किशनगंज : मौलाना अबूल कलाम आज़ाद सलाहियत और ज्ञान के धनी एतिहासिक व्यक्तित्व के मालिक थे : अली रजा सिद्दीकी

मौलाना अबुल कलाम आजाद के जन्म दिवस पर किशनगंज में एक दिवसीय शैक्षिक संगोष्ठी का आयोजन।किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती के अवसर पर शुक्रवार 11 नवंबर को किशनगंज के एक प्रमुख शिक्षण संस्थान ओरेकल इंटरनेशनल स्कूल में एक दिवसीय शैक्षिक सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें मुफ्ती जावेद इकबाल कासमी, जमीयत उलेमा हिंद के बिहार प्रदेश अध्यक्ष, पूर्व एडीएम अब्दुल हफीज खान, किशनगंज जिला जमीयत उलेमा के उप सचिव मौलाना दिलनवाज अंजुम, मौलाना नईमुद्दीन कासमी, मो० अजमल, कारी अयाज अहमद, कारी मशकूर अहमद और वरिष्ठ पत्रकार अल्हाज अली रजा सिद्दीकी आदि सहित बड़ी संख्या में बुद्धिजीवियों ने कार्यक्रम में भाग लिया और मौलाना अबुल कलाम आजाद के जीवन और सेवाओं पर विस्तृत प्रकाश डाला। विशिष्ट अतिथि के रूप में बंगाल के चोपड़ा कॉलेज के प्रो. अलीमुद्दीन शाह ने ज्ञानवर्धक बातों से श्रोताओं को लाभान्वित किया। पहले सत्र में शामिल वक्ताओं में क्रिसेंट पब्लिक स्कूल के निदेशक गुलाम शाहिद, मास्टर मुजाहिद आलम, पूर्व विधायक कोचाधामन, डॉ. रकीब आलम, प्रोफेसर, जामिया मिलिया इस्लामिया, अब्दुल हफीज खान, सेवानिवृत्त एडीएम, मुफ्ती जावेद इकबाल कासमी, बिहार के प्रदेश अध्यक्ष जमीयत उलेमा, मौलाना दिलनवाज अंजुम उप सचिव जमीयत उलेमा किशनगंज, वरिष्ठ पत्रकार अलहज अली रजा सिद्दीकी और मुंशी सैफुल्लाह के नाम शामिल हैं। इसी तरह दूसरे सत्र में कई महत्वपूर्ण वक्ताओं के नाम शामिल हैं। इस अवसर पर अल्हाज अली रज़ा सिद्दीकी ने कहा कि समाज के असली सामाजिक कार्यकर्ता वे लोग हैं जो सामाजिक सरोकार और लालसा से समाजी सेवाओं में योगदान देते और अपने पूर्वजों की सेवाओं और बलिदानों को नई पीढ़ियों तक पहुँचाने का काम करते हैं। ओरेकल इंटरनेशनल स्कूल और हॉस्टल के जिम्मेदार सफ़रुद्दीन राही, टारगेट कोचिंग सेंटर के निदेशक आरफीन नूर, मास्टर अब्दुल वाहिद मुखलिस और मौलाना नईमुद्दीन कासमी के प्रयासों से आज का कार्यक्रम ऐतिहासिक सफल रहा है।
अल्हाज अली रजा सिद्दीकी ने कहा कि देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद के जन्मदिन को शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के जीवन और सेवाओं पर इस तरह की शैक्षिक वार्ता होनी चाहिए ताकि हमें उनकी सेवाओं और उत्कृष्ट कार्यों के बारे में अधिक से अधिक जानने का अवसर मिले। उन्होंने कहा कि जब लोग असफलताओं के रेगिस्तान में लक्ष्य से भटकने लगते हैं, तो प्रकृति उनकी मदद के लिए कुछ खास व्यक्तित्व को बनाती है। जब भारत की आज़ादी पर ब्रिटिश हुकूमत का ग्रहण लग गया था और गुलामी की जंजीरें देश की बेड़ियाँ बन गईं और उलटे उससे लड़ने की बजाय लोग निष्क्रियता में सो रहे थे, उस समय एक आवाज़ उठी यह आवाज़ उस स्वतंत्रता सेनानी की थी जिसे दुनिया मौलाना अबुल कलाम आजाद के नाम से जानती और पहचानती है। मौलाना आज़ाद का अमर व्यक्तित्व किसी परिचय का मुहताज नहीं है। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का व्यक्तित्व अपार गुणों का मेल था, जहाँ एक ओर वे धर्म के विद्वान, सर्वश्रेष्ठ वक्ता, विचारक, प्रबंधक और बुद्धिजीवी थे, तो दूसरी ओर वे एक उत्कृष्ट राजनीतिज्ञ, इतिहासकार, राष्ट्रीय नेता एक शिक्षाविद्, एक स्वतंत्रता सेनानी और एक निडर पत्रकार थे। इस कार्यक्रम को सफीरुद्दीन राही, आरफीन नूर और मुखलिस, मौलाना नईमुद्दीन कासमी और ओरेकल इंटरनेशनल स्कूल के निदेशक सुश्री कहकशां यास्मीन ने सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।