसर पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी इस सदी की सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। लेकिन अतीत में जब भी कोई बड़ा मानवीय संकट आया है, विज्ञान ने एक बेहतर भविष्य के लिए रास्ता तैयार किया है। उन्होंने कहा कि विज्ञान की मूल प्रकृति संकट के समय समाधानों और संभावनाओं की तलाश कर नई ताकत पैदा करना है।

मानवता को इस महामारी से बचाने के लिए एक साल के भीतर जिस पैमाने और गति से टीके बनाए गए, उसके लिए प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इतिहास में पहली बार इतनी बड़ी घटना हुई है। उन्होंने कहा कि पिछली सदी में दूसरे देशों में आविष्कार किए गए थे और भारत को उनके लिए कई वर्षों तक इंतजार करना पड़ा था। लेकिन आज हमारे देश के वैज्ञानिक दूसरे देशों के साथ एक जैसी गति से और बराबर का काम कर रहे हैं। उन्होंने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत को कोविड-19 के टीके, जांच किट, आवश्यक उपकरण और नई कारगर दवाओं के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए वैज्ञानिकों की सराहना की। उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी को विकसित देशों के बराबर लाना उद्योग और बाजार के लिए बेहतर रहेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश में विज्ञान, समाज और उद्योग को एक ही धरातल पर रखने के लिए सीएसआईआर एक संस्थागत व्यवस्था के रूप में कार्य करता है। हमारी इस संस्था ने देश को शांति स्वरूप भटनागर जैसी अनेक प्रतिभाएं और वैज्ञानिक दिए हैं जिन्होंने इस संस्था को नेतृत्व प्रदान किया। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर के पास अनुसंधान और पेटेंट इको-सिस्टम की एक सशक्त व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर देश की कई समस्याओं के समाधान के लिए काम कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के आज के लक्ष्य और 21वीं सदी के देशवासियों के सपने एक बुनियाद पर टिके हैं। इसलिए सीएसआईआर जैसी संस्थाओं के लक्ष्य भी असाधारण हैं। आज का भारत हर क्षेत्र – जैव प्रौद्योगिकी से लेकर बैटरी प्रौद्योगिकी तक, कृषि से लेकर खगोल विज्ञान तक, आपदा प्रबंधन से लेकर रक्षा प्रौद्योगिकी तक, टीकों से लेकर आभासी वास्तविकता (वर्चुअल रियलिटी) तक – में आत्मनिर्भर और सशक्त बनना चाहता है। उन्होंने कहा कि आज भारत सतत विकास और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में दुनिया को राह दिखा रहा है। आज भारत सॉफ्टवेयर से लेकर सैटेलाइट तकके क्षेत्र में दुनिया के विकास में एक प्रमुख इंजन की भूमिका निभाते हुए दूसरे देशों के विकास में तेजी ला रहा है। इसलिए, उन्होंने कहा कि भारत के लक्ष्य इस दशक के साथ-साथ अगले दशक की जरूरतों के अनुरूप होने चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया भर के विशेषज्ञ जलवायु परिवर्तन को लेकर लगातार बड़ी आशंका जता रहे हैं। उन्होंने सभी वैज्ञानिकों और संस्थानों से वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ तैयारी करने का आह्वान किया। उन्होंने उनसेहर क्षेत्र- कार्बन कैप्चर से लेकर ऊर्जा भंडारण और हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों तक – में आगे बढ़कर नेतृत्व करने के लिए कहा। उन्होंने सीएसआईआर से समाज और उद्योग को साथ लेकर चलने का आग्रह किया। उन्होंने उनकी सलाह के अनुरूप लोगों से सुझाव लेना शुरू करने के लिए सीएसआईआर की सराहना की। उन्होंने 2016 में शुरू किए गए अरोमा मिशन में सीएसआईआर की भूमिका की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि आज देश के हजारों किसान फूलों की खेती के जरिए अपनी किस्मत बदल रहे हैं। उन्होंने देश के भीतर हींग की खेती में मदद करने के लिए सीएसआईआर की सराहना की, जिसके लिए भारत आयात पर निर्भर था।

प्रधानमंत्री ने सीएसआईआर से एक रोडमैप के साथ एक निश्चित तरीके से आगे बढ़ने का आग्रह किया। इस कोविड -19 संकट ने भले ही विकास की गति को प्रभावित किया हो, लेकिन आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की प्रतिबद्धता बनी हुई है। उन्होंने हमारे देश में उपलब्ध अवसरों का अधिकतम उपयोग करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हमारे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) और स्टार्टअप के लिए कृषि से लेकर शिक्षा समेत हर क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने सभी वैज्ञानिकों और उद्योग जगत से कोविड संकट के दौरान हासिल की गई सफलता को हर क्षेत्र में दोहराने का आग्रह किया।

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button
error: Content is protected !!