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यूरोपीय संघ की संरचना, प्रक्रिया एवं चुनौतियों पर क्या हुई चर्चा, जानें…

जीन मोनेट मॉड्यूल के सहयोग से यूरोपीय संघ के प्रतिष्ठित इरास्मस कार्यक्रम द्वारा सह-वित्त पोषित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन


रांची : सेंट जेवियर्स कॉलेज रांची (St. Xavier’s college Ranchi) के राजनीति विज्ञान विभाग ने जीन मोनेट मॉड्यूल के सहयोग से यूरोपीय संघ के प्रतिष्ठित इरास्मस कार्यक्रम द्वारा सह-वित्त पोषित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। संगोष्ठी युरोपीय संघ (European Union) की संरचना, प्रक्रिया एवं चुनौतियों विषय पर केंद्रित था। उद्घाटन सत्र सुबह 9ः30 बजे उत्साह के साथ प्रारंभ हुआ, जिसमें प्रतिष्ठित दिग्गजों की उपस्थिति रही। संगोष्ठी में प्राचार्य फा. डॉ. नबोर लकड़ा एसजे, वाइस प्रिंसिपल फा. रॉबर्ट प्रदीप कुजूर एसजे एवं फा. डॉ. अजय मिंजय, कॉलेज के रजिस्ट्रार फा. डॉ. प्रभात के. सोरेंग, बर्सर फा. रोशन बा सम्मेलन की संयोजिका, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से डॉ. शीतल शर्मा, सेंट जेवियर्स कॉलेज की डॉ. श्रेया पांडेय और विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर बीके सिन्हा सहित राजनीति विज्ञान विभाग के प्रो. विजय शर्मा, प्रो. सौम्या सिन्हा, प्रो. आशुतोष पांडेय, प्रो. आशा साहु, प्रो. विकास रंजन, प्रो. उत्कर्ष उन्नयन की उपस्थिति रही। फा. प्रिंसिपल ने लगातार विकसित हो रहे वैश्विक परिदृश्य के आलोक में सम्मेलन के विषय की गहन प्रासंगिकता को स्पष्ट रूप से समझाया। वाइस प्रिंसिपल ने अपने गहन प्रवचन में मूल्यों पर आधारित विश्व व्यवस्था की अवधारणा की जानकारी दी। संयोजक डॉ. शीतल शर्मा ने यूरोपीय संघ को एक महत्वपूर्ण वैश्विक अभिनेता के रूप में चित्रित किया।

यूरोपीय संघ अध्ययन के क्षेत्र में एक विशेषज्ञ ब्रुसेल्स के डॉ. एलेन गुगेनबुहल ने विषय पर अपना विचार प्रकट किया। संगोष्ठी का पहला दिन तीन बौद्धिक रूप से प्रेरक सत्रों का साक्षी रहा। जिनमें से प्रत्येक की अध्यक्षता प्रतिष्ठित विद्वानों में क्रमशः डॉ. सिमी मेहता, जयदीप देवघरिया और डॉ. प्रवीण सिंह ने की। पहले सत्र को नौ प्रतिनिधियों के व्यावहारिक योगदान से गौरवान्वित किया गया। इसके बाद दूसरे सत्र में छह प्रतिभागियों और तीसरे सत्र में 11 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। यूरोपीय संघ की संरचनात्मक गतिशीलता इसके बहुमुखी आर्थिक व्यक्तित्व और एक प्रमुख वैश्विक राजनीतिक इकाई के रूप में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका जैसे जटिल विषयों को शामिल करते हुए, बहुत गहराई और दायरे के विचार-विमर्श हुए। पहले दिन की समाप्ति के साथ सम्मेलन ने अपनी सफलता दर्ज की और आने वाले दिनों में अधिक ज्ञानवर्धक परिचर्चाओं को सम्मिलित करने का संकल्प भी प्रस्तुत किया।

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