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किशनगंज : कुष्ठ रोग को हराओ की थीम पर जिले में मनाया गया विश्व कुष्ठ दिवस

कुष्ठ रोगियों से दूरी नहीं बनाएं, उसका इलाज करवाएं, सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क इलाज की है व्यवस्था

किशनगंज, 30 जनवरी (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कुष्ठ रोगियों के प्रति स्नेह एवं सेवा भाव ऱखते थे। इसलिए उनकी पुण्यतिथि 30 जनवरी को हर साल कुष्ठ दिवस के रूप में मनाया जाता है। सिविल सर्जन डा. कौशल किशोर ने भी राष्टपिता महात्मा को पुष्प अर्पित कि और बताया कि ये दिन समाज से कुष्ठ को खत्म करने के लिए लोग शपथ लेते हैं। दरअसल, कुष्ठ के प्रति समाज में कुछ भ्रांतियां हैं, जिस पर काम करने की जरूरत है। सबसे महत्वपूर्ण है छुआछूत। आमतौर पर लोग कुष्ठ को छुआछूत की बीमारी समझकर इससे भागने लगते हैं। कुष्ठ रोगियों से दूरी बनाने लगते हैं। जबकि कुष्ठ रोगियों को तत्काल अस्पताल ले जाने की जरूरत होती है। सभी सरकारी अस्पतालों में कुष्ठ रोगियों के लिए मुफ्त में इलाज की व्यवस्था है। इलाज नहीं करवाने पर उससे अन्य लोगों में संक्रमण हो सकता है। उन्होंने बताया की कुष्ठ रोग, वैश्विक स्तर पर गंभीर स्वास्थ्य समस्या रही है। बीमारी के बारे में लोगों में बढ़ी जागरूकता और उपचार की सहज उपलब्धता के चलते इसके मामलों में अब काफी कमी आई है। कुष्ठ रोग की व्यापकता 1980 के दशक में 50 लाख से अधिक मामलों से घटकर साल 2020 में 1.30 लाख के करीब रह गई है। हालांकि अब भी कई हिस्सों में ये रोग बड़ी चुनौती बनी हुई है। कुष्ठ दिवस पर आज हमलोग शपथ लेंगे कि कुष्ठ रोगियों से किसी तरह का भेदभाव नहीं करेंगे। अगर कोई कुष्ठरोगी दिखे तो तत्काल उसे अस्पताल ले जाकर उसका इलाज करवाएंगे। जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में शपथ ग्रहण एवं जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। पोठिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यक्रम के दौरान प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. शाहिद रजा ने बताया की विश्व कुष्ठ दिवस 2024 का थीम है “कुष्ठ रोग को हराओ” है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) कहता है, कुष्ठ रोग से जुड़े कलंक को मिटाने और रोग से प्रभावित लोगों को उपचार के लिए प्रेरित करने और उनकी गरिमा को बढ़ाना के लिए ये दिन महत्वपूर्ण है। कुष्ठ की बीमारी जीवाणु से होता है, जिसका पूर्ण इलाज संभव है। इसकी पहचान बहुत ही आसान है। चमड़े पर किसी प्रकार का दाग या धब्बा, जिसमें दर्द या खुजली नहीं होती है और वह जन्म से नहीं है तो वह कुष्ठ का प्रारंभिक लक्षण हो सकता है। समय से इलाज होने पर यह पूरी तरह से ठीक हो जाता है और वह पहले वाली जिंदगी जी सकता है। एमडीटी का पूरा खुराक नियमानुसार लेने के बाद कुष्ठ पीड़ित व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ्य हो सकता है। इलाज नहीं कराने पर उस व्यक्ति से कई लोगों में संक्रमण हो सकता है। इसलिए अगर कोई कुष्ठ रोगी दिखे तो उसका तत्काल इलाज करवाएं। सिविल सर्जन डा. कौशल किशोर ने बताया की कुष्ठ से पीड़ित व्यक्ति अगर विकलांग हो जाता है तो उसे 1500 रुपये प्रति महीने भिक्षाटन निवारण योजना के तहत दिया जाता है। यह राशि तबतक दी जाती है, जब तक वह जीवित रहते हैं। साथ ही अगर कुष्ठ से विकलांग हुए व्यक्ति के आश्रित जिनकी उम्र 18 साल से कम है, उसे भी परवरिश योजना के तहत एक हजार रुपये प्रति महीने दिया जाता है। इसलिए कुष्ठ रोग को छुपाएं नहीं और इसका इलाज करवाएं। उन्होंने बताया कि मायकोबैक्टीरियम लेप्रे नामक बैक्ट्रीरिया के संक्रमण से यह रोग होता है। इसका असर मुख्य रूप से त्वचा, तंत्रिका तंत्र तथा आंखों पर होता है। समय से जांच और इलाज से यह रोग पूरी तरह ठीक हो जाता है। इस रोग की पहचान कुछ मुख्य लक्षणों से की जा सकती है। इनमें त्वचा पर लाल, गहरे या हल्के धब्बे उभरना, धब्बे वाले हिस्से का सुन्न होना, त्वचा के प्रभावित हिस्से से बाल झड़ना, हाथ, उंगली या पैर की अंगुलियों का सुन्न होना, आंखों की पलकें झपकाने में कमी आना आदि हैं।

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