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मजदूरों के लिए रक्षक बने रेट माइनर्स।।…

श्वेता कुमारी/पूनम जयसवाल:-मजदूरों के लिए रक्षक बने रेट माइनर्स: एक ऐसी खबर से रूबरू कराएंगे जिसमें भारत सरकार एवं केंद्र सरकार ने मजदूरों को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी उन्होंने देश-विदेश से कई तकनीके भी मंगवाई। जी हां हम बात कर रहे हैं उत्तरकाशी के सिलक्यारा गांव में फंसे 41 मजदूरों को मंगलवार सकुशल बाहर निकाला गया , उन्होंने आखिरकार जिंदगी की जंग जीत ही ली। सभी मजदूरों को टनल से लगभग 35 किलोमीटर दूर एक पास बनाए गए अस्पताल में रखा गया और यहां 48 घंटे डॉक्टरों की देख देख में रहेंगे, बाद में उन्हें aiims ऋषिकेश भेज दिया गया। आपको याद होगा कि दिवाली का वह दिन था जब देश रोशनी से जगमगा रही थी, तब यह भू संखलन के कारण अंधेरी सुरंग में फंस गए थे। इसके बाद प्रधानमंत्री ने सभी मजदूरों से उनकी हाल-चाल जानी एवं बधाइयां भी दी। मंगलवार का वह दिन था जब दोपहर के 1:00 बज रहे थे तब पाइप टनल ने मलवे को पार किया तो खुशी का माहौल बन गया। 21 घंटे में रैट माइनर्स ने 12 मी सुरंग की खुदाई की और 26 घंटे में पूरा खुदाई कर दी। हालांकि यह इतना आसान भी नहीं था उन रैट माइनर्स के लिए, उन्होंने चूहों की तरह स्वयं हाथों से खुदाई की। बताया जा रहा है की रेस्क्यू ऑपरेशन के समय कई बाधाए भी आई। एक के बाद एक विदेशी तकनीक है नाकाम होती गई, आखिरकार स्वदेशी तकनीक ही कामआयी । जिसे रैट माइनर्स के नाम से जानते हैं, एक ऐसा तकनीक है जो चूहों की तरह खोदने वाली विशेषज्ञों की टीम ने अपना देसी तकनीक से मजदूरों को मौत के मुंह से बाहर निकाला।भारत में एनजीटी के द्वारा इसे साल 2014 में ही बैन किया गया लेकिन यही तकनीक आज देवदूत की तरह काम आई। इस 12 विशेषज्ञ टीम ने लगातार 21 घंटे तक हाथों से खुदाई की देर शाम 7:15 बजे जैसे ही पहले मजदूर टनल से बाहर आया वैसे ही पुष्कर सिंह धामी जी ने गले लगाकर सभी मजदूरों को बधाई दी और उन्होंने कहा आप सभी ने स्थिति का डटकर मुकाबला किया एवं धैर्य से काम लिया। सीएम ने यह ऐ लान किया है कि सभी मजदूरों को एक-एक लाख का मुआवजा उनके परिवार वालों को दिया जाएगा।

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