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मखाना महोत्सव से बदलेगी उत्पादकों की स्थिति, आर्थिक विकास तेज होगा मखाना की खेती से 50 हजार किसानों को जोड़ेगी सरकार दोगुनी होगी आय – सम्राट चौधरी

मखाना को वैष्विक पहचान दिलाने में सहयोग दे रही केंद्र-मंगल पांडेय

अन्तरराष्ट्रीय बाजार के लिए पहली बार बिहार से बाहर बंगलुरू में मखाना महोत्सव का आयोजन मखाना प्रसंस्करण उद्योग लगाने वालों को बिहार में 25 प्रतिशत तक अनुदान…

त्रिलोकी नाथ प्रसाद /बंगलुरु/पटना। शुक्रवार को बंगलुरू, कनार्टक के किंग्स कोर्ट, पैलेस ग्राउण्ड में कृषि विभाग, बिहार द्वारा आयोजित दो दिवसीय मखाना महोत्सव के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बिहार के उपमुख्यमंत्री श्री सम्राट चौधरी, विशिष्ट अतिथि के तौर पर बिहार के कृषि-सह-स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पाण्डेय ने भाग लिया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सचिव, कृषि विभाग, बिहार श्री संजय कुमार अग्रवाल ने की। राज्य से बाहर बंगलुरू में पहली बार आयोजित मखाना महोत्सव में श्री चौधरी ने कहा कि मखाना को जी आई टैग मिल गया है और बिहार सरकार मखाने की खेती और प्रोसेसिंग से जुड़े लोगों को अधिक-से-अधिक आर्थिक लाभ दिलाने के लिए तत्पर है। उप मुख्यमंत्री श्री चौधरी ने महोत्सव में आये व्यापारियों, निर्यातकों से बिहार आकर मखाना प्रसंस्करण इकाइयाँ लगाने की अपील की, ताकि इस ‘सुपर फूड’ के बढ़ते घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार को बढ़ावा दिया जा सके। उन्होंने कहा कि राज्य में मखाना प्रसंस्करण उद्योग लगाने वालों को बिहार सरकार अनुदान देती है। प्रोत्साहन नीति के तहत व्यक्तिगत निवेशकों के लिए पंद्रह प्रतिशत, तो किसान उत्पादक संगठन के लिए 25 प्रतिशत तक की आर्थिक मदद की जा रही है।

इस अवसर पर कृषि-सह-स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पाण्डेय ने कहा कि बिहार की मिट्टी की जैव विविधता एवं विशिष्ट जलवायु मानव हितार्थ अनेक फसलों को फलने-फूलने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करती है। प्राचीन काल से मखाना का उपयोग स्वास्थ्यप्रद भोजन एवं धार्मिक अनुष्ठान में शुभ-सामग्री के रूप में किया जाता रहा है। बिहार, भारत में मखाना का शीर्ष उत्पादक राज्य है। मखाना फसल आजीविका सृजन, मूल्यवर्द्धन, विपणन और निर्यात प्रोत्साहन के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान करती है। मखाना उत्तरी बिहार का एक महत्वपूर्ण फसल है, जिस पर लाखों किसानों की आजीविका आश्रित है। मखाना के कई स्वास्थ्य लाभों के कारण निकट भविष्य में इसकी मांग में वृद्धि होने की उम्मीद है। उत्पादन के दृष्टिकोण से स्थानीय बाजार की तुलना में राष्ट्रीय बाजारों में मखाना की कीमत लगभग दोगुनी है।

श्री पाण्डेय ने कहा कि एक जिला एक उत्पाद के तहत 06 जिलों यथा दरभंगा, मधुबनी, सुपौल, सहरसा, कटिहार एवं अररिया में मखाना उत्पाद नामित है। मखाना के आर्थिक महत्व को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार के द्वारा मखाना विकास योजना का संचालन 2019-20 से किया जा रहा है, जिसके अन्तर्गत मखाना के उन्नत प्रभेदों के बीज उत्पादन एवं प्रत्यक्षण तथा क्षेत्र विस्तार को बढ़ावा देने हेतु सहायतानुदान का प्रावधान किया गया है। मैं केंद्र सरकार को धन्यवाद देता हूं कि मखाना को वैश्विक पहचान दिलाने में केंद्र सहयोग कर रही है। साथ ही मखाना किसानों एवं उद्यमियों के हित में पहल करें।बिहार सरकार ने इस दिशा में मखाना के लिए एमएसपी मखाना बोर्ड की स्थापना एवं मखाना के लिए एच एस कोड की मांग की है। साथ ही, आइसीएआर-राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र मखाना के सुदृणीकरण पर भी केंद्र सरकार को हमनें ध्यान देने का अनुरोध किया है

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