किशनगंज : ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस: ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा का सशक्त माध्यम
ग्रामीणों की दहलीज़ पर दस्तक देती स्वास्थ्य सेवाएं, जागरूकता और पोषण को मिल रहा नया आयाम

किशनगंज, 21 मई(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, स्वास्थ्य सेवाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने की दिशा में ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) अब एक सशक्त माध्यम बन चुका है। यह आयोजन न केवल ग्रामीणों को बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करा रहा है, बल्कि उन्हें पोषण, स्वच्छता और स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता से भी जोड़ रहा है।
सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने बताया कि जिले के सभी प्रखंडों में हर महीने चिह्नित आंगनबाड़ी केंद्रों पर वीएचएसएनडी सत्र आयोजित किए जा रहे हैं। स्थानीय एएनएम, आशा और आंगनबाड़ी सेविकाओं की सहभागिता से लाभार्थियों को एक दिन पहले सूचना दी जाती है। चार घंटे के इन सत्रों में एक घंटा सामूहिक परामर्श के लिए निर्धारित होता है, जहां गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं और बच्चों को स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ा जाता है।
आरोग्य दिवस पर विशेष सेवाएं
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. देवेंद्र कुमार ने बताया कि आरोग्य दिवस के अवसर पर गर्भवती महिलाओं की जाँच, एनीमिया की पहचान, टीकाकरण और उच्च जोखिम वाली गर्भवस्थाओं की विशेष निगरानी की जाती है। साथ ही स्तनपान, पूरक आहार और प्रोटीन युक्त भोजन के प्रति माताओं को जागरूक किया जाता है।
टेलीमेडिसीन से बदल रहा है ग्रामीण स्वास्थ्य परिदृश्य
जिला योजना समन्वयक विश्वजीत कुमार ने बताया कि अब ग्रामीण मरीज घर बैठे सरकारी डॉक्टरों से परामर्श ले सकते हैं। टेलीमेडिसीन सेवा पूरे सप्ताह मुफ्त उपलब्ध है, जिससे बुजुर्गों, किशोरियों, बच्चों और गर्भवती महिलाओं को समय पर चिकित्सा सलाह मिल पा रही है। यह पहल न केवल सुलभ स्वास्थ्य सेवा का उदाहरण है, बल्कि समय और संसाधनों की भी बचत कर रही है।
सुरक्षित मातृत्व और स्वस्थ शिशु के लिए जन-भागीदारी जरूरी
डॉ. चौधरी ने कहा कि संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए केवल सरकारी प्रयास पर्याप्त नहीं, बल्कि ग्रामीण परिवारों की सक्रिय भूमिका आवश्यक है। समय पर जांच, परामर्श और सरकारी सुविधाओं का लाभ लेकर ही सुरक्षित मातृत्व को सुनिश्चित किया जा सकता है।
जनजागरूकता बना रही बदलाव की नींव
वीएचएसएनडी अब केवल एक दिन का आयोजन नहीं, बल्कि यह ग्रामीण स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने वाला मंच बन चुका है। इसमें स्वास्थ्य कर्मियों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, स्वयंसेवी संस्थाओं और सरकारी विभागों की संयुक्त भागीदारी इसे जन-आंदोलन में बदल रही है।
गौर करे कि स्वास्थ्य, पोषण और स्वच्छता का यह त्रिकोणीय अभियान यदि ग्रामीण समुदाय के हर वर्ग तक पहुंचे, तो आने वाले समय में ग्रामीण भारत स्वस्थ और समर्थ भारत की नींव रखेगा।