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पत्रकार :क्या बख्तियारपुर का  नाम बदला जा रहा है?

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार : पगला गए हैं क्या? क्या अनाप-शनाप बक रहे हैं। ऐसा कुछ नहीं है, यह नहीं हो सकता है। बख्तियारपुर मेरी जन्म स्थली है और इसका नाम कभी नहीं बदला जा सकता है।

                                                         

रिपोर्ट : अमित कुमार-[संयुक्त संपादक]

जिस बख्तियार खिलजी ने देश ही नहीं विश्व के सबसे बड़े शिक्षा की धरोहर नालंदा विश्वविद्यालय को तोड़कर उसका अस्तित्व मिटाया, उसके नाम पर वर्षों से पटना जिला स्थित बख्तियारपुर शहर बसा है एवं रेलवे स्टेशन है। उस नाम को बदलने की बात पर मुख्यमंत्री झल्ला क्यों रहे हैं, बस इसलिये की वहाँ उनकी जन्मस्थली है?

                                          

 

                गौरतलब हो कि मधुबनी जिले के बिस्फी के भाजपा विधायक हरीभूषण ठाकुर बचौल ने बख्तियारपुर का नाम बदलकर नीतीश नगर रखने की मांग को लेकर आगामी विधानसभा के सत्र में इस प्रस्ताव को लाने की बात कही। साथ ही उन्होंने इस प्रस्ताव को पूरा कराने के लिए अन्य विधायकों का भी समर्थन जुटायेंगे।                                                 

             उन्होंने कहा कि जब इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किया गया तो फिर बख्तियार खिलजी, जिसने नालंदा विश्वविद्यालय को लूटा और जलाया , नामचीन धरोहरों को नष्ट किया। ऐसे व्यक्ति के नाम पर शहर का नाम रखा जाना बहुत ही गलत है, इसका नाम बदला जाना चाहिए। वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बख्तियारपुर का नाम बदले जाने पर विरोध करने को लेकर विधायक हरीभूषण ठाकुर बचौल ने तर्क दिया कि इस शहर का नाम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम पर नीतीश नगर कर देना चाहिए। क्योंकि जिस खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय को नष्ट किया, नीतीश कुमार ने उसकी फिर से स्थापना की है।

                       

                    सनद रहे की बख्तियारपुर स्टेशन का नाम बदलने की मुहिम बहुत पहले केवल सच पत्रिका के संपादक एवं चाणक्य विकास मोर्चा के संयोजक ब्रजेश मिश्र ने छेड़ दी थी और इसके लिये केंद्र सरकार को पत्र जारी किया था, जिसे गृह विभाग बिहार सरकार को हस्तांतरित किया गया और तब भी उक्त मांग को खारिज कर दिया गया था।

                

                आखिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जालिम क्रूर, हत्यारा, लूटेरा, दस्तावेजों को नष्ट करने वाला दुष्ट बख्तियार खिलजी से इतना बेपनाह मोहब्बत क्यों? बहरहाल, बीते कई महीनों से जदयू और भाजपा का द्वंद या यूं कहें शीतयुद्ध गठबंधन के नेताओं के द्वारा किन्ही ना किन्हीं मुद्दों पर जारी है। जातीय जनगणना की मांग के बाद कई ऐसे मुद्दे सामने आते दिखे जिनमें भाजपा और जदयू दोनों ही एक दूसरे के विरोध में बयान देते ही दिखे।

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